Barot Hill Station: गर्मी से राहत और आपको सुकून भी देगा यह हिल स्टेशन, सुनिए नदी की कलकल और देखिए ग्लेशियर
बरोट समुद्र तल से 1900 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। शानन विद्युत परियोजना की ट्राली ट्रेन की लाइन का आखिरी छोर बरोट के पास है। यहां ऊहल नदी पर बना बांध शानन परियोजना की रिजरवायर और ग्रेविटी प्रेशर से निकलने वाला पानी भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

मंडी, मुकेश मेहरा। यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं तो हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित हिल स्टेशन बरोट आएं। यहां की हरी-भरी वादियां, ऊंचे पहाड़ और सर्द हवा आपका मन मोह लेगी। सर्पीली सड़क पर सैर, ट्रेकिंग, ग्लेशियर देखने और खुद पकड़ कर ट्राउट मछली खाने का मजा आपको यहां मिलेगा। मंडी जिला के एक छोर पर चौहार घाटी की वादियों में बसे बरोट में स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ आपके सफर को यादगार बना देगा। पर्यटकों के लिए बरोट अद्भुत यात्रा स्थल है।
बरोट समुद्र तल से 1,900 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। शानन विद्युत परियोजना की ट्राली ट्रेन की लाइन का आखिरी छोर बरोट के पास है। यहां ऊहल नदी पर बना बांध, शानन परियोजना की रिजरवायर और ग्रेविटी प्रेशर से निकलने वाला पानी भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। बरोट से 10 किलोमीटर दूर करेरी झील भी सबको लुभाती है।
रोमांच बढ़ा देगा राजगुंधा से बिलिंग तक का सफर
बरोट से आगे बढ़ें तो 26 किलोमीटर दूर राजगुंधा है जहां तक का सफर आपको रोमांच से भर देगा। राजगुंधा से बिलिंग तक 14 किलोमीटर की सड़क में आपका रोमांच कई गुणा बढ़ जाएगा। घने जंगल के बीच बनी सड़क से गुजरते समय पक्षियों का चहचहाना रोमांचित करता है। थमसर ग्लेशियर भी निकट है। बड़ा भंगाल भी यहीं से जाते हैं। ग्रामीण परिवेश, हरे-भरे खेत और वादियों का नजारा आकर्षित करता है। यहां आलू, मटर, राजमाह व गोभी का उत्पादन होता है। राजगुंधा से 12 किलोमीटर दूर सड़क से कांगड़ा घाटी का पौंग बांध नजर आता है। बरोट से बड़ाग्रां 22 किलोमीटर है, जहां से ऊहल नदी निकलती है।
ये हैं ट्रेकिंग रूट
चौहार घाटी के सिल्हबुधाणी से कुल्लू के लिए वाया भुभु जोत और बरोट से चंबा के लिए वाया छोटा-बड़ा भंगाल ट्रेकिंग रूट है। बरोट, झटिंगरी, फुलाधार, घोघरधार, बधौणधार होते हुए पराशर ऋषि मंदिर तक पर्यटक ट्रेकिंग कर सकते हैं।
क्या खाएं
बरोट आएं तो यहां उगाए जाने वाले राजमाह जरूर खाएं। बरोट में लाल, पीला, काला व चितरा राजमाह होता है जिनका स्वाद लाजवाब है। इसके अलावा गुच्छी (ऊंचे पहाड़ी इलाके में घने जंगल में कुदरती रूप से पाई जाने वाली सब्जी) का मदरा व सिड्डू (गेहूं के आटे, उड़द दाल आदि के मिश्रण से बना व्यंजन) भी जरूर चखें।
इसलिए मशहूर है ट्राउट
बड़ा भंगाल घाटी से बहने वाली ऊहल नदी में ट्राउट मछली होती है। यह ठंडे पानी की मछली है जिसमें एक ही कांटा होता है। इसका स्वाद अन्य मछलियों से अलग होता है। बरोट में ट्राउट फार्म है जहां पर्यटक खुद मछली पकड़ कर इसे खरीद सकते हैं। एक साल में तीन हजार टन तक मछली यहां बिक जाती है। ट्राउट का वजन 13 से 15 किलोग्राम तक होता है। ट्राउट 550 रुपये किलोग्राम तक मिलती है।
बरोट आलू की खासियत
बरोट के ठंडे वातावरण में तैयार होने वाला आलू स्वादिष्ट व पौष्टिक होता है। बेहतर स्वाद के कारण बरोट के आलू की मांग दिल्ली व मुंबई तक है। किसान आलू उगाने के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं। आलू की प्राकृतिक रूप से खेती की जाती है।
ऐसे पहुंचें
निकटवर्ती हवाई अड्डा गगल स्थित कांगड़ा में है। यहां से बरोट 113 किलोमीटर है, जहां टैक्सी व बस से पहुंचा जा सकता है। चंडीगढ़ से बरोट 265 किलोमीटर है। ट्रेन से आना है तो पठानकोट के निकट चक्की बैंक उतरना होगा, जहां से बरोट 189 किलोमीटर है। पठानकोट से कांगड़ा घाटी के चलने वाली रेलगाड़ी से होते हुए 120 किलोमीटर दूर बैजनाथ तक आ सकते हैं।
यहां ठहरें
बरोट में रहने के लिए अंग्रेजों के समय का लकड़ी से बना विश्राम गृह है। इसकी देखरेख व बुकिंग लोक निर्माण विभाग करता है। इसके अलावा होटल व कैंपिंग साइट हैं।
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