राख के ढेर पर कुल्लू के कई ऐतिहासिक गांव
जिला कुल्लू के प्राचीन और ऐतिहासिक गांव राख के ढेर पर है। दर्जनों अग्निकांड की घटनाएं होने के बावजूद लोग जागरूक नहीं हो रहे है।
कुल्लू [देवेंद्र ठाकुर] : जिला कुल्लू के प्राचीन और ऐतिहासिक गांव राख के ढेर पर है। दर्जनों अग्निकांड की घटनाएं होने के बावजूद लोग जागरूक नहीं हो रहे है। यहां पर आग लगने का प्रमुख कारण घरों में रखा घास व लकडि़यां होते है। छोटी सी चिंगारी ही गांव को राख के ढेर में तबदील कर देती है। इन अग्निकांडो में कई गांव, प्राचीन मंदिर व भवन राख हो चुके है। लेकिन सरकार और प्रशासन भी इन अग्निकांडो पर रोक नहीं लगा पा रहे है। कुल्लू के कई ऐतिहासिक गांवों पर अब भी खतरे के बादल है। कुल्लू का मलाणा अग्निकांड आज भी किसी को भूला नहीं है।
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कुल्लू जिला के ज्यादातर मकान काष्ठकुणी शैली के बने है। इसमें कुल्लू के आनी, मनाली, बंजार, निरमंड आदि क्षेत्र शामिल है। कुछ समय पहले सैंज घाटी के शैंशर गांव में भी घर जल गए थे। इसमें शंगचूल महादेव का मंदिर भी शामिल था। जिला के कई गांव ऐसे है जहां पर आज भी पानी के भंडारण के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है। इन गांवों में हलकी सी आग की चिंगारी भी सब कुछ पलभर में राख कर सकती है। ज्यादातर गांवों में पानी के भंडारण टैंक तो बनाए गए है, लेकिन वे केवल मात्र शोपीस ही है। उनमें न तो पानी होता है और न ही प्रयोग योग्य बनाए गए है।
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सरकारी योजनाओं का अभाव
स्थानीय लोगों की माने तो यहां पर सरकारी योजनाओं का अभाव भी है। सरकार और विभाग को चाहिए कि गांवों में आग से बचाव के तरीके बताए जाएं। गांव में पानी के स्टोर का होना भी जरूरी है। अगर पानी पूर्ण मात्रा में हो तो आग पर काबू पाया जा सकता है। सड़को की हालत सुधारने पर भी सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
कुल्लू जिले मे हुए बडे़ अग्निकांड
- 20 दिसंबर 2007 को मोहणी गांव में 46 मकान जलकर राख हो गए थे।
- पांच जनवरी 2008 को मलाणा गांव में आग ने काफी कहर बरपाया था। इसमे 146 मकान जले थे।
- 25 नवंबर 2008 को सोलंग मे 35 मकान आग की भेट चढ़ गए थे।
- 15 नवंबर 2015 को कोटला गांव मे 90 मकान जलकर राख हुए थे।
- दो नवंबर को गाहर गांव मे नौ घर जल गए।
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अग्निकांड से बचने के लिए समय-समय पर लोगों के लिए जागरूकता शिविर लगाए जाते है। इसके लिए पंचायतों को भी निर्देश जारी कर दिए है कि लोगों को जागरूक करे। लोग घास व लकडि़यां घरों से दूर रखे, ताकि आग न लग सके।- यूनुस, उपायुक्त कुल्लू।
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