Himachal Assembly Election: सर्वाधिक वोट लेकर भी सत्ता से दूर रही थी कांग्रेस, 1998 का रोचक राजनीतिक किस्सा
Himachal Assembly Election 1998 के विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक वोट लेने पर भी कांग्रेस को सत्ता सुख नहीं मिला था। मात्र 10.51 प्रतिशत मतों के साथ हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी (हिविकां) ने कांग्रेस का सारा खेल बिगाड़ दिया था।

मंडी, हंसराज सैनी। Himachal Assembly Election, 1998 के विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक वोट लेने पर भी कांग्रेस को सत्ता सुख नहीं मिला था। मात्र 10.51 प्रतिशत मतों के साथ हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी (हिविकां) ने कांग्रेस का सारा खेल बिगाड़ दिया था। हिविकां किंग मेकर बन गई थी। चार सीटों के साथ के सत्ता की चाबी पार्टी के संस्थापक पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम के हाथ आ गई थी। कांग्रेस को इस चुनाव में सबसे अधिक 43.51 व भाजपा को 39.02 प्रतिशत मिले थे। कांग्रेस ने भाजपा से करीब 4.49 प्रतिशत अधिक मत लिए थे। कांग्रेस 31 व भाजपा को 29 सीटें मिली थी। एक सीट पर निर्दलीय रमेश धवाला विजयी रहे थे।
65 सीटों पर चुनाव हुआ था। लाहुल-स्पीति,किन्नौर व भरमौर हलके में बाद में चुनाव हुआ था। 65 सीटों पर चुनाव होने से बहुमत का आंकड़ा 33 था। कांगड़ा जिला के परागपुर हलके से विजयी हुए वीरेंद्र धीमान का चुनाव परिणाम आने से पहले निधन हो गया था। भाजपा के पास 28 सीटें रह गई थी। बहुमत के आंकड़े को छूने के लिए कांग्रेस को दो सीटों की जरूरत थी। वीरभद्र सिंह ने रमेश धवाला को मंत्री पद देकर सरकार बना ली।
कांग्रेस नेतृत्व ने अस्वीकार कर दी थी यह मांग
हिविकां के टिकट से विजयी हुए प्रकाश चौधरी व मनसा राम मूल रूप से कांग्रेसी थे। वीरभद्र सिंह कैंप उनकी कांग्रेस में वापसी के लिए हाथ पैर मारता रहा। पंडित सुखराम के आगे एक नहीं चली थी। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने पंडित सुखराम से समर्थन मांगा था। वह वीरभद्र सिंह के बजाय किसी अन्य नेता को मुख्यमंत्री बनाने की मांग पर अड़े रहे। कांग्रेस नेतृत्व ने उनकी इस मांग को अस्वीकार कर दिया था।
भाजपा में शामिल करवा दिए थे दो विधायक
सुखराम ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए कांग्रेस की मंशा को भांप प्रकाश चौधरी व मनसा राम को भाजपा में शामिल करवा दिया था। इससे भाजपा के पास 30 विधायक हो गए थे। हिविकां के दो विधायकों व निर्दलीय रमेश धवाला का समर्थन मिलने से भाजपा ने बहुमत के आंकड़े को छू लिया था और दो सप्ताह में वीरभद्र सरकार गिर गई।
सुखराम ने खेला एक और मास्टर स्ट्रोक
प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा हिविकां गठबंधन सरकार का गठन हुआ था। तीनों दुर्गम क्षेत्रों के साथ परागपुर में उपचुनाव होना था। चारों क्षेत्रों के नतीजों से अंक गणित बिगड़ सकता था। सुखराम ने दोबारा मास्टर स्ट्रोक खेल कांग्रेस विधायक गुलाब सिंह ठाकुर को विधानसभा अध्यक्ष बनवा कांग्रेस को एक और झटका दिया था।
चारों सीटें भाजपा व हिविकां जीती
दुर्गम क्षेत्र किन्नौर व भरमौर में भाजपा व लाहुल स्पीति में हिविकां विजयी रही थी। परागपुर के उपचुनाव में बाजी भाजपा के हाथ लगी थी। प्रो. धूमल ने पांच साल तक हिविकां गठबंधन के साथ सरकार चलाई थी और कार्यकाल भी पूरा किया था।
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