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    Kargil Vijay Diwas: 35 वर्ष की उम्र में देश के लिए बलिदान हुए थे ब्रह्मदास, 5 और 7 साल के थे बच्चे, वीरनारी ने बनाए अफसर

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 11:56 AM (IST)

    Kargil Vijay Diwas कारगिल शहीद ब्रह्मदास की पत्नी सीमा देवी की कहानी प्रेरणादायक है। 1999 में पति के बलिदान के बाद सीमा ने अपने दो छोटे बच्चों की परवरिश का बीड़ा उठाया। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की इस वीरांगना ने पेंशन से घर चलाया और बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई। सीमा देवी का संघर्ष और सफलता दूसरों के लिए एक मिसाल है।

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    कारगिल युद्ध के बलिदानी ब्रह्मदास और उनकी पत्नी व बच्चे।

    स्वामी राम शर्मा, नगरोटा बगवां (कांगड़ा)। Kargil Vijay Diwas, दर्द की कोई सीमा नहीं होती। दर्द जब हद से ज्यादा गुजरता है तो सिमटी जिंदगी को समेटना मुश्किल होता है। सरहद की हद से एक ऐसा ही दर्द गुजरा लेकिन वह हौसले की सीमा को नहीं तोड़ पाया। पहाड़ सी जिंदगी को शिखर तक पहुंचने से रोक नहीं पाया।

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    अब वीरनारी की आंखों में आंसुओं का समंदर नहीं बल्कि सुनहरे सपने जीते व जीतते हुए दिख रहे हैं। कारगिल बलिदानी ब्रह्मदास की वीरांगना सीमा के आंगन में मुरझाए हुए चेहरे फूलों की तरह खिलने लगे हैं।

     संघर्ष की गाथा का यह पड़ाव सब खत्म होने के बाद शुरू होता है। 14 जून, 1999 को सूचना आती है कि सीमा आपका सुहाग बलिदान हो गया। इस सूचना ने सीमा को भीतर से तोड़ तो जरूर दिया लेकिन हालात को उसने खुद को और तोड़ने का मौका नहीं दिया। बलिदानी पति के बाद दो छोटे बच्चों की परवरिश अकेले आसान नहीं थी पर सीमा ने इस मुश्किल चुनौती को मजबूत हौसले के साथ आसानी से पार कर लिया।

    यह प्रेरणादायक कहानी है हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवां क्षेत्र की मसल टांडा पंचायत निवासी कारगिल बलिदानी नायक ब्रह्मदास की पत्नी सीमा देवी की। ब्रह्मदास के बलिदान होने के बाद सात साल की बेटी मीनाक्षी और पांच साल के बेटे राहुल के पालन-पोषण की चुनौती थी। दोनों मासूमों को पता नहीं था कि क्या हुआ है। सीमा बताती हैं, सामने दुखों का पहाड़ था।

    घर की जिम्मेदारी संभालने वाला कोई नहीं था। खुद को संभाला और दोनों बच्चों को उसी दिन उच्च शिक्षित कर मुकाम पर पहुंचाने की ठान ली। पेंशन से घर चलाया और बच्चों की पढ़ाई भी करवाई। 26 वर्ष में मुसीबतें आईं, लेकिन हार नहीं मानी।

    बच्चों की पढ़ाई तक सैन्य क्वार्टर में रहीं सीमा

    जब ब्रह्मदास बलिदान हुए, वह बच्चों के साथ योल में सैन्य क्वार्टर में रहती थी। जब तक दोनों बच्चों की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय योल में जमा दो तक पूरी नहीं हुई तो वह बच्चों के साथ ही रहीं। बच्चे जब कालेज जाने लगे तो वह पैतृक घर मसल टांडा में रहने लगी।

    बेटा जेई और दामाद बैंक में सहायक मैनेजर

    इसके बाद बेटी ने राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय धर्मशाला में एमएससी आइटी में की। बेटे ने बीएससी आइटी में की। वर्तमान में बेटा राहुल जलशक्ति विभाग में कनिष्ठ अभियंता है। बेटी मीनाक्षी की शादी कर दी है और दामाद बैंक में सहायक मैनेजर है

    35 वर्ष की आयु में बलिदान हुए थे नायक ब्रह्मदास

    नायक ब्रह्मदास 35 वर्ष की आयु में बलिदान हुए थे। 11 मार्च, 1964 को जन्मे ब्रह्मदास 1984 में भारतीय सेना की 18वीं ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। कारगिल युद्ध के दौरान ब्रह्मदास 14 जून, 1999 को माइन कलेक्शन पार्टी के साथ तैनात थे। उनके इलाके में दुश्मन ने गोलाबारी शुरू कर दी थी। इससे पास वाले क्षेत्र में आग लग गई। इस दौरान जान की परवाह न करते ब्रह्मदास गाड़ियों को सुरक्षित जगह ले जाने में जुटे थे कि बलिदान हो गए थे।

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