Kullu News: बिना पंजीकरण नेपाल से मणिकर्ण पहुंचे थे मजदूर, चरस तैयार करने के लिए ठेकेदार देता था दिहाड़ी
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में पकड़े गए नेपाली मजदूर बिना पंजीकरण के नेपाल से मणिकर्ण पहुंचे थे। हैरानी की बात है कि जिला कुल्लू में करोड़ों रुपये की चरस को तैयार करने के लिए हर साल नेपाल से मजदूर बुलाए जाते हैं। इसकी न तो सरकार और न ही जिला प्रशासन को सूचना मिलती है। चरस की रोकथाम के लिए कई विंग बनाए गए।

दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। चरस को तैयार करने के लिए हिमाचल प्रदेश के कई स्थानों पर नेपाल, बिहार से मजदूर मंगवाए जाते हैं। यह केवल मात्र मणिकर्ण या मलाणा में नहीं बल्कि कुल्लू मनाली में भी ऐसे ही मजदूर हैं जो बिना पंजीकरण के यहां पर रह रहे हैं। इनका पता तब लगता है जब कोई व्यक्ति किसी अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है।
हैरानी की बात है कि जिला कुल्लू में करोड़ों रुपये की चरस को तैयार करने के लिए हर साल नेपाल से मजदूर बुलाए जाते हैं। इसकी न तो सरकार और न ही जिला प्रशासन को सूचना मिलती है। चरस की रोकथाम के लिए कई विंग बनाए गए लेकिन आज तक लगाम तो दूर इन पर शिकंजा तक नहीं कस पाए हैं। मणिकर्ण, मलाणा, बंजार में रातों रात चरस तैयार नहीं होती है। इसके लिए पहले बिजाई होती है।
यह भी पढ़ें: Kullu News: कुल्लू पुलिस का नशा तस्करों पर शिकंजा, पांच किलो 719 ग्राम चरस बरामद; 34 नेपाली मजदूर गिरफ्तार
बड़े चरस तस्कर नहीं आते हैं हाथ
इसको तैयार करने में समय लगता है लेकिन इसके बावजूद न तो राजस्व विभाग और न ही वन विभाग और न ही स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि इस पर अंकुश लगाने के लिए प्रयास करते हैं। अंत में पुलिस ही चरस को पकड़ती है। इसमें भी बड़े चरस तस्कर हाथ नहीं आते हैं जबकि पैडलर जो चरस को ले जाने का कार्य करते हैं वही गिरफ्तार होते हैं। यह भी चंद रुपये के लालच में इस प्रकार के कार्य को अंजाम देते हैं।
बुधवार को पुलिस ने मणिकर्ण के जंगलों में पांच किलो 719 ग्राम चरस सहित 34 नेपाली मजदूरों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उन्होंने खुलासा किया है कि चरस निकालने के लिए उन्हें ठेकेदार 600 रुपये दिहाड़ी देते थे। हालांकि ठेकेदार का नाम गुप्त रखा है। अब पुलिस जांच में जुट गई है। ऐसे में अभी और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।
इन जगहों पर होती है नशे की पैदावार
प्रदेश के कुल्लू, मंडी, धर्मशाला, कसोल, मणिकर्ण, बंजार वैली, अपर शिमला के इलाकों में भांग (चरस) की खेती अधिक मात्रा में होती है। हर वर्ष पुलिस टीम हजारों बीघा की जमीन से पौधों को नष्ट करते हैं लेकिन इसके बावजूद क्विटलों के हिसाब से चरस बरामद होती है। उंचाई वाले इलाकों में चरस के लिए लोगों ने वन भूमि को इस्तेमाल किया गया है। इसके लिए ड्रोन से निगरानी रखी जा सकती है।
यह भी पढ़ें: Himachal: सुक्खू सरकार शुरू करने जा रही नई पहल, ट्रैकर्स के लापता होने की घटनाओं पर लगेगा अंकुश
इन स्थानों में रुकते हैं ज्यादातर पर्यटक
जिला कुल्लू के मनाली, पार्वती घाटी के खीर गंगा, ग्राहण, रसोल, तोष, पुलगा, तुलगा व कसोल, मलाणा में ज्यादातर पर्यटक रूकते हैं। कुल्लू पुलिस की टीम ने अभी बुधवार को छह स्थानों पर दबिश दी। अभी भी घाटी में कई ऐसे स्थान हैं जहां पर पुलिस नहीं पहुंच पाई है। स्थानीय लोेग बताते हैं कि मणिकर्ण घाटी में अभी भी जंगलों में नेपाल के मजदूर चरस निकाल रहे हैं। एक दो दिन बंद होने के बाद फिर से चरस निकालने का कार्य करते हैं।
पुलिस लगातार चरस तस्करी की रोकथाम को लेकर कार्य कर रही है। अभी यह अभियान लगातार जारी रहेगा। इसमें जंगलों में किसने चरस उगाई इसकी जांच की जा रही है। जल्द ही मुख्य सरगना की भी गिरफ्तारी होगी। -साक्षी वर्मा पुलिस अधीक्षक कुल्लू।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।