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    कुल्लू में मलबे से निकली जिंदगी, हाईवे था बंद तो ग्रीन कॉरिडोर बना एम्स पहुंचाया घायल, ...तीन मशीनों पर गिरे पत्थर

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 05:17 PM (IST)

    Himachal Pradesh Kullu Landslide कुल्लू में भूस्खलन से घायल अभिनव सांख्यायन को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एम्स बिलासपुर पहुंचाया गया। औट और झलोगी में फोरलेन बाधित होने के बावजूद दो जिलों के उपायुक्तों एनएचएआइ और डॉक्टरों ने मिलकर त्वरित कार्यवाही की। मलबे हटाते समय मशीनें क्षतिग्रस्त हुईं पर टीम ने हार नहीं मानी।

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    मनाली हाईवे पर भूस्खलन के बावजूद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर घायल को एम्स ले जाते हुए व पोकलेन पर गिरे पत्थर।

    हंसराज सैनी, मंडी। Himachal Pradesh Kullu Landslide, कभी-कभी जिंदगी और मौत के बीच का फासला कुछ मिनटों का ही होता है। कुल्लू के अखाड़ा बाजार का युवा अभिनव सांख्यायन भी इसी कगार पर खड़ा था। अचानक पहाड़ी से गिरे मलबे ने उसके सपनों पर चोट कर दी। सिर पर गंभीर चोटें लेकर वह मौत से जंग लड़ रहा था, लेकिन पूरे तंत्र ने इंसानियत का ऐसा जज्बा दिखाया कि कठिन पहाड़ भी मानो रास्ता देने को मजबूर हो गए।

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    ग्रीन कारिडोर बनाकर जिस तरह प्रशासन, एनएचएआइ और डाक्टरों ने मिलकर उसे एम्स बिलासपुर तक पहुंचाया, वह न सिर्फ जिंदगी बचाने का प्रयास था, बल्कि उम्मीद की वो लौ थी जो अंधेरे में भी बुझने नहीं दी गई।

    विपरीत परिस्थित में 100 किलोमीटर से ज्यादा का सफर दो घंटे से कम समय में तय कर घायल को एम्स बिलासपुर पहुंचाया गया। 

    यह सफर न केवल प्रशासनिक तंत्र की त्वरित सक्रियता का उदाहरण बना बल्कि मानवता की उस मिसाल को भी उजागर कर गया, जब पहाड़, रास्ते और खतरनाक हालात को दरकिनार कर एक जिंदगी बचाने की कोशिश की गई।

    अभिनव सांख्यायन के मकान पर वीरवार सुबह पहाड़ी से अचानक भारी मलबा आ गिरा था। मलबे की चपेट में आने से सिर पर गंभीर चोटें लगीं। हालत नाजुक हो गई थी। मलबे से निकालने के बाद उसे क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू ले जाया गया। हेड इंजरी को देखते हुए डाक्टरों ने तुरंत एम्स बिलासपुर के लिए रेफर करने का निर्णय लिया। लेकिन कीरतपुर-मनाली फोरलेन औट में बंद था। वैकल्पिक मार्ग मंडी कमांद बजौरा भी भूस्खलन से बाधित है। बस यहीं से शुरू हुई जिंदगी बचाने की असली जंग।

    दो जिलों के डीसी ने ग्रीन काेरिडोर बनाने का दिया निर्देश

    उपायुक्त कुल्लू तोरुल एस रवीश से लोगों और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने संपर्क किया। उन्होंने तुरंत एंबुलेंस और एस्कार्ट वाहन की व्यवस्था की और मंडी प्रशासन से संपर्क साधा। सरकार के निर्देश पर उपायुक्त मंडी ने तुरंत ग्रीन कारिडोर बनाने का आदेश दिया।

    एनएचएआई ने लगा दी मशीनरी

    एनएचएआइ के परियोजना निदेशक वरुण चारी से बात की गई। भारी वर्षा के बीच एनएचएआइ ने अपनी पूरी टीम मशीनरी सहित मार्ग पर उतार दी। बनाला, औट और झलोगी में जान जोखिम में डाल रास्ते से मलबा हटाया।

    मलबा हटाते तीन मशीनरी पर गिरे पत्थर

    मलबा हटाते समय पहाड़ से गिरे बड़े पत्थरों ने तीन पोकलेन को क्षतिग्रस्त कर दिया, लेकिन कर्मचारियों व आपरेटर का हौसला नहीं टूटा। उनकी प्राथमिकता केवल एक थी....जिंदगी बचानी है। औट से मंडी तक का सफर प्रशासन, एनएचएआइ के सामूहिक प्रयासों का गवाह बना।

    एनएचएआइ की एंबुलेंस व डॉक्टरों की टीम भी साथ रही

    एनएचएआइ की एंबुलेंस, हेल्पलाइन वाहन और डाक्टरों की टीम हर कदम साथ रही। रास्ते में जगह-जगह पुलिस ने यातायात रोककर ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया। आम लोग भी इस मानवीय प्रयास में सहयोगी बने, जिन्होंने एंबुलेंस के लिए मार्ग खाली कर दिया।

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    एम्स बिलासपुर तक इस खतरनाक सफर ने सबका दिल छू लिया। पहाड़ों में अक्सर प्राकृतिक आपदाओं के कारण जान-माल का नुकसान होता है, लेकिन ऐसे कठिन हालात में भी जब पूरा तंत्र एकजुट होकर किसी को जीवनदान देने का संकल्प ले, तो उम्मीदें मजबूत हो जाती हैं।

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