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    चुनावी चक्रम : मैदान पर चौके-छक्के लगाने वाला खिलाड़ी राजनीतिक पिच पर हिट विकेट हो गया

    By Virender KumarEdited By:
    Updated: Thu, 27 Oct 2022 07:19 PM (IST)

    Chunavi Chakram क्रिकेट और राजनीति का गहरा नाता रहा है। इसी नाते शुक्ल पक्ष में ससुर ने दामाद के लिए फील्डिंग सजाई। रातोंरात रण में उतारने का आशीष भी दिया लेकिन बिना पुख्ता सुरक्षा के क्रीज पर उतरा यह बल्लेबाज दूसरे ही दिन हिट विकेट हो गया।

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    चुनावी चक्रम : मैदान पर चौके-छक्के लगाने वाला खिलाड़ी राजनीतिक पिच पर हिट विकेट हो गया।

    क्रिकेट, राजनीति और आशीष

    Chunavi Chakram, क्रिकेट और राजनीति का गहरा नाता रहा है। इसी नाते शुक्ल पक्ष में ससुर ने दामाद के लिए फील्डिंग सजाई। रातोंरात वीरों की भूमि कहे जाने वाले हमीरपुर के रण में उतारने का आशीष भी दिया। लेकिन, बिना पुख्ता सुरक्षा के क्रीज पर उतरा यह बल्लेबाज नादौन के अमतर मैदान से आए बाउंसर को नहीं झेल पाया। उससे बचने के चक्कर में दूसरे ही दिन हिट विकेट हो गया। राजनीति का यह बल्लेबाज अब अपनी टीम के साथ आजाद मैदान में उतर रहा है। लेकिन, अब उसके लिए मुकाबला पहले से कड़ा है। एक ओर राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी नरेंद्र ठाकुर हैं, जिन्हें बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अपना अनुराग दे चुके हैं। तो दूसरी ओर पुष्पेंद्र हैं, जिन्हें कांग्रेस का सुख प्राप्त है। लोग कह रहे हैं कि शुक्ल पक्ष कैसा भी हो यहां अपनों का पक्ष ही काम आता है।

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    फोन है या जासूस

    भई बड़ा कठिन है इस फोन के साथ। एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर चल रहा है। उसमें कांग्रेस का एक बड़ा नेता त्रिगर्त में कांग्रेस के एक दिवंगत नेता के बारे में अनाप शनाप बोल रहा है। माइक हाथ में है। जब कोई न सुन रहा हो और बात रिकार्ड हो रही हो तो आदमी का भाषा संस्कार सामने आ जाता है। ऐसा ही हुआ। अब कांग्रेस के बड़े नेता क्या कदम उठाते हैं, यह देखने की बात है। उधर, धर्मशाला में कांग्रेस की दो नेताओं की बात खूब प्रसारित हो रही है। दोनों झगड़ रही हैं। एक ने भाषा के साथ भी प्रयोग किया। थप्पड़ मारना, चपेड़ मारना आदि को संक्षिप्त करते हुए दूसरी से कहा -अब तूने मेरे बारे में कुछ लिखा तो मैं तुझे ऐसा चपेड़ूंगी कि तुझे याद रहेगा। कोई समझाए कि चुनाव कुछ दिन की बात है, बाद में सब यहीं रहेंगे।

    केवल यह बात कि केवल न आए

    शाहपुर क्षेत्र में कई वर्षों से हाथ कीचड़ में सना रहा और कमल आराम से खिलता रहा। कारण यह था कि मेजर विजय सिंह मनकोटिया और केवल सिंह पठानिया दोनों कांग्रेस से हैं, राजपूत हैं... दोनों लड़ते थे और लाभ भाजपा का यानी सरवीण मैडम का होता था। इस बार मेजर साहब भारतीय जनता पार्टी में चले गए हैं। गए भी तब, जब टिकट बंट चुका था। यानी चुनावी इच्छा कोई नहीं है। तो इच्छा क्या है? इच्छा यह है कि कोई भी जीते, मनकोटिया केवल इतना चाहते हैं कि केवल न आए। यानी केवल सिंह पठानिया के साथ विरोध पक्का है। हालांकि कुछ दिन पहले मेजर साहब भाजपा नेता के जमीन खरीद के कागज भी दिखा रहे थे। देखना यह है कि शाहपुर का शाह कौन बनता है। सरवीण परंपरा कायम रखती हैं या फिर केवल सिंह।

    समाजसेवा से राजनीति की राह

    कई लोगों को विरासत में राजनीति मिल जाती है लेकिन कई लोगों को राजनीति में खुद रास्ता तलाश करना पड़ता है। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी ऐसे कई चेहरे देखे जा सकते हैं जो राजनीति में आने से काफी समय पहले समाजसेवा में सक्रिय हो गए थे। विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन कर चुके कई चेहरे ऐसे हैं जो समाजसेवा के रास्ते से ही यहां तक पहुंचे हैं। समाज में इनकी चर्चा भी हो रही है और इनके पीछे लोग भी खड़े हैं। कुछ को ब़ड़े दलों ने प्रत्याशी भी बनाया है। कुछ विधानसभा में भी पहुंच सकते हैं। विरासत की राजनीति अब बीता हुआ कल प्रतीत होती है। आम लोग भी कहने लगे हैं कि जो लोग जनता के बीच रहेंगे उनके दु:ख में शामिल होंगे वही राजनीति में रहेंगे। अब देखना दिलचस्प रहेगा कि आठ दिसंबर को अंतिम परिणाम क्या होगा।