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IIT मंडी के बीओजी ने स्‍टूडेंट्स को पढ़ाया अनुशासन का पाठ, ढिल्‍लो बोले- 'समय पर लक्ष्‍य हासिल करना ही है डिसिप्लिन'

IIT Mandi के बीओजी ने स्‍टूडेंट्स को अनुशासन का पाठ पढ़ाया है। उन्होंने कहा कि अनुशासन का मतलब सही समय पर उठना नहीं होता बल्कि जो लक्ष्य मिला है उसे समय पर हासिल होता है। आज के बाद विद्यार्थी अपने जीवन के अगले चरण में प्रवेश करेंगे वहां भी अपने संस्थान की विज्ञानिक संस्कृति की विरासत को छोड़े नहीं बल्कि अपने हर काम में इसका हमेशा उपयोग करें।

By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaPublished: Tue, 17 Oct 2023 10:25 AM (IST)Updated: Tue, 17 Oct 2023 10:25 AM (IST)
IIT मंडी के बीओजी ने स्‍टूडेंट्स को पढ़ाया अनुशासन का पाठ, ढिल्‍लो बोले- 'समय पर लक्ष्‍य हासिल करना ही है डिसिप्लिन'
IIT मंडी के बीओजी ने स्‍टूडेंट्स को पढ़ाया अनुशासन का पाठ

जागरण संवाददाता, मंडी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के 11वें दीक्षा समारोह की अध्यक्षता करते हुए बोर्ड आफ गवर्नर्स (बीओजी) के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत्त कवंल जीत सिंह ढिल्लो ने विद्यार्थियों अनुशासन का पाठ पढ़ाया।

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ढिल्‍लो ने कहा कि अनुशासन का मतलब सही समय पर उठना नहीं होता, बल्कि जो लक्ष्य मिला है, उसे समय पर हासिल होता है। आज के बाद विद्यार्थी अपने जीवन के अगले चरण में प्रवेश करेंगे वहां भी अपने संस्थान की विज्ञानिक संस्कृति की विरासत को छोड़े नहीं बल्कि अपने हर काम में इसका हमेशा उपयोग करें।

पेशेवर दक्षता व समझौता न करने वाला चरित्र समाज का नेतृत्व करने में बनाता है सशक्त

संस्थान के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने कहा कि पेशेवर दक्षता और समझौता न करने वाला चरित्र विद्यार्थियों को विभिन्न तरीकों से समाज का नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022-2023 में संस्थान ने 400 से अधिक जर्नल पेपर प्रकाशित किए हैं।

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कुल 21.28 करोड़ रुपये के अनुदान के साथ 83 परियोजनाएं प्राप्त की हैं। वर्तमान में 87 करोड़ रुपये की 158 अनुसंधान परियोजनाओं पर काम चल रहा है। अगले पांच वर्षों में संकाय संख्या को मौजूदा 187 से बढ़ाकर 350 और छात्रों की संख्या को मौजूदा 2800 (लगभग) से बढ़ाकर 5000 से अधिक करने की योजना बना रहे है।

जीवन की चुनौतियों व अवसरों को खुले से स्वीकार करें

सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स बेंगलुरु के उपाध्यक्ष डा. बलविंदर सिंह ने स्नातक कक्षा को जीवन के अवसरों और चुनौतियों को खुली बाजुओं से स्वीकार करने और दुनिया को जीतने का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि चुनौतियां हमें जीवन का नया पाठ पढ़ाती हैं।

प्रौद्योगिकी विकसित करने में ध्यान दें युवा पीढ़ी

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद के प्रोफेसर आरपी सिंह ने क्वांटम प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनुसंधान का नेतृत्व करने और बड़े पैमाने पर उपभोग के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने पर युवा पीढ़ी को ध्यान देना होगा।

निरंतर सीखने का रास्ता चुनने

इंजीनियरिंग पर्सिस्टेंट सिस्टम्स पुणे के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. आनंद वोरा ने छात्रों को निरंतर सीखने का रास्ता चुनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि इसके बिना कोई भी सफलता की राह पर नहीं टिक सकता।

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नवाचार, निर्माण और परिवर्तन में चाहिए सही सलाहकार

नेशनल इंस्टीट्यूट फार मेटेरियल्स साइंस (एनआईएमएस), त्सुकुबा, जापान के प्रधान अनुसंधान वैज्ञानिक प्रो. अनिर्बान बंद्योपाध्याय ने प्रत्येक इंजीनियर को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनोखी दृष्टि और नवाचार, निर्माण और परिवर्तन की गहरी प्रवृत्ति और सही सलाहकारों की आवश्यकता पर जोर दिया।


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