Himachal Disaster: मंडी में कैसे आई थी बाढ़? ये दो चोटियां बनी थी तबाही की वजह; 17 से ज्यादा लोगों की हुई मौत
Himachal Flood मंडी जिले के सराज क्षेत्र में 30 जून को शिकारी माता और रोहांडी की चोटियों पर बादल फटने से भारी तबाही हुई। बाढ़ से कई गांव उजड़ गए जिसमें पेड़ मिट्टी और चट्टानें बह गईं। रोहांडी की चोटियों से आई बाढ़ ने भराड़ रुकचूई प्याला देजी और थुनाग में भारी नुकसान पहुंचाया। लापता 11 लोगों की तलाश अभी भी जारी है।

जागरण संवाददाता, मंडी। Mandi Flood: मंडी जिले के सराज क्षेत्र में 30 जून की रात शिकारी माता व रोहांडी की चोटियों से तबाही निकली थी। इसने कई गांव उजाड़ दिए। दोनों चोटियां समुद्रतल से करीब 11,020 फीट की ऊंचाई पर हैं। इन्हीं चोटियों पर बादल फटे थे।
इससे निचले क्षेत्रों के नालों में सैलाब आ गया था। सैलाब अपने साथ पेड़, मिट्टी, चट्टानें लेकर आया था। रोहांडी की चोटियों पर बादल फटने से आई बाढ़ ने भराड़, रुकचूई, प्याला, देजी व थुनाग तक भारी तबाही मचाई।
पानी दो भागों में बंट गया
शिकारी की चोटियों में फटे बादल का पानी दो भागों में विभाजित हो गया था। आधा पानी करसोग के सनारली की ओर चला गया था। आधा क्योल नाले से होता हुआ पांडवशिला, जरोल व लंबाथाज तक तबाही की कहानी लिखता गया।
रोहांडी की चोटियों से आया सैलाब अपने साथ रुकचूई की बालू देवी, देजी के मुकेश कुमार के पांच सदस्यों व इंद्र सिंह के परिवार के चार सदस्यों को रसोईघर तथा घरों सहित बहा ले गया था। इसी गांव के शेर सिंह के घर में बल्ह हलके के भियूरा के रहने वाला टीजीटी शिक्षक सोहन सिंह भी ठहरे हुए थे। वह भी काल का ग्रास बन गए।
11 लोगों का कुछ अता-पता नहीं
यहां से लापता 11 लोगों में से किसी का 18 दिन बाद भी कोई सुराग नहीं लग पाया है। वहीं, इस आपदा में 17 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। एसडीआरएफ की टीम ने वीरवार को भी रुकचूई तक नाले का चप्पा चप्पा खंगाला। रुकचूई निवासी अच्छर सिंह के अनुसार उस रात साढ़े नौ बजे के बाद क्षेत्र में भारी वर्षा शुरू हुई थी।
एक घंटे के अंदर नाले उफान पर आ गए, जो सब कुछ बहा ले गए। बकौल, अच्छर सिंह क्षेत्र के इन नालों कभी इतना पानी नहीं आया था। गांव के बुजुर्ग यह बता रहे हैं।
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