India First Voter: श्याम सरन नेगी आखिरी सांस लेने से पहले भी निभा गए धर्म, रोचक था पहला वोटर बनने का किस्सा
India First Voter Shyam Saran Negi देश के पहले मतदाता 106 वर्षीय श्याम सरन नेगी ने आज शनिवार सुबह स्वर्ग विधार गए। लेकिन आखिरी सांस लेने से पहले भी अपना मतदान करने का धर्म निभा गए। तीन दिन पहले उन्होंने मतदान को लेकर संदेश दिया था।
शिमला, जागरण टीम। India First Voter Shyam Saran Negi, देश के पहले मतदाता 106 वर्षीय श्याम सरन नेगी आखिरी सांस लेने से पहले भी अपना मतदान करने का धर्म निभा गए। तीन दिन पहले ही उन्होंने मतदान किया था। पहली बार श्याम सरन नेगी ने घर से मतदान किया। इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने घर से मतदान किया हो। श्याम सरन नेगी ने पहले मतदान केंद्र पर जाकर ही वोट डालने की बात कही थी। लेकिन अस्वस्थ होने के कारण उनके परिवार के सदस्यों ने प्रशासन से घर में ही मतदान करवाने का आह्वान किया। तीन दिन पहले दो नवंबर को श्याम सरन नेगी आखिरी बार घर से मतदान कर गए। किन्नौर के उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी आबिद हुसैन सादिक भी श्याम सरन नेगी के मतदान के दौरान उनके घर पर मौजूद रहे थे।
मतदान को धर्म मानते थे नेगी
मास्टर श्याम सरन नेगी ने आखिरी बार वोट डालने के बाद कहा था कि मतदान लोकतंत्र का महापर्व होता है। हम सभी को अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करना चाहिए, ताकि देश का लोकतंत्र मजबूत हो सके। हर चुनाव को एक धर्म मानना चाहिए, क्योंकि धर्म से ही अच्छे आदमी को आगे भेजा जाना चाहिए।
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12 नवंबर से पहले कर लिया मतदान पर परिणाम नहीं देख पाए
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग की ओर से पहली बार 80 वर्ष से अधिक आयु के तथा दिव्यांग मतदाताओं की सुविधा के लिए बैलेट पेपर के माध्यम से मतदान करवाया जा रहा है। इस कारण श्याम सरन नेगी 12 नवंबर से पहले मतदान कर पाए। नेगी ने वोट तो डाल दिया लेकिन अपने मतदान का परिणाम नहीं देख पाए।
106 वर्षीय श्याम सरन नेगी की आखिरी बार मतदान करने की तस्वीर। किन्नौर में प्रशसनिक अधिकारियों की मौजूदगी में उन्होंने आखिरी बार घर पर मतदान किया।
इस तरह बन गए देश के फर्स्ट वोटर
पहली जुलाई, 1917 को कल्पा में जन्मे श्याम सरन नेगी ने पहला वोट 1951 में 34 वर्ष की आयु में दिया था। देश में फरवरी, 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ, लेकिन किन्नौर में भारी हिमपात के कारण पांच माह पहले सितंबर, 1951 में ही चुनाव हो गए। चुनाव के समय श्याम सरन नेगी किन्नौर के मूरंग स्कूल में अध्यापक थे। चुनाव में उनकी ड्यूटी लगी थी। उनकी ड्यूटी शौंगठोंग से मूरंग तक थी जबकि उनका वोट कल्पा में था। इसलिए उन्होंने सुबह मतदान कर ड्यूटी पर जाने की अनुमति मांगी। वह तो सूर्योदय होने से पहले ही मतदान स्थल पर पहुंच गए, लेकिन पोलिंग पार्टी सवा छह बजे पहुंची। नेगी ने जल्दी मतदान करवाने का निवेदन किया। पोलिंग पार्टी ने रजिस्टर खोलकर उन्हें पर्ची दी। मतदान करते ही इतिहास बना और मास्टर श्याम सरन नेगी आजाद भारत के प्रथम मतदाता बन गए।
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