Manali News: हिमाचल प्रदेश के मनाली में 50 साल में 80 गुना बढ़ गया कंक्रीट का जंगल
उत्तराखंड के जोशीमठ में करीब डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में हुए भूधंसाव के बाद पर्यटन नगरी मनाली के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है। मनाली शहर 2000 की आब ...और पढ़ें

मनाली, जागरण संवाददाता : उत्तराखंड के जोशीमठ में करीब डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में हुए भूधंसाव के बाद पर्यटन नगरी मनाली के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है। मनाली शहर 2000 की आबादी को ध्यान में रखकर बसाया गया था। 1961 में नोटिफाइड एरिया कमेटी (अधिसूचित क्षेत्र समिति) गठित हुई थी, जिसमें मनाली व सियाल गांव भी शामिल थे, लेकिन हिमाचल गठन के बाद 1969 में संशोधित कर ग्रामीण क्षेत्र अधिसूचित क्षेत्र से बाहर कर दिए। वर्ष 1970-1980 के बीच मनाली में 10 गेस्ट हाउस थे।
40 लाख से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं मनाली
आबादी बढ़ने के बाद 1994 में नगर पंचायत का गठन किया गया और होटलों की संख्या 300 तक जा पहुंची। 2009 में नगर परिषद का दर्जा प्राप्त हुआ। उस समय होटलों की संख्या 800 से बढ़ गई। आज मनाली में लगभग तीन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में होटलों का निर्माण हुआ है। होटलों, काटेज व गेस्ट हाउस सहित होम स्टे की संख्या भी 2500 से अधिक हो गई है। आज 20 हजार की क्षमता वाला शहर 50 हजार सेधि अक लोगों का बोझ उठा रहा है। मनाली शहर में हालांकि 2000 घर हैं, लेकिन आसपास की पंचायतों में भी पर्यटन गतिविधियां बढ़ी हैं। हर साल 40 लाख से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक मनाली आते हैं। लाखों पर्यटकों के आने से मनाली सहित पलचान, बुरुआ, शनाग, मनाली गांव, वशिष्ठ, चचोगा, नसोगी, प्रीणी, शलीन व जगतसुख पंचायत में पानी व पार्किंग सहित मूलभूत सुविधाएं कम पड़ने लगी हैं।
कूड़े के पहाड़ को ठिकाने लगाना चुनौती
एक दशक पहले मनाली में आमतौर पर सात से आठ और पर्यटन सीजन में 15 से 18 टन कूड़ा इकट्ठा होता था, लेकिन अब 20 से 25 और सीजन के दौरान 40 से 45 टन कूड़ा प्रतिदिन इकट्ठा हो रहा है। कूड़े के बने पहाड़ को ठिकाने लगाना भी चुनौती बना हुआ है।
निर्माण कार्य पर टीसीपी (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) का पूरा नियंत्रण है। होटल व घर निर्माण के लिए अलग-अलग नियम बनाए गए हैं। टीसीपी से नक्शा पास होने के बाद ही होटल का निर्माण किया जा सकता है। नियमों के अनुसार ही होटल का निर्माण करने पर टीसीपी की ओर से एनओसी मिलती है। -पुष्पराज, टीसीपी अधिकारी मनाली मनाली शहर की योजना 20 हजार की आबादी को ध्यान में रखकर बनाई जाती है, लेकिन सीजन में आंकड़ा 50 हजार के पार हो जाता है। आने वाले समय में पर्यटकों की आमद को ध्यान में रखकर विकास की योजना तैयार करनी होगी। क्षमता के अनुसार ही पर्यटक आएंगे तो शहर को व्यवस्थित करने में आसानी होगी। चमन कपूर, नगर परिषद अध्यक्ष मनाली
एनजीटी के आदेश से रोहतांग को मिली राहत
रोहतांग की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि हजारों पर्यटक एक दिन में रोहतांग पहुंचने लगे। 2014 में एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) को हस्तक्षेप करना पड़ा। एनजीटी ने वाहनों की संख्या 1200 निर्धारित कर दी। साथ ही होटल निर्माण के नियम सख्त किए जिसका सार्थक परिणाम यह रहा कि रोहतांग की खूबसूरती पुराने रूप में लौट आई और होटलों के निर्माण में भी कमी आई।

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