Shimla Nagar Nigam: 36 साल बाद नगर निगम शिमला को फिर चलाएगा प्रशासक, यह है वजह
MC Shimla 36 साल के बाद एक बार फिर शिमला नगर निगम की कमान प्रशासक के हाथों में होगी। 18 जून यानि शनिवार को नगर निगम शिमला का पांच सालों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। वीरवार को नगर निगम शिमला की अंतिम मासिक बैठक हुई।

शिमला, अनिल ठाकुर। MC Shimla, 36 साल के बाद एक बार फिर शिमला नगर निगम की कमान प्रशासक के हाथों में होगी। 18 जून यानि शनिवार को नगर निगम शिमला का पांच सालों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। वीरवार को नगर निगम शिमला की अंतिम मासिक बैठक हुई। बैठक में पाषर्दों को फेयरवैल दी गई। महापौर ने पाषर्दों को सम्मानित भी किया। वार्डों के पुनर्सीमांकन को लेकर मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के चलते समय पर चुनाव नहीं हो पाए। यही वजह है कि नगर निगम की कमान प्रशासक के हाथों में सौंपी जा रही है। हालांकि राज्य चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट का फैंसला आने के बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी है लेकिन चुनावी प्रक्रिया के लिए समय लगेगा, तब तक प्रशासक ही नगर निगम की कमान संभालेगा। वर्ष 1986 तक नगर निगम शिमला में प्रशासक नियुक्त किया जाता था। उपायुक्त शिमला, नगर निगम के आयुक्त के अलावा वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को प्रशासक की कमान सौंपी जा सकती है।
ऐसे बदलेगी कार्यप्रणाली
नगर निगम में सरकार प्रशासक नियुक्त कर देगी। जब तक चुनाव नहीं हो जाते तब तक प्रशासक ही कामकाज देखेगा। महापौर, उप महापौर, पाषर्दों की भूमिका समाप्त हो जाएगी। चरित्र प्रमाण पत्र, बीपीएल सर्टिफिकेट के लिए सर्टिफिकेट, रेजिडेंस प्रूफ सहित अन्य तरह के प्रमाण पत्र जो पाषर्दों की ओर से जारी किए जाते थे अब वह निगम कार्यालय से ही मिलेंगे। इसके अलावा विकास कार्यों के लिए पहले पाषर्द प्राथमिक्ता बताते थे अब प्रशासक स्वयं निर्णय लेंगे।
1851 में बनी थी नगर पालिका, 26 अगस्त 1855 को हुए थे चुनाव
वर्ष 1851 में शिमला में नगर पालिका बनी थी। 26 अगस्त 1855 में पहली बार नगर पालिका के चुनाव करवाए गए थे। इससे पूर्व नगर निगम के पदेन सदस्य होते थे। शिमला नगर पालिका तत्कालीन पंजाब की पहली नगर पालिका थी। 31 जुलाई 1871 में शिमला प्रथम श्रेणी नगर पालिका गठित हुई थी।
एक सितंबर 1970 को प्रदेश सरकार ने शिमला नगर पालिका का स्टेटस बदलकर नगर निगम किया था। 1968 के एक्ट के बाद प्रदेश एमसी एक्ट 1979 बना। इसकी स्वीकृति राष्ट्रपति से 22 अगस्त 1980 को मिली। 1986 तक नगर निगम के चुनाव नहीं हुए। इस अवधि के दौरान पांच अलग-अलग प्रशासक इसके प्रमुख रहे।
वार्डों की संख्या बढ़ी, मेयर के लिए हुआ था सीधा चुनाव
नगर निगम शिमला में पहले 21 वार्ड होते थे। आबादी बढऩे के साथ इसकी संख्या भी बढ़ाई गई। मौजूदा समय में नगर निगम के वार्डों की संख्या बढ़ाकर 41 कर दी गई है। वर्ष 2012 में सरकार ने नगर निगम के महापौर और उप महापौर के चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से करवाने का फैसला लिया। पहली बार हुए प्रत्यक्ष चुनाव में माकपा के संजय चौहान ने महापौर और टिकेंद्र पंवर ने उप महापौर के पद पर जीत दर्ज की। यह प्रत्यक्ष चुनाव पहली और आखिरी बार हुए हैं। इसके बाद प्रत्यक्ष चुनाव पर रोक लगा दी थी।
अब आर्थिक स्थिति खराब, पहले देते थे मुंबई को उधार
नगर निगम शिमला की आर्थिक स्थिति बेहतर खराब है। हालत ये है कि निगम के पास विकास कार्यों के लिए प्रर्याप्त बजट ही नहीं है। जबकि पहले शिमला नगर निगम की स्थिति काफी बेहतर थी। किसी जमाने में शिमला नगर पालिका ने मुंबई नगर पालिका को उधार दिया था।
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