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    बिजली महादेव रोपवे परियोजना में पर्यावरणीय उल्लंघन पर NGT सख्त, ...सभी जिम्मेदार पक्षों को कानून अनुसार उत्तर देने का आदेश

    By Jagran News Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Mon, 17 Nov 2025 11:44 AM (IST)

    नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कुल्लू में बन रही बिजली महादेव रोपवे परियोजना में पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन पर कड़ा रुख अपनाया है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि परियोजना से जुड़े सभी जिम्मेदार पक्षों को कानून के अनुसार जवाब देना होगा। आवेदकों ने आरोप लगाया है कि रोपवे निर्माण में पर्यावरणीय नियमों का पालन नहीं किया गया, जिससे जंगलों को नुकसान हुआ है। मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।

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    बिजली महादेव रोपवे परियोजना में पर्यावरणीय उल्लंघन पर एनजीटी ने संज्ञान लिया है।

    जागरण संवाददाता, मंडी। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में निर्माणाधीन 2.4 किलोमीटर लंबी बिजली महादेव रोपवे परियोजना में पर्यावरणीय मानकों के कथित उल्लंघन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाया है। ट्रिब्यूनल की प्रधान पीठ ने स्पष्ट किया कि परियोजना से जुड़े सभी जिम्मेदार पक्षों को कानून के अनुसार उत्तर देना होगा और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

    मामला दो मूल आवेदनों नचिकेता शर्मा बनाम भारत संघ व अन्य तथा बिजली महादेव मंदिर समिति बनाम भारत संघ व अन्य से जुड़ा है, जिनमें समान पर्यावरणीय मुद्दे होने पर इन्हें एक साथ सुना गया। 

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    जंगलों को नुकसान पहुंचा

    आवेदकों ने आरोप लगाया है कि रोपवे निर्माण के दौरान पर्यावरणीय मंजूरियों का पालन नहीं किया गया, जंगलों को नुकसान पहुंचा और संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाला गया है। सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से उपस्थित वकीलों ने यह महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया कि परियोजना का वास्तविक क्रियान्वयन रवि इंफ्राबिल्ड प्रोजेक्ट लिमिटेड उदयपुर द्वारा किया जा रहा है। इसलिए उसे भी मामले में आवश्यक पक्षकार बनाया जाए।

    कंपनी को प्रतिवादी के रूप में शामिल होने का निर्देश

    ट्रिब्यूनल ने मौखिक अनुरोध स्वीकार करते हुए कंपनी को प्रतिवादी के रूप में शामिल करने के निर्देश दिए। साथ ही आवेदकों को कारण सूची में संशोधन कर नई जोड़ी गई पार्टी को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। 

    अगली सुनवाई से पहले देना होगा जवाब

    अब कंपनी को अगली सुनवाई से पहले अपना उत्तर दाखिल करना होगा। सुनवाई में राज्य सरकार, वन विभाग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पर्यावरण मंत्रालय और अन्य प्रतिवादी पक्षों की ओर से भी वकील उपस्थित रहे। प्रतिवादी ने अपने उत्तर और लंबित अंतरिम आवेदन पर उत्तर दाखिल कर दिया है।

    अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी

    वहीं अन्य प्रतिवादियों की ओर से वकील ने सूचित किया कि वह संबंधित मामले में दाखिल पूर्व उत्तर को अपनाते हैं। आवेदकों ने जवाब दोबारा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, जिसे ट्रिब्यूनल ने स्वीकार कर लिया। मामले को आगे की सुनवाई के लिए 27 नवंबर को सूचीबद्ध किया है।

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