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    VIDEO: धर्मशाला के नजदीक यह है बेहद खूबसूरत ट्रैक, प्राकृतिक झील के सुंदर नजारे मिटा देते हैं सफर की थकान

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By:
    Updated: Mon, 16 May 2022 09:11 AM (IST)

    Dharamshala Trekking Route Kareri Lake गर्मी से राहत पाने के लिए हिमाचल प्रदेश में कई हिल स्‍टेशन व ट्रैकिंग रूट हैं जहां पर्यटक आसानी से पहुंचकर मस्‍ती कर सकते हैं। ऐसा ही एक खूबसूरत ट्रैकिंग रूट है करेरी झील धर्मशाला शहर से यह कुछ दूरी पर ही है।

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    धर्मशाला के पास स्थित करेरी झील पर्यटकों के लिए बेस्‍ट ट्रैकिंग रूट है।

    धर्मशाला, मुनीष गारिया। Dharamshala Trekking Route Kareri Lake, जिला कांगड़ा के तहत उपमंडल शाहपुर में स्थित प्राकृतिक करेरी झील सैलानियों की इन दिनों पहली पसंद रहती है। अपने आप में ही प्राकृतिक सुंदरता को समेटे यह झील जितनी सुंदर है उतना ही मजेदार इस झील तक पहुंचने के लिए ट्रैक भी है। कहने को तो सफर काफी लंबा है, लेकिन ठंडी हवाओं के बीच गुजरते हुए और करेरी झील का नजारा देखने के बाद पूरी थकान मानो गायब हो जाती है। धर्मशाला से 30 किलोमीटर की दूरी पर करेरी झील जिसे कुमारवा झील भी कहा जाता है, हिमाचल प्रदेश के कंगड़ा जिले के धौलाधर पहाड़ों की सीमा के दक्षिण में यह झील है।

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    धर्मशाला में ट्रैकिंग करने के लिए करेरी झील का ट्रैक बेहद खूबसूरत है व पर्यटकों की यह पहली पसंद भी रहता है। यह धर्मशाला शहर के पास सबसे अच्छा छोटा ट्रैकिंग रूट भी है। करेरी झील 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह एक ताजे पानी की झील है। धौलाधार के पहाड़ों से बर्फ पिघलने से झील पानी से भरी रहती है। करेरी झील धौलाधर पर्वत क्षेत्र में एक ट्रैकिंग गंतव्य होने के लिए सबसे अच्छी तरह से जाना जाता है।

    वैसे तो धर्मशाला से करेरी झील की दूरी 30 किलोमीटर है, लेकिन यह पूरा रास्ता पैदल तय नहीं करना पड़ता, बल्कि गाड़ियों की सुविधा भी आधे से ज्यादा रास्ते तक मिल जाती है। धर्मशाला से घेरा होकर नोहली गांव में अपने निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है। नाेहली पहुंचने के बाद करेरी का ट्रैक 10 किलोमीटर का ही शेष रह जाता है। इसके अलावा शाहपुर बाजार से भी करेरी के लिए रास्ता जाता है, लेकिन वो रास्ता धर्मशाला से होकर करीब 50 किलोमीटर दूर पड़ जाता है।

    नोहली गांव के बाद नहीं मिलती कोई दुकान

    अगर आप करेरी जाएं तो नोहली गांव में अपने साथ खाने पीने का सारा सामान खरीद लें। नोहली गांव में कुछ छोटी मोटी दुकानें हैं। इसके बाद करेरी झील तक कोई भी दुकान नहीं है। वहां रहने के लिए आपको अपने साथ टेंट ले जाना पड़ेगा या ट्रैवल एजेंसी से भी आप व्‍यवस्‍था करवा सकते हैं।

    अप्रैल माह तक बर्फ से जमी रहती है झील

    झील दिसंबर की शुरुआत से अप्रैल की शुरुआत तक जमी रहती है। झील के नजदीक पहाड़ी की चोटी पर भगवान शिव और शक्ति को समर्पित एक मंदिर है। झील के दूसरी तरफ कुछ छोटी गुफाएं मौजूद हैं, जिसका उपयोग गद्दी लोग यानि भेड़ पालक अपने पशुओं को वहां चराने के समय करते हैं। करेरी झील जाने के लिए ट्रैकर अपने तंबू ले जा सकते हैं।

    नए ट्रैकर के लिए उपयुक्‍त है यह ट्रैक

    ट्रैक लंबा है लेकिन अन्य हिमालयी ट्रैक की तरह मुश्किल ट्रैक नहीं है। यह ट्रैक प्राचीन ओक, पाइन और रोडोडेंड्रॉन जंगलों से गुज़रता है। यह ट्रैक शुरुआती लोगों के लिए बहुत अच्छा है। इसके साथ ही अच्छी बात यह है कि ट्रैक में एक नाला भी आता है। नाले के किनारे गुजरते इस ट्रैक से ठंडी हवा चलती रहती है। इससे थकान कम लगती है।

    मजेदार है ट्रैक

    ट्रैकर अतीश कपूर का कहना है करेरी झील का ट्रैक थोड़ा मुश्किल तो है, लेकिन मजेदार भी बहुत है। पर्यटकों से अपील है कि ऐसे ट्रैकिंग स्थलों में बिना प्रशिक्षण या बिना गाइड के न जाएं।