वनों का प्रबंधन कर करेंगे आर्थिकी मजबूत, बोले डा. सोमल
सेवानिवृत्त अधिकारी व स्वराज सत्याग्रही डा. अशोक कुमार सोमल ने कहा कि वनों का प्रबंधन कर आर्थिकी को मजबूत करेंगे। हिमाचल में 50 प्रतिशत क्षेत्र में वन हैं और इसमें लगभग 10 प्रतिशत निजी भूमि में हैं। फतेहपुर में भी लगभग यही स्थिति है।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। सेवानिवृत्त अधिकारी व स्वराज सत्याग्रही डा. अशोक कुमार सोमल ने कहा कि वनों का प्रबंधन कर आर्थिकी को मजबूत करेंगे। हिमाचल में 50 प्रतिशत क्षेत्र में वन हैं और इसमें लगभग 10 प्रतिशत निजी भूमि में हैं। फतेहपुर में भी लगभग यही स्थिति है। हिंदोस्तान में जंगलों की उत्पादकता पूरे विश्व में न्यूनतम है। इसका मुख्य कारण: वनों का प्रबंधन वैज्ञानिक नहीं है। लोग वनों और पर्यावरण यानी जल, जंगल, जमीन के प्रबंधन में वैज्ञानिक सोच नहीं रखते हैं। जंगलों को खुद के साथ नहीं जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है की फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के निजी जंगलों और जमीन का प्रबंध लोग वैज्ञानिक तरीके से करें वन विभाग भी चुस्त दुरुस्त हो और सरकारी जंगल भी लोगों की एवम पर्यावरण की जरूरत के मुताबिक विकसित हों।
हर किसान को देंगे यह पौधे
हर किसान को अपने स्तर पर 10 पौधे सागवान 10 पौधे चारा के कराल व्यूल शहतूत इत्यादि 10 पौधे मौर यानी मगर व 10 पौधे हरड़ बहेड़ा आमला लसूड़ा खैर तथा एक दो पौधे चंदन के देंगे। मनरेगा में भी हर पंचायत में पौध रोपण किया जाएगा। वन विभाग भी वनों में इन प्रजातियों के पौधे लगाए ताकि स्थानीय लोगों को लाभ मिले। सरकारी जंगलों में लूसेनिया, शहतूत, अमरूद, आम के पौधे लगेंगे ताकि बंदर जंगलों में रहें लोगों के खेत बगीचे बर्बाद न करें। जंगलों में हाथी घास लगाया जाए ताकि बेसहारा पशुओं को चारा व आसरा मिले।
खड्डों किनारे बेकार भूमि पर करेंगे छिड़काव
खड्डों और बेकार पड़ी भूमि में लुसीनी, खैर, क्रिंज, अर्जुन, दरेक के बीज का 10 / 20 क्विंटल छिड़काव अपने स्तर पर करेंगे। जंगल अवश्य लोगों की आर्थिकी सुधारने एवम पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाएंगे दुनियां को एक उदाहरण बनेंगे।
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