Himachal Disaster: कैसे सुधरे व्यवस्था, कांगड़ा में सरकारी भवन ही खड्डों के पास, इन 7 नदी व नालों किनारे ज्यादा निर्माण
Himachal Pradesh Disaster Risk कांगड़ा जिले में नदी-नालों के किनारे नियमों को ताक पर रखकर भवन निर्माण किया जा रहा है जिससे आपदा का खतरा बढ़ गया है। धर्मशाला पालमपुर सहित कई क्षेत्रों में ब्यास नदी और अन्य खड्डों के किनारे निर्माण हो रहे हैं। अधिकारी नियमों का पालन कराने में लापरवाही बरत रहे हैं जिससे लोगों को जान-माल का नुकसान हो रहा है।
नीरज व्यास, धर्मशाला Himachal Pradesh Disaster Risk, भूकंप की दृष्टि से जिला कांगड़ा के अतिसंवेदशील होने की जानकारी रखने वाले अधिकारी खड्डों और नालों के किनारों पर बहुमंजिला भवनों के निर्माण में नियमों का पालन करवाने में संवेदनशील नहीं दिख रहे हैं। नदी-नालों के किनारों पर रहने और कमाई के लिए तैयार किया जा रहा ढांचा अपने आधार को हिलता हुआ देख रहा है।
लोग बिना सोचे समझे भवन निर्माण करवा रहे हैं और उन्हें कोई रोकने वाला नहीं है। हैरानी की बात यह है कि भवन बनाने वाले और नक्शे पास करने वाले भूविज्ञानियों की रिपोर्ट लेना भी जरूरी नहीं समझते।
नियमों को मिटाकर खड़े किए जा रहे भवनों को नदी-नालों का प्रवाह कभी भी मिटा सकता है, यह ध्यान भी सुप्त अवस्था में पड़े अधिकारियों को नींद से नहीं जगा पाया है। पहाड़ों का भूगोल जानने वाले भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ऐसे नक्शा पास कर रहे हैं जो नियमों की ढीली पकड़ से छूटते जा रहे हैं।
ब्यास नदी में बह चुके हैं किनारे पर बनाए मकान
धर्मशाला, गगल, पालमपुर, बैजनाथ, देहरा, नूरपुर, फतेहपुर व इंदौरा में नियमों को ताक पर रखकर नदियों, खड्डों और नालों के किनारे लोग भवन बना रहे हैं। हाल ही में पौंग बांध से ब्यास नदी में छोड़े पानी के कारण इंदौरा के मंड क्षेत्र में कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। साथ ही कई ढहने की कगार पर हैं।
इन 7 नदी व खड्डों किनारे नियमों के विपरीत निर्माण
ब्यास नदी, चरान खड्ड, गज, मांझी, मनूनी, बनेर व न्यूगल खड्ड के किनारे नियमों को ताक पर रखकर लोगों ने आवास और व्यापारिक प्रतिष्ठान बनाए हैं। बरसात के दिनों में नदियों व खड्डों के उफान पर होने के कारण हर साल लोगों को जान-माल का नुकसान होता है।
चरान खड्ड के मुहाने पर सरकारी भवन
धर्मशाला के समीप चरान खड्ड के किनारे दाड़नू के पास बने भवन मौत को निमंत्रण दे रहे हैं। लोगों ने तो निर्माण किए ही हैं लेकिन सरकारी विभाग भी पीछे नहीं हैं। बरसात के मौसम में खड्ड का पानी बढ़ने पर इन लोगों को रात जागकर गुजारनी पड़ती है। सब्जी मंडी भवन की नींव व चारदीवारी भी चरान खड्ड में ही है। जब भी खड्ड का जलस्तर बढ़ता है तो खतरा मंडराता है। सब्जी मंडी के साथ ही करोड़ों रुपये की लागत से स्मार्ट सिटी का शापिंग कांप्लैक्स बनाया जा रहा है।
धर्मशाला शामनगर नाले के साथ बने भवन, बरसात में पूरे यौवन पर होता है यह नाला। जागरण
ढगवार में दुग्ध संयंत्र भी खड्ड के किनारे
ढगवार में दुग्ध संयंत्र सरकार की बड़ी परियोजना है लेकिन इसका काम भी खड्ड किनारे ही किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी का कामन एंड कमांड सेंटर भी नालों के साथ ही बना दिया है। भवन के दोनों ओर बड़े नाले बहते हैं। इसके अलावा समृद्धि भवन भी बनाया है। जहां समृद्धि भवन का एंट्री प्वाइंट है उस जगह को नाले तक बढ़ाया है। इसी नाले पर नगर निगम ने स्लैब डालकर रेहड़ी फड़ी वालों के लिए 12 शेड बनाए हैं। इसके बारे में स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन को अवगत करवाया था लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
अब तक हुए बड़े हादसे
- 13 जुलाई, 2021 : भागसूनाग नाले में बाढ़ आने से दुकानों और मकानों में पानी घुसने से काफी नुकसान हुआ था।
- 12 जून, 2021 : मांझी खड्ड में बाढ़ आने से मकान, पुल और दुकानें ध्वस्त हो गई थीं।
- 7 सितंबर, 2022 : श्रीइंद्रु नाग मंदिर खनियारा के साथ घुरलू नाला में बाढ़ आने से मकान, दुकानें व पशुशालाएं बह गई थीं।
- 25 जून, 2025 : मनूनी खड्ड की बाढ़ से आठ मजदूरों की मौत।
आपदा से बचाव के लिए करना होगा नियमों का पालन
प्रदेश सरकार को इस संबंध में सख्त कदम उठाने होंगे। त्रासदी से बचना है तो नियमों का पालन लोगों को सिर्फ डराने के लिए नहीं बल्कि आपदा से बचाने के लिए करना होगा। आज के पढ़े-लिखे विद्वानों से पहले के अनपढ़ अधिक समझदार और व्यावहारिक थे।
-कुलभूषण उपमन्यू, पर्यावरणविद।
बिना सोचे समझे पास हो रहे नक्शे
पहले बुजुर्ग नदी-नालों से दूर घर बनाते थे लेकिन वर्तमान में नदियों और खड्डों के किनारे अवैध रूप से निर्माण किया जा रहा है। बड़ी बात यह है कि नगर निकाय क्षेत्रों में भवनों के नक्शे बिना सोचे समझे पास कर दिए जाते हैं।
-ऋषि वालिया, राष्ट्रीय सचिव हिमालय परिवार।
संयुक्त रूप से कार्य करना होगा
नगर नियोजन, शहरी निकायों, लोक निर्माण व पंचायती राज विभाग को संयुक्त रूप से कार्य करना चाहिए। खड्डों और नालों के किनारे अतिक्रमण नहीं होने देना चाहिए। लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई होनी चाहिए।
-अनिल डोगरा, सेवानिवृत्त अधीक्षक, लोनिवि।
अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना जरूरी
हर निर्माण को नियमों के तहत ही अनुमति दी जाती है। अगर कोई शिकायत आती है तो कार्रवाई की जाएगी। शहरी क्षेत्रों में भवन निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र नगर नियोजन विभाग से लेना जरूरी है।
-मनदीप सिंह, सहायक नगर नियोजन अधिकारी, धर्मशाला।
टीसीपी नियम न मानने वालों पर होगी कार्रवाई
जो भी भवन बने हैं उनका निर्माण नगर नियोजन के नियमों के तहत ही हुआ है। भवन बना रहे लोगों को भी टीसीपी के नियमों का पालन करना चाहिए। शहरी क्षेत्रों में नियमों का पालन न करने वालों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
-हेमराज बैरवा, उपायुक्त, कांगड़ा।
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