Boh Valley: मन मोहनी है कांगड़ा की बोह घाटी की सुंदरता, लुभाता है खबरू झरना; बिताएं सुकून के पल और ट्रेकिंग का लें आनंद
बोह घाटी कांगड़ा जिले के शाहपुर उपमंडल में स्थित एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यह घाटी शहरी जीवन की भागदौड़ और प्रदूषण से मुक्त है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता खबरू झरना और ट्रैकिंग के लिए उपयुक्त रास्ते इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाते हैं। मई से अक्टूबर तक का समय यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा है। यहां सुकून के पल बिता सकते हैं।

दिनेश कटोच, धर्मशाला। यदि आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो कांगड़ा जिले के शाहपुर उपमंडल की बोह घाटी आपके लिए सुकून के पल देने वाली है। बोह घाटी शहरी जीवन की भागदौड़ और प्रदूषण से मुक्त शांत पर्यटन स्थल की ओर तेजी से विकसित हो रही है।
यहां की प्राकृतिक सुंदरता, खबरू झरना यात्रा को और भी आनंदमयी बनाते हैं। बोह गांव हिमाचल के खूबसूरत गांवों में से एक है। यहां के युवाओं ने घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपने स्तर पर प्रयास किए हैं। पर्यटकों को कैंपिंग के साथ खाने-पीने की सुविधा दी जा रही है।
खबरू झरने तक पहुंचने के लिए लगभग पांच किलोमीटर का ट्रैक है। यहां घूमने के लिए मई से 15 अक्टूबर तक का समय अच्छा रहता है। इसके बाद यहां बर्फ पड़नी शुरू हो जाती है।
बोह घाटी बर्फबारी के लिए भी जानी जाती है। सर्दियों में आप यहां बर्फबारी का भी आनंद ले सकते हैं। पंजाब, जम्मू-कश्मीर सहित आसपास के राज्यों के पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यहां पर गाइड मिल जाते हैं।
आसपास ये हैं पर्यटन स्थल
बोह गांव से लगभग आठ किलोमीटर पीछे टल माता का मंदिर है। यहां नजदीक ही करेरी गांव है। यहां से आप करेरी झील जा सकते हैं। करीब 13 किलोमीटर के ट्रैक से आप झील की सुंदरता के साथ यहां के प्राकृतिक नजारों का आनंद ले सकते हैं।
शाहपुर के नेरटी स्थित आर्ट एंड कल्चरल गांव, मछियाल, रेहलू के किले व रिड़कमार को भी आप अपनी यात्रा का हिस्सा बना सकते हैं। बोह से माता स्वर्गद्वारी मंदिर भी जा सकते हैं जोकि बोह से आठ किलोमीटर की दूरी पर है। इसी ट्रैक पर द्रोणेश्वर महादेव मंदिर के लिए भी पैदल जा सकते हैं।
इसी ट्रैक से चंबा जिले के मणिमहेश के लिए भी रूट है। यहां से धर्मशाला, मैक्लोडगंज, कांगड़ा, पालमपुर भी जा सकते हैं।
खबरू झरने का धार्मिक महत्व भी
खबरू झरना भगवान शिव के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यहां सालभर पूजा (पवित्र स्नान) के लिए बहुत लोग आते हैं। बोह से खबरू पैदल पहुंचने में डेढ़ से दो घंटे लगते हैं। झरना घने जंगल और हरी-भरी पहाड़ियों के बीच है। राधाष्टमी व जन्माष्टमी पर यहां पवित्र स्नान होता है।
होम स्टे व कैंपिंग की सुविधा, ट्राउट का भी आनंद
बोह में होम स्टे व कैंपिंग की भी सुविधा उपलब्ध है। यहां लगभग पांच से छह होम स्टे पर्यटन विभाग के पास पंजीकृत हैं। होम स्टे व कैंपिंग के लिए प्रतिदिन का किराया पांच सौ से एक हजार रुपये के बीच है। बोह घाटी में लगभग 20 ट्राउट फार्म भी हैं जहां आप ट्राउट मछली का आनंद ले सकते हैं।
अहम बात यह है कि चंबा के होली, मंडी के पतलीकूहल व बरोट के बाद कांगड़ा जिले का यह पहला ऐसा गांव है जहां ट्राउट फार्मिंग हो रही है। यहां की ट्राउट मछली काफी मशहूर है। कीवी व टमाटर सहित अन्य सब्जियां भी यहां पर पैदा होती हैं। यहां पर साधारण खाना और ट्राउट मछली मिल जाती है।
पहुंचने के लिए हवाई, रेल व सड़क मार्ग
बोह घाटी आने के लिए हवाई, रेल व सड़क मार्ग विकल्प हैं। यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो दिल्ली से गगल स्थित कांगड़ा हवाई अड्डा तक फ्लाइट ले सकते हैं। गगल हवाई अड्डा के लिए हवाई सेवा दिल्ली, चंडीगढ़ व शिमला से उपलब्ध है। रेल मार्ग में पठानकोट तक आ सकते हैं।
सड़क मार्ग से पठानकोट व कांगड़ा से भी बोह पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग से पठानकोट से बोह की दूरी लगभग 96, धर्मशाला से 50 व गगल हवाई अड्डा से 40 किलोमीटर है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।