IIT Mandi को भारतीय मूल के अमेरिकी दंपती ने दान किए 75 लाख रुपये, संस्थान कर रहा नित नए शोध; ऑपरेशन सिंदूर में दिए थे ड्रोन
आईआईटी मंडी को अमेरिका स्थित सतीश और कमलेश अग्रवाल दंपती ने 75 लाख रुपये का दान दिया है। इस राशि से “सतीश एवं कमलेश अग्रवाल चैरिटेबल फंड” की स्थापना होगी। फंड का उपयोग छात्रवृत्ति, अनुसंधान, स्मार्ट क्लासरूम और नवाचार में किया जाएगा। आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मिधर बेहरा ने इसे शिक्षा और नवाचार को बढ़ावा देने वाला कदम बताया।

आईआईटी मंडी का परिसर। जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाता, मंडी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी (आईआईटी मंडी) को शिक्षा, अनुसंधान और अवसंरचना विकास को नई दिशा देने वाला एक महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है। अमेरिका-स्थित दंपती सतीश अग्रवाल और कमलेश अग्रवाल ने संस्थान को 86,000 अमेरिकी डॉलर (करीब ₹75 लाख) का उदार दान प्रदान किया है।
संस्थान नित नए शोध कर रहा है। पाकिस्तान के विरुद्ध ऑपरेशन सिंदूर में भी संस्थान के ड्रोन देश के काम आए थे।
इस राशि से “सतीश एवं कमलेश अग्रवाल चैरिटेबल फंड, ह्यूस्टन, टेक्सास, यूएसए” की स्थापना की जाएगी, जो आईआईटी मंडी की विभिन्न दीर्घकालिक विकासात्मक परियोजनाओं को स्थायी वित्तीय आधार देगा।
अर्जित ब्याज छात्रवृत्ति व अनुसंधान पर होगा खर्च
यह फंड एक मास्टर अकाउंट के रूप में संचालित होगा। इसकी मूल राशि सुरक्षित रखी जाएगी और हर वर्ष अर्जित ब्याज का केवल 90% हिस्सा ही छात्रवृत्तियों, अनुसंधान परियोजनाओं, स्मार्ट क्लासरूम, संकाय एवं छात्र यात्रा अनुदान, नवाचार प्रयासों और अवसंरचना विकास जैसे स्वीकृत कार्यों में उपयोग होगा।
फंड के प्रबंधन, परियोजना चयन और पुनर्निवेश की निगरानी आईआईटी मंडी के संकायों की एग्ज़ीक्यूशन कमेटी (सीई) द्वारा की जाएगी।
इस सहयोग में आईआईटी रुड़की फाउंडेशन की रही भूमिका
इस महत्वपूर्ण सहयोग को संभव बनाने में आईआईटी रुड़की फाउंडेशन (IITRF), यूएसए की महत्वपूर्ण भूमिका रही। संस्थान ने रुड़की के निदेशक मंडल के प्रति आभार जताया है, जिसने दाताओं से प्राप्त संपूर्ण राशि बिना किसी प्रशासनिक कटौती के आईआईटी मंडी तक पहुंचाई। उल्लेखनीय है कि रुड़की का पूरा व्यय उसके निदेशक मंडल द्वारा स्वयं वहन किया जाता है, जिससे परोपकारी योगदान की प्रभावशीलता कई गुना बढ़ जाती है।
दान नवाचार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला कदम
आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मिधर बेहरा ने इस दान को उच्च शिक्षा और नवाचार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह सहयोग संस्थान के शैक्षणिक और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में बड़ा योगदान देगा। डोरा डीन प्रो. वरुण दत्त ने भी दानदाताओं के प्रति गहरा आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह फंड संस्थान की दीर्घकालिक उत्कृष्टता और नवाचार को निरंतर प्रोत्साहित करता रहेगा।
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ज्ञान और नवाचार से समाज पर स्थायी सकारात्मक प्रभाव पड़े : सतीश अग्रवाल
अपने संदेश में सतीश अग्रवाल ने कहा कि यह योगदान शिक्षा, शोध और समाज कल्याण को समर्पित है तथा उनका उद्देश्य है कि ज्ञान और नवाचार के माध्यम से समाज पर स्थायी सकारात्मक प्रभाव डाला जाए।

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