कांगड़ा को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व एमडी समेत 9 पर लोन घोटाले का केस, होटल प्रोजेक्ट के रिकॉर्ड गायब करने का आरोप
ऊना जिले में कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक (KCCB) के एक पुराने होटल लोन मामले में पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर विनोद कुमार सहित 9 अधिकारियों-कर्मचारियों ...और पढ़ें
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कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व एमडी समेत 8 पर केस दर्ज
जागरण संवाददाता, ऊना। ऊना जिले में कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (KCCB) से जुड़े एक पुराने होटल लोन मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। थाना सदर ऊना में बैंक के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर विनोद कुमार सहित 8 अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
बैंक पर धोखाधड़ी का आरोप
यह मामला जिला मंडी के गांव भूरा, डाकघर राजगढ़ निवासी युद्ध चंद बैंस पुत्र पूरन चंद की शिकायत पर दर्ज किया गया है।शिकायतकर्ता के अनुसार, उसने वर्ष 2016 में कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ऊना से होटल प्रोजेक्ट के लिए आवेदन कर लोन लिया था। इस लोन के बदले उसकी प्रॉपर्टी एमएस होटल हिमालयन विलेज और होटल स्नो मनाली को गिरवी रखा गया था।
'महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हुए'
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि बैंक के तत्कालीन अधिकारियों ने कथित तौर पर होटल प्रोजेक्ट से जुड़े ऑफिशियल लोन रिकॉर्ड को हटाया, नष्ट किया और रिकॉर्ड से गंभीर छेड़छाड़ की। यह भी आरोप है कि लोन फाइल में मौजूद वैल्यूएशन से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज, जो बैंक अधिकारियों की कस्टडी में थे, बाद में गायब पाए गए।
'बैंक ने वित्तीय नुकसान पहुंचाया'
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि बैंक अधिकारियों ने उसकी गिरवी रखी प्रॉपर्टी की कीमत जानबूझकर कम दर्शाने की साजिश रची, जिससे उसे भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। इसके अलावा बैंक ने लोन को गलत तरीके से एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) घोषित कर दिया, जबकि ऐसा करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन करना होता है।
9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
इस मामले में कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर विनोद कुमार सहित बैंक के 8 अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है। पुलिस के अनुसार, प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड से छेड़छाड़, दस्तावेजों को नष्ट करने और आपराधिक साजिश के मामले पाए गए हैं।
एसपी ऊना अमित यादव ने पुष्टि करते हुए बताया कि 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करके आगामी जांच की जा रही है। जांच के दौरान बैंक रिकॉर्ड, लोन फाइल, वैल्यूएशन रिपोर्ट और संबंधित अधिकारियों की भूमिका की गहन पड़ताल की जा रही है।

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