हिमाचल: कोर्ट का पत्नी को साझा घर में एक कमरा, रसोई व शौचालय उपलब्ध कराने का आदेश, घरेलू हिंसा के मामले में बड़ा फैसला
Himachal Pradesh News, मंडी जिला सत्र न्यायालय ने घरेलू हिंसा मामले में पत्नी की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की। न्यायालय ने पत्नी को साझा घर में एक कमर ...और पढ़ें

मंडी जिला सत्र न्यायालय ने पति-पत्नी के विवाद से जुड़े मामले में एक फैसला सुनाया है। प्रतीकात्मक फोटो
जागरण संवाददाता, मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी में जिला सत्र न्यायालय ने घरेलू हिंसा से जुड़े मामले में फैसला सुनाते हुए पत्नी की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है। सत्र न्यायाधीश ने बल्ह उपमंडल के बृखमणी निवासी स्नेह लता द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया है।
यह अपील मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मंडी द्वारा नौ अगस्त 2023 को पारित आदेश के खिलाफ दायर की गई थी।
2005 में हुआ था विवाह
मामले के अनुसार, स्नेह लता का विवाह 26 नवंबर 2005 को राकेश शर्मा के साथ हुआ था। इस दंपती की एक नाबालिग बेटी है जो वर्तमान में मां के साथ रह रही है।
नहीं दिया भरण पोषण व रहने की व्यवस्था
पत्नी ने आरोप लगाया कि विवाह के कुछ समय बाद उसके साथ मारपीट और मानसिक प्रताड़ना शुरू हो गई, जिसके चलते उसे 2018 में अपनी बेटी के साथ मायके में शरण लेनी पड़ी। महिला ने यह भी आरोप लगाया कि पति ने न तो उसे भरण-पोषण दिया और न ही रहने की कोई व्यवस्था की।
2500-2500 प्रति माह को बताया अपर्याप्त
ट्रायल कोर्ट ने पूर्व में पति को पत्नी और बेटी को 2,500-2,500 प्रति माह भरण-पोषण देने का आदेश दिया था, लेकिन पत्नी ने इसे अपर्याप्त बताते हुए सत्र न्यायालय में अपील दायर की थी। अपील में भरण-पोषण बढ़ाने, साझा आवास उपलब्ध कराने, संरक्षण आदेश लौटाने की मांग की गई थी।
पति की आय का सीमित साधन
सत्र न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के राजनेश बनाम नेहा फैसले के आलोक में मामले पर पुनर्विचार किया। न्यायालय ने पाया कि पति की आय मुख्य रूप से मनरेगा के तहत मजदूरी तक सीमित है और अधिक आय का कोई ठोस प्रमाण रिकार्ड पर नहीं है। ऐसे में भरण-पोषण की राशि बढ़ाना न्यायोचित नहीं माना गया।
साझा घर में रहने का अधिकार सुरक्षित
न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि महिला का साझा आवास में रहने का अधिकार कानूनन सुरक्षित है। इस आधार पर न्यायालय ने पति को निर्देश दिया कि वह पत्नी को साझा घर में एक कमरा, रसोई और शौचालय उपलब्ध कराएं या वैकल्पिक रूप से 2,500 प्रति माह किराया दे। इसके साथ ही पत्नी के पक्ष में संरक्षण आदेश भी पारित किया गया। न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के भरण-पोषण आदेश को बरकरार रखते हुए उसमें आवास संबंधी राहत जोड़ दी।

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