अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में 15 साल बाद आएंगे कुल्लू के देव बड़ा छमांहू
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में बिना बुनाए ही 15 साल बाद बड़ा देव छमांह आएंगे देवता ने गत वर्ष भी मेले में आने की इच्छा जताई थी लेकिन प्रशासन ने मना कर दिया था।
मंडी, जेएनएन। कुल्लू के देव बड़ा छमांहू 5000 हारियानों के लाव लश्कर के साथ अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में 15 साल बाद आएंगे। देवता ने महोत्सव में आने की इच्छा जताई है। देवता के ऐलान से मेला आयोजकों के हाथ-पांव फूल गए हैं। देवता ने गत वर्ष भी मेले में आने की इच्छा जताई थी, लेकिन प्रशासन व सर्व देवता समिति ने व्यवस्थाओं का हवाला देकर मना कर दिया था।
हारियानों ने इस बार अपने खर्च पर महोत्सव में आने की बात कही है। देव बड़ा छमांहू कुल्लू जिले के बंजार उपमंडल की कोटला पंचायत से संबंध रखते हैं। 21 फरवरी को ऐतिहासिक कोठी कोटला से रवाना होंगे। 22 फरवरी को माधोराय व 18 करडु के साथ भव्य मिलन होगा। हजारों लोग देव मिलन के गवाह बनेंगे।
बड़ा छमांहू की 44000 हैं रानियां
बड़ा देव छमांहू की 44 हजार रानियां हैं। जब देवता तपस्या में लीन होने के बाद स्वर्ग से लौटते हैं तो सर्वप्रथम रानियों से मिलने जाते हैं। इस दौरान हजारों लोग देवरथ को रानियों के कब्जे में से छुड़ाने का प्रयास करते हैं। रस्सा लगाने के बाद भी हजारों लोग देवरथ को नहीं खींच पाते हैं। देवता एक ही स्थान पर स्थिर रहते हैं।
सृष्टि के रचियता हैं बड़ा छमांहू
नव संवत के दिन सृष्टि उत्पन्न हुई थी। बड़ा छमांहू को सृष्टि का रचियता माना जाता है। बड़ा छमांहू का अर्थ है छह समूह देवताओं का एक देव। यानी एक देवरथ में छह देवी-देवता वास करते हैं। इसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश व शेष नाग की शक्ति भी समाहित है। देवता के प्रति लोगों की गहरी आस्था है।
देव बड़ा छमांहू को शिवरात्रि
महोत्सव का निमंत्रण नहीं दिया गया है। देवता ने स्वयं महोत्सव में आने की इच्छा जताई है। फिलहाल ऐसी जानकारी मिली है।
-शिवपाल शर्मा, अध्यक्ष सर्व देवता समिति मंडी
न आने वाले देवताओं का पंजीकरण होगा रद
पहले ही नए देवताओं के पंजीकरण को लेकर विवाद चल रहा है उसके विपरीत अब जिला प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि में न आने वाले देवताओं के पंजीकरण रद करने का निर्णय लिया है। कुल 18 ऐसे देवता हैं, जिनसे मेले में निमंत्रण के बावजूद न आने का कारण पूछा गया है। अब इनके जवाब आने के बाद इनके पंजीकरण को रद करने की प्रक्रिया प्रशासन करेगा।
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में हर वर्ष 216 पंजीकृत देवताओं को निमंत्रण भेजा जाता है, लेकिन शिवरात्रि में 190 से 192 देवता इसमें भाग लेते हैं। लगभग 18 से 20 देवता ऐसे हैं जो लंबे समय से शिवरात्रि में शिरकत नहीं कर रहे हैं।
प्रशासन की ओर से इन देवताओं को निमंत्रण पत्र के साथ मेले में न आने का कारण भी पूछा है। हालांकि अभी तक कुछ देवताओं ने इसका जवाब दिया है तथा मेले में न आने के लिए असमर्थता जताई
है। अब प्रशासन इन देवताओं के जवाब का इंतजार करेगा और अगर इस बार ये शामिल नहीं होते हैं, तो इनका पंजीकरण रद कर दिया जाएगा। हालांकि इसके लिए सर्व देवता समिति की ओर से भी
प्रशासन चर्चा करेगा। देवता समिति के द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के बाद ही पंजीकरण रद होगा।
ये देवता नहीं आ रहे लंबे समय से देव चंडोही, देव बरनाग। ये दोनों देवता माधोराय की जलेब के दाईं व बाईं ओर चलते थे। पूर्व में हुए धुर विवाद के चलते इन्होंने आना बंद कर दिया। इसी तरह देव ज्वालापुर, देव वैणी कजैहरी, देव कास्लाग्रां द्रंग, देव किगस नारायण, देव खबलाशी नारायण, देव खांगली नारायण, देव खंबराग्रां मार्केंडेय, देवी कुमारी र्हिंडबा, देवी हिडिंबा गुम्मा, छोटी र्हिंडबा, देव चकनवाली द्रंग, देव बैणी आदि
ऐसे हैं जो लंबे समय से शिवरात्रि में शिरकत नहीं कर रहे हैं।
जला प्रशासन ने शिवरात्रि में न आने वाले देवताओं को चिट्ठी लिखकर इसका कारण पूछा है। जवाब संतोषजनक न होने पर देवताओं के पंजीकरण रद करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा।
-श्रवण मांटा, एडीएम मंडी
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शिवरात्रि में आने के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगाई थी, परंतु देवता का निमंत्रण ठुकरा दिया। अब स्वयं देवता हारियानों के साथ अपने खर्चे पर आएंगे
-मोहन सिंह, कारदार बड़ा छमांहू कोटला
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