सहयोगी, सरकाघाट : कहते हैं बहनें किसी भी हाल में हों एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ती, बात जिंदगी और मौत की भी हो तो तो एक दूसरे की ढाल बन जाती हैं। सरकाघाट के मस्याणी की रहने वाली चम्पा ने अपनी जुड़वा बहन मीना को किडनी देकर यह बात सार्थक की है। 51 वर्ष की आयु में चम्पा अपनी बड़ी बहन मीना को मौत के मुंह से वापस ले आई। दोनों अभी चंडीगढ़ पीजीआइ में उपचाराधीन हैं।
1972 में भरनाल गांव के बृजलाल ठाकुर के मीना और चम्पा का जन्म हुआ था। दोनों बहनें जुड़वां थी। दोनों में खासा लगाव था। दोनों ने दसवीं तक ही पढ़ाई की और 1991 में मस्याणी गांव में एक साथ दोनों का विवाह कर दिया गया। दोनों खुशी खुशी अपने परिवार के साथ रह रही थीं। इसी बीच वर्ष 2021 को मीना बीमार पड़ी तो इलाज के लिए उसे पीजीआइ चंडीगढ़ ले जाया गया। जहां डाक्टरों ने बताया कि उसकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं।
किडनी ट्रांसप्लांट करके ही उसकी जिंदगी बचाई जा सकती थी। मीना के स्वजनों ने उसके लिए किडनी की तलाश आरंभ की और उसका इलाज आरंभ कर दिया। जब चंपा से इस बारे बात की गई तो वह तुरंत किडनी देने के लिए तैयार हो गई। चंपा और मीना का ब्लड ग्रुप ओ पाजिटिव था और किडनी से संबंधित अन्य टेस्ट भी सही पाए गए। ऐसे में शुक्रवार को पीजीआइ में डाक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट का आपरेशन कर चम्पा की एक किडनी मीना को लगा दी।
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दोनों अभी पीजीआइ चंडीगढ़ में ही उपचाराधीन हैं। भाई सरोज कुमार ने कहा कि बहन चंपा ने अपनी किडनी देकर जो काम किया है वह कोई नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि उन्हें बहन पर गर्व है। वहीं इनके परिवार के सदस्य भी खुश हैं और क्षेत्र में दोनों बहनों के इस प्यार की खासी चर्चा है।