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    Himachal: 'कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह से नहीं किया न्याय', इस गलती के लिए पूरे हिमाचल से क्षमा मांगें, शांता कुमार क्यों हुए नाराज?

    By Rajesh SharmaEdited By: Rajesh Sharma
    Updated: Wed, 15 Oct 2025 11:04 AM (IST)

    पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कांग्रेस पर वीरभद्र सिंह के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस गलती के लिए पूरे हिमाचल प्रदेश से माफी मांगनी चाहिए। शांता कुमार ने वीरभद्र सिंह के साथ कांग्रेस के व्यवहार पर नाराजगी जताई और पार्टी से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की। उन्होंने वीरभद्र सिंह को एक लोकप्रिय और वफादार नेता बताया, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश के लिए बहुत योगदान दिया।

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    हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का फाइल फोटो व शांता कुमार।

    संवाद सहयोगी, पालमपुर। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि छह बार मुख्यमंत्री रहे स्व. वीरभद्र सिंह महान व्यक्ति व आदर्श राजनेता थे। उन्होंने राजनीति के उच्च आदर्श स्थापित किए। हिमाचल के निर्माण में उनकी शानदार भूमिका रही है।

    वीरभद्र सिंह की प्रतिमा का शिमला के रिज मैदान पर अनावरण करने पर वह कांग्रेस को धन्यवाद देते हैं। हालांकि कांग्रेस ने मूर्ति के अनावरण कार्यक्रम में अपनी पार्टी के अलावा अन्य किसी पार्टी से जुड़े नेताओं को न बुलाकर पूरे हिमाचल के नेता को केवल एक पार्टी का नेता बना दिया। 

    कार्यक्रम में पूरा हिमाचल रिज मैदान पर होना चाहिए था। कांग्रेस ने अपने नेता वीरभद्र सिंह से न्याय नहीं किया, उनका कद छोटा किया है। अच्छा होता कि मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में सभी पार्टियों के नेता बुलाए जाते। शांता कुमार ने कहा कि कांग्रेस नेता अपनी इस गलती के लिए पूरे हिमाचल से क्षमा मांगें। 

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    शांता ने साझा किया संस्मरण

    शांता ने वीरभद्र सिंह के साथ बिताए पल याद किए। उन्होंने कहा कि 15 नवंबर 1990 को विवेकानंद ट्रस्ट की ओर से अस्पताल बनाने का शिलान्यास किया। लगभग पांच करोड़ रुपये मौके पर इकट्ठे हो गए। 21 दिन के बाद छह दिसंबर को हमारी सरकार भंग कर दी गई। मुख्यमंत्री न रहने का मुझे अफसोस नहीं था मगर पालमपुर में विवेकानंद अस्पताल न बनने से दुखी था। कुछ समय बाद कुछ कांग्रेस नेता विवेकानंद ट्रस्ट की भूमि कुछ अन्य लोगों को दिलवाने की कोशिश करने लगे। 

    आज भी कानों में गूंज रहे शब्द

    मैंने वीरभद्र सिंह को फोन कर कहा कि मैं मिलना चाहता हूं। शिमला में उनके घर पर मैंने कहा कि मेरा सपना है कि पालमपुर में बहुत बड़ा अस्पताल बने। इसलिए वह भूमि किसी और को न दी जाए। वीरभद्र सिंह ने कहा, "विश्वास रखिए, यह भूमि मेरे होते हुए कभी किसी और को नहीं दी जाएगी।" कई वर्ष बीत गए लेकिन वीरभद्र सिंह के वे शब्द आज भी मेरे कानों में गूंज रहे हैं।

    इमरजेंसी में करवाया पत्नी का तबादला

    उन्होंने कहा कि वर्ष 1975 में इमरजेंसी लगी और हमें नाहन जेल में बंद कर दिया। मेरी पत्नी पालमपुर से दूर एक गांव में स्कूल में पढ़ाती थी। परिवार और बच्चों का पालन करना और प्रतिदिन स्कूल जाना उनके लिए कठिन होने लगा। उन्होंने सारी कठिनाई मुझे लिखी। मैंने वीरभद्र सिंह को नाहन जेल से पत्र लिखकर पत्नी का तबादला एक निकट स्कूल में करवाने की प्रार्थना की। मेरा पत्र मिलते ही एकदम से तबादला हो गया। उन्हीं दिनों एक मंत्री पालमपुर आए तो उन्होंने विशेष रूप से पता किया कि मेरी पत्नी का तबादला हुआ है या नहीं।

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