Himachal Disaster: सराज में आई त्रासदी में पुल बहा तो घटेहड़ के ग्रामीणों ने चार दिन में बना दिया लकड़ी का पुल
Himachal Pradesh Disaster हिमाचल प्रदेश के सराज में बादल फटने से कई पुल टूट गए जिससे ब्रयोगी पंचायत का संपर्क टूट गया। घटेहड़ गांव के लोगों ने आपसी सहयोग से केवल चार दिनों में लकड़ी का पुल बनाकर 250 ग्रामीणों के लिए रास्ता सुगम कर दिया। मिस्त्री अमर सिंह के मार्गदर्शन में ग्रामीणों ने बाढ़ में बहकर आई लकड़ी का उपयोग करके यह पुल बनाया।

गगन सिंह ठाकुर, थुनाग। Himachal Pradesh Disaster, आपदा की घड़ी में संयम रख मदद आने से पहले अपने दम पर ही पुल बनाकर सराज की ब्रयोगी पंचायत के घटेहड़ के लोगों ने एक सामूहिक एकता की एक मिसाल कायम की है। बाढ़ में घरटेहड़ को जोड़ने वाला पुल बह गया तो गांव के लोगों ने आपसी सहयोग से चार दिन में लकड़ी का पैदल पुल तैयार कर दिया। गांव के ही मिस्त्री 52 वर्षीय अमर सिंह के मार्गदर्शन में यह काम हुआ।
30 जून की त्रासदी में बह गए नौ पुल
30 जून की रात को जब सराज में बादल फटने की घटना हुई तो ब्रयोगी पंचायत को जोड़ने वाले नौ पुल इस बाढ़ की चपेट में आ गए। इसमें एक पुल कोट, ब्रयोगी में दो, एक लटाग, तीन घरटेहड, एक-एक सेंसर और भलाटी में था। इसके बाद घरटेहड़ सहित गुलाटी, टील, नगलाई, नरोटी गांव का संपर्क पूरी तरह से टूट गया।
दो जून को आरंभ किया कार्य पांच को पूरा
आपदा में रास्ते बंद होने के कारण जल्दी मदद मिले, इसके लिए ग्रामीणों ने अपने स्तर पर ही पुल बनाने की योजना बनाई और बाढ़ में बहकर आई लकड़ी का ही प्रयोग कर लिया। मिस्त्री अमर सिंह के साथ वार्ड सदस्य मेवा लाल व ग्रामीण अमर सिंह, हरी सिंह, कृष्ण लाल, जारू राम, सोमदत्त आदि ने दो जून को इसका काम आरंभ किया और पांच जून को पुल तैयार कर आवाजाही के लिए सुचारू कर दिया।
250 लोगों की आवाजाही के लिए बना सुगम रास्ता
इस लकड़ी के पुल के बनने के बाद करीब 200 से 250 की आबादी को आवाजाही के लिए सुगम रास्ता बन गया है। गाड़ी योग्य सड़क तक पहुंचने के लिए अभी समय लगेगा, लेकिन जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए ग्रामीणों की यह पहल अन्य लोगों के लिए संदेश देकर जा रही है।
लोगों को करनी चाहिए पहल : बीडीसी सदस्य
बीडीसी सदस्य बिहारी लाल ने बताया कि घरटेहड़ के लोगों ने आपसी सामंजस्य से यह पुल बनाया है। यह बाकी लोगों के लिए अच्छा संदेश है। सराज को व्यवस्थित होने में समय लग सकता है लेकिन जो अपने दम पर हो सके, लोगों को वह पहल खुद करनी चाहिए।
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