नूरपुर के बृजराज मंदिर में एक साथ विराजमान हैं श्रीकृष्ण व मीरा की मूर्तियां, जानिए रोचक तथ्य
Shri Krishana and Meera Templeनूरपुर के प्राचीन किला मैदान में स्थित भगवान श्री बृजराज स्वामी जी का मंदिर क्षेत्रवासियों की प्रमुख आस्था का केंद्र है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है यहां भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा नहीं अपितु मीरा बाई की मूर्ति स्थापित है।

नूरपुर, प्रदीप शर्मा। नूरपुर के प्राचीन किला मैदान में स्थित भगवान श्री बृजराज स्वामी जी का मंदिर क्षेत्रवासियों की प्रमुख आस्था का केंद्र है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, यहां भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा नहीं अपितु मीरा बाई की मूर्ति स्थापित है। यह दोनों प्रतिमाएं ऐसी लगती हैं मानों आपके सामने साक्षात भगवान श्री कृष्ण व मीरा बाई खड़े हों। प्रेम व आस्था के संगम के प्रतीक इस मंदिर का नूर जन्माष्टमी को छलक उठता है। जन्माष्टमी के पावन अवसर पर इस ऐतिहासिक मंदिर में रौनक देखते ही बनती है, जहां दूर-दूर से हजारों की संख्या में लोग मंदिर में शीश नवाते हैं।
इस मंदिर के इतिहास के साथ एक रोचक कथा जुड़ी हुई है। यह उस समय की बात है (1629 से 1623 ई.) जब नूरपुर के राजा जगत सिंह अपने राज पुरोहित के साथ चितौडग़ढ के राजा के निमंत्रण पर वहां गए। राजा जगत सिंह व उनके पुरोहित को रात्रि विश्राम के लिए जो महल दिया, उसके बगल में एक मंदिर था। जहां रात के समय राजा को उस मंदिर से घुंघरूओं तथा संगीत की आवाजें सुनाई दी। राजा ने जब मंदिर में बाहर से झांक कर देखा तो एक औरत कमरे में श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने भजन गाते हुए नाच रही थी।
राजा ने सारी बात राज पुरोहित को सुनाई। पुरोहित ने भी वापसी पर राजा (चितौडग़ढ़) से इन मूर्तियों को उपहार स्वरूप मांग लेने का सुझाव दिया, क्योंकि श्री कृष्ण व मीरा की यह मूर्तियां साक्षात हैं। जगत सिंह ने पुरोहित बताए अनुसार वैसा ही किया। चितौडग़ढ़ के राजा ने भी खुशी-खुशी वे मूर्तियां व मौलश्री का पेड़ राजा जगत सिंह को उपहार स्वरूप दे दिया।
तदोपरांत नूरपुर के राजा ने अपने दरबार-ए-खास को मंदिर का रूप देकर इन मूर्तियों को वहां पर स्थापित कर दिया। राजस्थानी शैली की काले संगमरमर से बनी श्रीकृष्ण व अष्टधातु से बनी मीरा की मूर्ति आज भी नूरपुर के इस ऐतिहासिक श्री बृजराज स्वामी मंदिर में शोभायमान है। मंदिर की भित्तिकाओं पर कृष्ण लीलाओं का चित्रण दर्शनीय है। इस स्थान पर हर साल जन्माष्टमी का उत्सव हर साल बढ़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
पिछले कुछ समय से मौल श्री का पेड़ अपनी आयु सीमा पूरी करने के बाद क्षतिग्रस्त हो गया। मंदिर कमेटी ने उस पेड़ को बचाने के लिए विशेषज्ञों की सहायता भी ली लेकिन पेड़ नहीं बच सका, कुछ समय पूर्व मंदिर कमेटी ने मौल श्री का नया पौधा रोपा है।
मंदिर कमेटी के प्रयासों से मंदिर की व्यवस्था में पिछले दो सालों से काफी सुधार हुआ है। कमेटी ने मंदिर में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए हैं। जन्माष्टमी के दिन हजारों की संख्या में लोग भगवान श्री बृजराज स्वामी के दर्शन करने आते हैं।
वर्ष 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने नूरपुर के जन्माष्टमी उत्सव में भाग लिया तथा मेले के प्रबंधन व श्रद्धालुओं के उमड़े जनसैलाब से वह काफी प्रभावित हुए। तत्कालीन विधायक राकेश पठानिया व मेला कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष स्वर्गीय आरके महाजन के आग्रह पर उन्होंने नूरपुर के जन्माष्टमी मेले को जिलास्तरीय का दर्जा देने की घोषणा की।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।