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    Chakki Railway Bridge: क्षतिग्रस्त पुल से गुजर रहीं ट्रेन, दिल्ली के इंजीनियरों ने किया मूल्यांकन, ...बाढ़ बढ़ाएगी मुश्किल, VIDEO

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 07:00 PM (IST)

    Railway Bridge Collapse हिमाचल प्रदेश के माजरा में चक्की खड्ड में बाढ़ से जम्मू-पठानकोट रेलवे ट्रैक पर पुल की सुरक्षा दीवार गिर गई। खनन के कारण दीवार गिरी है जिससे 90 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई है। दिल्ली से इंजीनियरों की टीम ने निरीक्षण किया और पुल को आंशिक रूप से सुरक्षित बताया।

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    चक्की में रेलवे ब्रिज का मूल्यांकन करने पहुंची इंजीनियरों की टीम।

    रमन कुमार, इंदौरा। Chakki Railway Bridge, पड़ोसी राज्य पंजाब से सटे कांगड़ा जिले के माजरा में चक्की खड्ड में सोमवार को आई बाढ़ से जम्मू-पठानकोट-जालंधर रेलवे ट्रैक पर पुल के नीचे सुरक्षा दीवार गिर गई। जिस समय हादसा हुआ, उस दौरान पुल से रेलगाड़ी गुजर गई लेकिन व्यवस्था पर सवाल छोड़ गई। खनन के कारण ही पुल की सुरक्षा दीवार गिरी है। पुल से रोजाना करीब 90 रेलगाड़ियां आवाजाही करती हैं। यह रेलवे पुल हिमाचल, पंजाब व देश के सभी राज्यों को जम्मू-कश्मीर से जोड़ता है। 

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    हालात की गंभीरता को देखते हुए रेलवे के वरिष्ठ अभियंता मंगलवार सुबह दिल्ली से पठानकोट पहुंचे और स्थिति का जायज़ा लिया। रेलवे अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर नुकसान के स्तर का मूल्यांकन किया और पुल की स्थिरता की जांच की। विशेषज्ञों की टीम ने फिलहाल पुल को आंशिक रूप से सुरक्षित बताया है, लेकिन चेताया कि दोबारा भारी बारिश हुई तो स्थिति गंभीर हो सकती है। पुल के मरम्मत कार्य को लेकर प्राथमिकता के आधार पर योजना बनाई जा रही है और कार्य जल्द शुरू होने की संभावना है।

    क्षतिग्रस्त पुल से गुजर रहीं ट्रेन

    पुल क्षतिग्रस्त होने के बावजूद फिलहाल ट्रेनों का संचालन पूरी तरह बंद नहीं किया गया है। एहतियातन ट्रेनों को धीमी गति से निकाला जा रहा है। मुख्य अभियंता के लौटने के बाद दिल्ली में रेलवे बोर्ड को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाएगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

    खनन के कारण असुरक्षित हुआ पुल

    उल्लेखनीय है कि इन दिनों चक्की खड्ड में प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है। यह पहला मौका नहीं है जब खनन के कारण कोई संरचना क्षतिग्रस्त हुई है। इससे पहले कंडवाल में पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेल ट्रैक पर बना पुल भी खनन की भेंट चढ़ चुका है। हैरानी की बात यह है कि प्रदेश सरकार खनन माफिया पर कार्रवाई करने में नाकाम साबित हुई है। क्षेत्र के लोगों ने सरकार से मांग है कि चक्की खड्ड में हो रहे खनन को तुरंत प्रभाव से रोका जाए और जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।

    चक्की दरिया पर क्षतिग्रस्त पुल का निरीक्षण करते इंजीनियर। 

    माजरा का पठानकोट से संपर्क कटा

    कांगड़ा जिले में रविवार रात से मूसलधार वर्षा जारी है। पठानकोट से सटे हिमाचल के माजरा गांव व पठानकोट एयरपोर्ट की ओर जाने वाली सड़क को भी काफी नुकसान हुआ है। क्षेत्र का पठानकोट से संपर्क कट गया है। पिछले वर्ष भी यह सड़क चक्की खड्ड के तेज बहाव में बह गई थी और चार महीने तक माजरा का संपर्क पठानकोट से कट गया था।

    जलस्तर बढ़ने से पुल का नींव क्षेत्र धंस रहा

    चक्की दरिया के जलस्तर में बेतहाशा बढ़ोतरी के कारण रेलवे ब्रिज का नींव-क्षेत्र धीरे-धीरे धंसता जा रहा है जिससे जम्मू-कश्मीर का शेष भारत से रेल संपर्क कटने का खतरा बढ़ गया है। बीते वर्ष भी इसी मार्ग के बहने के कारण सेना को हस्तक्षेप करना पड़ा था। अब फिर वही हालात दोहराए जा रहे हैं।

    क्या कहते हैं अधिकारी

    • उत्तरी क्षेत्र रेलवे, जम्मू कश्मीर के डीएम विवेक कुमार का कहना है कि रेलवे पुल अभी सुरक्षित है। पुल की सुरक्षा दीवार पानी के बहाव के कारण बही है। यदि जरूरत हुई तो रेलगाड़ियों की आवाजाही बंद की सकती है।
    • इंदौरा के एसडीएम सुरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि हम मौके पर जा रहे हैं। लोक निर्माण विभाग, सेना व पठानकोट प्रशासन से मिलकर वैकल्पिक रास्ता तैयार करवाने की कोशिश की जा रही है। 

    स्थानीय लोगों का फूटा गुस्सा, बोले-हर वर्ष मिट्टी डालकर लीपापोती

    इलाके के निवासियों जानी मरवाहा, मनी खोसला, विकास व अजय कुमार ने कहा कि हर मानसून में चक्की दरिया कहर बरपाता है। प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि वार्षिक करोड़ों रुपये केवल बहाव में बह जाते हैं। समय रहते पक्का व ठोस समाधान न मिलने के कारण आज यह हालत बने हैं। गुज्जर समुदाय के मक्खन दीन व आलमदीन ने कहा कि यह मार्ग पहले पक्का था, फिर टूटने पर मिट्टी डालकर कच्चा कर दिया गया और अब वह भी बह गया है। दूध लेकर रोज शहर जाने वाले ग्रामीण आज बुरी तरह फंसे हुए हैं।

    पिछली घटनाएं : जब जान पर बन आई थी

    • 24 जून 2024 : चक्की दरिया में अचानक उफान से निर्माणाधीन पुल पर काम कर रहे चार मजदूर फंस गए थे जिन्हें सेना व एनडीआरएफ की टीम ने घंटों रेस्क्यू के बाद बचाया था।
    • 2022 की बाढ़ : एक दर्जन गांवों का संपर्क मार्ग पूरी तरह से बह गया था जो आज तक बहाल नहीं हो पाया।

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