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    अब नहीं मुरझाएंगे आपके टमाटर! पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की 2 नई किस्में

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 01:31 PM (IST)

    पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय ने टमाटर की दो नई किस्में हिम पालम टमाटर-1 और हिम पालम टमाटर-2 विकसित की हैं। ये किस्में जीवाणु मुरझान प्रतिरोधी हैं और उच्च उपज देने वाली हैं जो हिमाचल के किसानों के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने बताया कि ये किस्में राज्य किस्म विमोचन समिति को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की गई हैं जिसके बाद किसानों को बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।

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    हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालयटमाटर की दो नई किस्में विकसित

    संवाद सहयोगी, पालमपुर। हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने टमाटर की दो नई किस्में "हिम पालम टमाटर-1" और "हिम पालम टमाटर-2" विकसित कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने बताया कि ये किस्में उच्च उपज देने वाली हैं और जीवाणु मुरझान की प्रतिरोधी हैं, जो हिमाचल में टमाटर उत्पादकों के लिए एक गंभीर चुनौती है।

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    जीवाणु मुरझान, विशेष रूप से निचले और मध्य-पहाड़ी क्षेत्रों में, टमाटर की खेती के लिए एक बड़ी बाधा है। इस रोग के कारण युवा पौधे संक्रमण के 10-15 दिनों के भीतर मुरझा जाते हैं और पीले पड़ जाते हैं, जिससे फसल का नुकसान होता है। यह रोग बीजों और मिट्टी के माध्यम से फैलता है और उच्च आर्द्रता तथा गर्म तापमान में तेजी से बढ़ता है।

    गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को टमाटर, शिमला मिर्च और लाल मिर्च की खेती छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है, क्योंकि कोई भी रासायनिक उपचार प्रभावी नहीं रहा है। ऐसे में प्रतिरोधी किस्मों की खेती ही एकमात्र समाधान है।

    लगभग दो दशक के अनुसंधान के बाद, विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने "हिम पालम टमाटर-1" और "हिम पालम टमाटर-2" विकसित किए हैं, जो उच्च उपज क्षमता के साथ जीवाणु मुरझान के विरुद्ध मजबूत प्रतिरोध प्रदान करते हैं। इन किस्मों को चार मई, 2024 को विश्वविद्यालय के कृषि अधिकारियों की कार्यशाला में स्वीकृति दी गई है। इन्हें राज्य किस्म विमोचन समिति (एसवीआरसी) को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया गया है।

    मंजूरी मिलने के बाद, हिमाचल प्रदेश के किसानों को बीज की आपूर्ति की जाएगी, जिससे मुरझान-प्रवण क्षेत्रों में भी टमाटर का व्यावसायिक उत्पादन संभव
हो सकेगा। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने सब्जी विज्ञान और पुष्प विज्ञान विभाग के विज्ञानियों को उनके दीर्घकालिक अनुसंधान के लिए बधाई दी और आशा व्यक्त की कि ये किस्में रोग प्रभावित क्षेत्रों में टमाटर की
खेती को पुनर्जीवित करेंगी, किसानों की आय में सुधार करेंगी और राज्य की सब्जी अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगी।

    ( टमाटर की नई किस्म)

    ये हैं मुख्य विशेषताएं

    हिम पालम टमाटर-1: यह किस्म जीवाणु मुरझान रोग प्रतिरोधी है। लंबे पौधों वाली है और इसके गहरे लाल रंग के गोल फल का वजन 65-70 ग्राम है। फसल 70-75 दिनों में तैयार होती है और औसतन 250-275 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है। यह प्रदेश के निचले एवं मध्य पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

    हिम पालम टमाटर-2: यह भी जीवाणु मुरझान रोग प्रतिरोधी है। लंबे पौधों वाली है और इसके गहरे लाल रंग के लंबे छुआरे के आकार के मोटे छिलके वाले फल का वजन 70-75 ग्राम है। यह भी 70-75 दिनों में तैयार होती है और औसतन 240-260 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है।