Kullu: पहाड़ और पेड़ तो वहीं पर नहीं रहे आशियाने, झनियार गांव की पुरानी तस्वीर देख भावुक हुए लोग; उजड़कर बसे हैं ये 7 गांव
कुल्लू के झनियार गांव में आग लगने से भारी नुकसान हुआ है, जिसकी पुरानी तस्वीरें देखकर लोग भावुक हैं। आग ने गांव की हरियाली और घरों को राख कर दिया। झनियार समेत सात गांव उजड़ गए हैं, जिससे लोग बेघर हो गए और उन्हें दूसरी जगहों पर बसना पड़ा। इस घटना से लोगों में दुख और निराशा है।

कुल्लू का झनियार गांव आग लगने से पहले और अब।
संवाद सहयोगी, कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में पूरा झनियार गांव आग की भेंट चढ़ गया। भयानक अग्निकांड के एक दिन बाद भी ग्रामीण वो मंजर याद कर सहम जा रहे हैं। पहले और अब की तस्वीर देख मन व्यथित हो रहा है।
गांव में सुलगी एक चिंगारी ने एक के बाद एक 16 मकानों को आग की भेंट चढ़ा दिया। झनियार गांव के प्रभावित केहर सिंह, दलीप कुमार ने बताया कि वह रात भर सो नहीं पाए। जैसे ही आंख बंद होती है आंखों के सामने जलते हुए मकान नजर आ रहे हैं। इससे पहले इस प्रकार की भीषण आग नहीं देखी। गांव के पुराने फोटो देख पूरे परिवार की आंखों में आंसू आ जाते हैं।
प्राकृतिक आपदा के बाद आग ने बेघर कर दिया
पहले प्राकृतिक आपदा ने हमारा बहुत नुकसान किया। सेब की फसल का तुड़ान नहीं हो पाया। सोचा साल भर मेहनत कर इसकी भरपाई हो जाएगी। लेकिन उपर वाले को कुछ और ही मंजूर था। अब तो हर तरफ से उपर वालों की मार झेलनी पड़ रही है। इसकी भरपाई करना शायद मुश्किल होगा। क्या फिर से हमारा गांव पहले की तरह बनेगा या नहीं? हालांकि विधायक सुरेंद्र शौरी ने हमारा हौंसला बढ़ाया और फिर से आशियाने बनाने में हमारे साथ रहेंगे।
यह 7 गांव उजड़कर बसे
जिला कुल्लू के सोलंगनाला, शिल्हा, कोटला, मलाणा, मोहनी, गाहर, तांदी फिर बस चुके हैं। आज भी इन 7 गांव के लोग पुराने स्वरूप को तलाश करते हैं। इन गांव में आधे से ज्यादा घर पक्के बने हुए हैं।
हर वर्ष करोड़ों का होता है नुक्सान
कुल्लू जिला में आग लगना आम बात है। एक दो घटनाएं नहीं बल्कि एक वर्ष में 20 से अधिक बड़ी घटनाएं हो जाती हैं। इससे करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। लेकिन इन घटनाओं के बाद भी सरकार व प्रशासन कोई ठोस पहल नहीं कर पाती है।
गांव तक नहीं पहुंच पाई सरकारी योजनाएं
कुल्लू जिला के ग्रामीण इलाकों में सरकार द्वारा बनाई गई योजनाएं नहीं पहुंच पाई है। इसमें ग्रामीण इलाकों में पानी का भंडारण नहीं होन से भी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। जनता को जागरूक करने में भी सरकार व विभाग पीछे रहा है। अभी भी गांव में घरों में घास, लकड़ी रखने का क्रम लगातार जारी है। इसके लिए जागरूकता की भी कमी नजर आती है।

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