TET की अनिवार्यता के विरोध में उतरे शिक्षक, राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर दिया 2010 की भर्ती का तर्क
TET Compulsory Rules हिमाचल शिक्षक संघ TET अनिवार्यता के विरोध में उतरा है। संघ ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर TET लागू नहीं होता फिर भी उन्हें बाध्य किया जा रहा है। संघ ने सरकार से इस मुद्दे पर जल्द कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

जागरण संवाददाता, हमीरपुर। हिमाचल के शिक्षक संघ ने अध्यापक पात्रता परीक्षा (टेट) को बैक डेट से लागू करने के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस मुद्दे पर राजकीय टीजीटी कला संघ ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष को ज्ञापन भेजा है।
संघ ने मांग की है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पुनरीक्षा याचिका दाखिल करे और संसद में संशोधन विधेयक लाकर आरटीई एक्ट की खामियों को दूर करे।
लिखित भर्ती परीक्षा पास कर नियुक्त शिक्षक साबित कर चुके पात्रता
संघ के प्रदेश महासचिव ने कहा कि 2010 से पहले लिखित भर्ती परीक्षा पास करके नियुक्त हुए शिक्षक पहले ही पात्रता साबित कर चुके हैं। उस समय टीईटी का अस्तित्व नहीं था, इसलिए उनकी सेवाएं अब टीईटी के अभाव में समाप्त नहीं की जा सकतीं।
2010 से पहले तैनात शिक्षकों के लिए लागू नहीं होती टेट अनिवार्यता
उनका कहना है कि आरटीई अधिनियम की धारा 23 के अनुसार 23 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टेट की अनिवार्यता लागू नहीं होती, इसके बावजूद कई राज्यों में उन्हें टीईटी पास करने को मजबूर किया जा रहा है।
शिक्षकों के खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई न हो
संघ ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालय भी स्पष्ट कर चुके हैं कि यह शर्त केवल नई नियुक्तियों पर लागू होती है। ज्ञापन में केंद्र से आग्रह किया गया है कि संशोधन विधेयक पारित होने तक एनसीटीई को निर्देश दिए जाएं कि ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई न हो।
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संघ का कहना है कि लंबे समय से सेवा दे रहे हजारों शिक्षक मानसिक तनाव और असुरक्षा में हैं, इसलिए सरकार को शीघ्र हस्तक्षेप करना चाहिए।
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