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जानिए कैसे एक ट्रैकर से ट्रैकिंग कंपनी का मालिक बन गया धर्मशाला का युवा, 12 लोगों को भी दिया रोजगार

Dharamshala youth धर्मशाला के मनु हियूंरी ने ट्रैकर के तौर पर रोजगार शुरू किया था। लेकिन मेहनत और जज्‍बे की बदौलत वह आज ट्रैकिंग कंपनी का मालिक बन गया है। धर्मशाला का यह युवा आज 12 लोगों को भी रोजगार दे रहा है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 08:57 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 10:55 AM (IST)
जानिए कैसे एक ट्रैकर से ट्रैकिंग कंपनी का मालिक बन गया धर्मशाला का युवा, 12 लोगों को भी दिया रोजगार
धर्मशाला के युवा ट्रैकर मनु हियूंरी ट्रैकिंग के दौरान पर्यटकों के साथ।

धर्मशाला, मुनीष गारिया। एक दौर था जब घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। कभी मेहनत मजदूरी तो कभी इधर-उधर छोटे मोटे काम कर अपना गुजारा चलता था। पहाड़ी क्षेत्र में रहते थे तो पहाड़ों का अनुभव भी था। इस कारण लोगों के साथ गाइड बनकर त्रियुंड व आसपास क्षेत्रों में ट्रैकिंग के लिए जाकर कुछ पैसे आ जाते थे और बहाने से आउटिंग भी हो जाती थी। ऐसे ही लोगों के साथ संपर्क बन रहे थे। जहन में आया कि जब लोगों के साथ दिहाड़ी लगाने के नाम पर ट्रैकिंग के लिए जा सकते हैं तो क्यों न इसे ही अपना व्यवसाय बना लिया जाए। शुरुआत मुश्किल थी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। धीरे धीरे व्यवसाय बढ़ने लगा और आज एक ट्रैकिंग कंपनी के मालिक हैं, जो न केवल प्रदेश बल्कि पूरे उत्तर भारत में ट्रैकिंग का काम करते हैं। यह काम करके खुद को आत्मनिर्भर बनाया ही, साथ ही 10-12 लोगों को भी अपने साथ जोड़कर उन्हें कमाने का अवसर दे रहे हैं।

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इस तरह की शुरुअात

मनु हयूंरी ने वर्ष 2008 में अपनी ट्रैकिंग कंपनी मनू एडवेंचर शुरू की थी। उस समय तक वे अकेले ही होते थे। शुरुआत में वे अपने भाई राणु के साथ केवल पर्यटकों को त्रियुंड तक ही ले जाते थे। अब वे जम्मू-कश्मीर व उत्‍तराखंड तक भी पर्यटकों को घूमाते हैं। अब संपर्क इतने बढ़ गए हैं कि उसके अधिकतर ग्राहक विदेशी ही होते हैं।

12 और लोगों को भी दे रहे रोजगार

मनु हयूंरी ने अब अपनी एक स्थानीय टीम रखी हुई है। जिसमें दो कूक, दो कैंपर, तीन गाइड व ऑफिस के लिए तीन लोगों का स्टाफ है। इसके अलावा उनकी टीम में राणू, वैशाली, सुरेश, विशाल, संजय, राहुल रोहित, अनिल सहित अन्य शामिल हैं, जो अपनी आर्थिकी मजबूत कर रहे हैं। 

कोरोना काल में विदेशी दोस्‍त ने की थी सहायता

कोरोना काल में जब सभी गतिविधियां बंद पड़ी थी तो उनके अस्थायी स्टाफ के सदस्यों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। इसी बीच उनकी एक विदेशी क्लाइंट व दोस्त जो जब पता चला तो दोस्त ने आर्थिक सहायता दी। विदेश से आए पैसे और अपनी जेब से कुछ पैसे डालकर मनु से अपने अस्थायी स्टाफ के सदस्यों को राहत मुहैया करवाई।

इन ट्रैकिंग स्पॉट में ले जाते हैं पयर्टकों को

धौलाधार रेंज धर्मशाला, इंद्रहार पास, त्रियुंड, हिमानी चामुंडा, मिनकानी पास, जाल्सू पास, करेरी लेक, मनाली, लद्दाख, लेह, कश्मीर, मणिमहेश, नाग डल, गढ़वाल, उत्तराखंड।

कैसे करें ट्रैकिंग व्यवसाय की शुरुआत

ट्रैकिंग का व्यवसाय शुरू करने से पूर्व माउंटेनिंग संस्थान में कम से कम बेसिक कोर्स करना चाहिए, जिससे आप गाइड बनने के पात्र हो जाते हैं। बेसिक कोर्स का संस्थान मैक्लोडगंज में है। इसके बाद मनाली स्थित संस्थान में एडवांस कोर्स करने के बाद आप अपनी ट्रैकिंग कंपनी शुरू कर सकते हैं। आज के दौर में एक बात है कि अपना ट्रैकिंग का काम शुरू करने के लिए कम से कम चार से पांच लाख रुपये की उपकरण व टेंट खरीदने अनिवार्य होते हैं। लेकिन अब सरकार ने भी स्वरोजगार के लिए कई ऋण सुविधाएं शुरू कर दी हैं।

मुश्किल दौर से की शुरुआत, आज बेहतर कमाई

मनु एडवेंचर के एमडी मनु हयूंरी का कहना है वर्ष 2008 में जब शुरुआत की थी तो वो दौर बहुत मुश्किल था, क्योंकि ग्राहक एवं पर्यटक लाना आसान नहीं था। इसके एक कारण ये भी थी कि उस समय संवाद के माध्यम कम थे। संयम रखकर काम करते रहे। इसका ही परिणाम है आज खुद भी कमा पा रहा हूं और अपने साथ कुछ लोगों को भी कमाने का अवसर दे पा रहा हूं।


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