Himachal Panchayat Chunav: पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट तेज, विकास के दावों के बीच परिवर्तन के नारे; राजनीतिक दल पर्दे के पीछे सक्रिय
हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। मंडी जिले में 555 पंचायतों के लिए चुनाव होने हैं, जिसके लिए उम्मीदवार प्रचार में जुट गए हैं। मतदाता सूचियों का प्रारूप प्रकाशित हो गया है। इस बार चार पंचायतें कम हुई हैं, जबकि तीन नए विकास खंड बने हैं। युवाओं की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।

जागरण संवाददाता, मंडी। हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर हरकत तेज हो गई है। मंडी जिला में भी ग्रामीण संसद के चुनाव की सुगबुगाहट ने क्षेत्र का माहौल गरमा दिया है। चुनाव की आधिकारिक घोषणा भले ही नहीं हुई है, लेकिन चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग अपनी तैयारी और प्रचार-प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।
इंटरनेट मीडिया पर संभावित उम्मीदवारों ने अपने पोस्टर, वीडियो और प्रचार संदेशों के जरिए जनता से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। कहीं विकास के दावे किए जा रहे हैं, तो कहीं नए चेहरे परिवर्तन के नारे के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
इस बार मंडी जिला में 555 पंचायतों, 36 जिला परिषद वार्डों और करीब 270 ब्लाक विकास समिति (बीडीसी) सीटों के लिए प्रतिनिधि चुने जाएंगे। ग्रामीण सरकार कहे जाने वाले इन चुनावों में लाखों लोगों की भागीदारी रहती है। यही कारण है कि उम्मीदवार अब से ही अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय हो गए हैं। प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियां पूरी गति पर हैं।
मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया शीघ्र पूरी होगी
जिला प्रशासन ने पंचायत चुनावों को ध्यान में रखते हुए मतदाता सूचियों का प्रारूप प्रकाशित कर दिया है। लोग अब अपने नाम और विवरण की जांच कर सकते हैं। आवश्यक सुधार या आपत्तियां दर्ज करवा सकते हैं। अधिकारियों के अनुसार, सूची संशोधन की प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी कर ली जाएगी, ताकि चुनाव तिथि घोषित होते ही मतदान की प्रक्रिया बिना किसी देरी के शुरू हो सके।
मंडी चार पंचायतें हुई कम
इस बार जिला में चार पंचायतें कम हो गई हैं, जबकि तीन नए विकास खंड बनाए गए हैं। वहीं, शहरी निकायों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। जिले में पहले पंचायतों की कुल संख्या 559 थी। 11 ब्लाक और सात शहरी निकाय थे।
संधोल, धर्मपुर और बलद्वाड़ा में नगर पंचायत बनने के बाद यहां चार पंचायतें कम हुई हैं। धनोटू, निहरी और चुराग में नए ब्लाक स्थापित किए गए हैं। इंटरनेट मीडिया पर प्रचार का दौर इस बार पहले से ज्यादा तेज है। फेसबुक और वाट्सएप समूहों में संभावित उम्मीदवार अपने किए गए कार्यों, योजनाओं और भविष्य की रूपरेखा साझा कर रहे हैं।
राजनीतिक दल भी पर्दे के पीछे सक्रिय
कई पुराने पदाधिकारी अपने कार्यकाल की उपलब्धियां बता रहे हैं, जबकि युवा प्रत्याशी नई सोच और विकास की दिशा में जनता को आकर्षित करने की कोशिश में जुटे हैं। राजनीतिक दलों ने भी पर्दे के पीछे से अपने संभावित उम्मीदवारों को लेकर बातचीत शुरू कर दी है। कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी अपने-अपने समर्थकों को संगठित करने में लगे हैं। गांव-गांव में चाय बैठकों, छोटे जनसंपर्क कार्यक्रमों और रात्रि चौपालों का सिलसिला शुरू हो गया है।
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महिलाओं और युवाओं की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद
महिलाओं और युवाओं की भागीदारी इस बार विशेष रूप से बढ़ने की उम्मीद है। पंचायतों में आरक्षण प्रणाली के चलते कई नए चेहरे राजनीति में कदम रखेंगे। इससे ग्रामीण नेतृत्व में नई ऊर्जा और दृष्टिकोण आने की संभावना है। अब सबकी निगाहें राज्य सरकार की ओर हैं, जो किसी भी समय ग्रामीण संसद चुनाव की तिथियों की घोषणा कर सकती है। जैसे ही तिथि तय होगी, मंडी की राजनीति का पारा और ऊपर चढ़ने में देर नहीं लगेगी।
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