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    हिमाचल में बादल फटने से शिलागढ़ की चोटियां भी प्रभावित, 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैली वन संपदा तबाह

    Updated: Sat, 28 Jun 2025 11:10 AM (IST)

    कुल्लू जिले में शिलागढ़ की चोटियों पर बादल फटने से गड़सा और जीवानाला में भारी नुकसान हुआ। पानी के तेज बहाव में पेड़ बह गए जिससे वन संपदा को भारी क्षति पहुंची है अनुमान है की गडसा व पार्वती रेंज में करीब 20000 हेक्टेयर में वन संपदा प्रभावित हुई है। वन विभाग नुकसान का आकलन कर रहा है।

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    हिमाचल में बादल फटने से शिलागढ़ की चोटियां भी प्रभावित (File Photo)

    जागरण संवाददाता, मंडी। कुल्लू जिले में बुधवार को शिलागढ़ की चोटियों पर बादल फटने से आधा पानी गड़सा व आधा जीवानाला की ओर चला गया था। पानी के तेज बहाव से रई, तोश व देवदार के कई छोटे-बड़े पेड़ बह गए। वन निगम द्वारा स्लीपर बनाने के बाद बची लकड़ी भी बह गई।

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    गडसा व पार्वती रेंज में करीब 20,000 हेक्टेयर में वन संपदा प्रभावित हुई है। वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने शुक्रवार को वर्चुअल बैठक की। विभाग ने नुकसान का आकलन भी शुरू कर दिया है। दुर्गम क्षेत्रों के अधिकतर रास्ते क्षतिग्रस्त होने से वनकर्मियों को प्रभावित स्थानों तक पहुंचने में दिक्कत आ रही है।

    गडसा रेंज में रई व तोष के जंगल हैं। जीवानाला के आसपास के जंगलों में देवदार है। दोनों रेंज से कितने पेड़ पानी में बहे हैं। विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है। गड़सा रेंज में 2022 से अब तक वन निगम ने करीब 8000 क्यूबिक लकड़ी निकाली है।

    पनविद्युत प्रोजेक्टों में बूम बैरियर लगाने पर भी मंथन 

    प्राकृतिक आपदा से वन संपदा को कैसे बचाया जाए, बैठक में इस पर भी मंथन किया गया। कुछ अधिकारियों ने पनविद्युत प्रोजेक्टों में भाखड़ा बांध की तरह बूम बैरियर लगाने का सुझाव दिया।

    बैरियर बांधों से तीन से चार किलोमीटर पहले लगाए जाएंगे। इसकी संभावना तलाशने के लिए बांध प्रबंधन से बात की जाएगी। बूम बैरियर पर बहकर आने वाली लकड़ी निकालना व उसका आकलन करना आसान होगा।