Himachal Disaster: हिमाचल में प्राकृतिक आपदा के लिए क्या व्यवस्था जिम्मेदार, नदी-नालों किनारे क्यों नहीं रुक रहा निर्माण
Himachal Pradesh Disaster हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से हर साल नुकसान होता है। इस बार मंडी कुल्लू शिमला कांगड़ा आदि जिलों में बादल फटने से अधिक नुकसान हुआ है खासकर नदी नालों के किनारे। नियमों के बावजूद नदी-नालों के किनारे निर्माण कार्य जारी हैं जिससे खतरा बढ़ गया है। मुख्यमंत्री ने नदियों से 100 मीटर दूर निर्माण के निर्देश दिए थे पर अमल नहीं हुआ।

यादवेन्द्र शर्मा, शिमला। पूरे देश में इन दिनों प्राकृतिक आपदा से नुकसान पर चिंतन है। हिमाचल प्रदेश में मंडी जिला के सराज, उत्तराखंड के धराली गांव और जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने से नुकसान लोगों को बेचैन कर रहा है। हिमाचल में प्राकृतिक आपदा हर साल कहर बरपाती है। इस बार भी मंडी, कुल्लू, शिमला, कांगड़ा जिला समेत कई स्थानों पर बादल फटने से नुकसान काफी अधिक हुआ है।
खासकर नदी, नालों और खड्डों के किनारे हुए निर्माण को काफी क्षति हुई है। नदी-नालों के किनारे भवन सहित अन्य निर्माण कार्य न हों, इसके लिए नियम तो बने मगर उन्हें लागू करने के लिए व्यवस्था अब तक नहीं बन सकी है। निर्माण कार्यों के नियम अव्यवस्था में बह गए हैं।
चंद पैसों के लिए नदी-नालों के किनारे निर्माण
चंद पैसे कमाने के लिए हिमाचल में कई लोगों ने नदियों, खड्डों और नालों के किनारे हजारों आवास, होटल और होम स्टे बना दिए। चिंताजनक है कि ऐसे खतरनाक स्थानों पर जहां पानी कभी भी कहर बरपा सकता है, वहां सरकारी भवन भी बना दिए गए हैं। ऐसे स्थानों में रहने वाले लोग बरसात में जब पानी बढ़ता है तो जान व माल बचाने के लिए सरकार और प्रशासन से गुहार लगाते हैं।
2023 में नदी-नालों किनारे हुआ था सबसे ज्यादा नुकसान
वर्ष 2023 में बरसात के दौरान बादल फटने, भारी वर्षा और भूस्खलन से सबसे अधिक नुकसान नदियों, खड्डों व नालों किनारे बने भवनों को हुआ था। जनवरी 2024 में पहली बार खड्डों से सात मीटर दूर और नालों से भवन निर्माण के लिए पांच मीटर की दूरी निर्धारित कर नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने अधिसूचना जारी की थी। ऐसे में योजना क्षेत्र में तो मकान इस नियम के तहत बनेंगे जबकि बाकी स्थानों के लिए ऐसे नियम नहीं हैं। नदियों से कितनी दूर निर्माण किया जा सकता है, इस संबंध में किसी विभाग ने अधिसूचना जारी नहीं की है।
सीएम ने 100 मीटर दूरी पर निर्माण के निर्देश दिए पर अमल नहीं
हालांकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस साल सात जुलाई को अधिकारियों के साथ आपदा के संबंध में हुई बैठक में निर्देश दिए थे कि नदियों से 100 मीटर दूर ही परियोजनाओं के साथ अन्य निर्माण कार्य करें। हालांकि इस संबंध में लिखित आदेश जारी नहीं हुए हैं। नदी, नालों व नदियों के किनारे अवैध रूप से हो रहे निर्माण कार्य को रोकने के लिए भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
नियम लागू करने के लिए कोई पहल नहीं
प्रदेश में खड्डों व नदियों के साथ कई नगर निगम, नगर निकाय और ग्रामीण क्षेत्र हैं मगर नियम लागू करने के लिए कोई पहल नहीं हुई है। हालांकि 1,000 वर्गमीटर से अधिक का निर्माण शहर और गांव में कहीं पर भी होगा, उसके लिए नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग से मंजूरी लेना आवश्यक कर दिया गया है। इससे पूर्व 2500 वर्गमीटर से अधिक का क्षेत्र इस दायरे में आता था।
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कब क्या हुआ
- 2023 में नदियों, खड्डों व नालों किनारे बने भवनों को था अधिक नुकसान
- 2024 जनवरी में खड्डों, नालों के निकट निर्माण के लिए नियम बने थे
- 7 मीटर दूर खड्डों से, नालों से पांच मीटर दूर कर सकते हैं भवन निर्माण
- 100 मीटर दूर नदियों से निर्माण के संबंध में लिखित आदेश जारी नहीं हुए
- 1,000 वर्गमीटर से अधिक निर्माण के लिए अब मंजूरी लेना आवश्यक है
- 2500 वर्गमीटर से अधिक का क्षेत्र इस दायरे में आता था इससे पहले
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क्या कहते हैं अधिकारी व मंत्री
बरसात के दौरान नदियों, नालों और खड्डों के साथ कितने मकानों को नुकसान हुआ है, इसका कोई आंकड़ा नहीं है। भवनों के निर्माण से लेकर नालों, खड़्ड आदि को लेकर आवश्यक सुझाव और समय-समय पर निर्देश दिए गए हैं।
-डीसी राणा, विशेष सचिव, आपदा प्रबंधन।
खड्डों और नालों से मकान की दूरी को लेकर निर्धारित नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा। बरसात के दौरान व भूकंप के दौरान मकान पूरी तरह कैसे सुरक्षित हों, इसके लिए जोन आधार पर भवनों के निर्माण को तय किया जा रहा है। प्रदेश में नदियों, खड्डों और नालों के साथ बहुत से भवन हैं जिन्हें हमेशा खतरा बना रहता है। ऐसे भवनों को सुरक्षित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। बरसात के दौरान नदियों व नालों के साथ बने कितने भवनों को नुकसान हुआ, इसका डाटा उपलब्ध नहीं है। इस पर कार्य किया जा रहा है। ऐसा कोई मामला नहीं है जिसमें किसी व्यक्ति ने नदी, खड्ड या नाले के किनारे निर्माण कार्य की अनुमति ली हो।
-राजेश धर्माणी, नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री।
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