Himachal News: जात-पात की बेड़ियों से कब मिलेगी आजादी, हमीरपुर में बुजुर्ग के अंतिम संस्कार पर विवाद, बुलानी पड़ी पुलिस
Himachal Pradesh News हमीरपुर के बड़सर में एक बुजुर्ग व्यक्ति के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद हो गया। अनुसूचित जाति के होने के कारण अन्य जाति के लोगों ने श्मशानघाट पर अंतिम संस्कार करने से रोक दिया जिसके चलते दो घंटे तक शव को मुखाग्नि नहीं दी जा सकी। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ

संवाद सहयोगी, बड़सर (हमीरपुर)। Himachal Pradesh News, हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई। 21वीं सदी के दौर में भी प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जात पात का असर लोगों के मन से नहीं निकल पाया है।उपमंडल बड़सर के अंतर्गत कड़साई पंचायत में अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले एक बुजुर्ग व्यक्ति का निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार को लेकर भेवड सहेली श्मशानघाट में विवाद हो गया।
अन्य जाति के लोग उनके श्मशानघाट पर अंतिम संस्कार न करने पर अड़ गए। दो घंटे तक चिता को मुखाग्नि नहीं दी जा सकी। विवाद इतना बढ़ गया कि मौके पर पुलिस को बुलाना पड़ा। पुलिस के समझाने के बाद बुजुर्ग का अंतिम संस्कार हाे सका।

पानी का बहाव होने के कारण नहीं पहुंचा जा सकता था श्मशानघाट तक
यहां साथ लगते ननावां गांव के अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। लेकिन जिस जगह अनुसूचित जाति के लोग अंतिम संस्कार करते हैं, वहां बरसात के कारण संस्कार नहीं किया जा सकता था। उस जगह पानी का बहाव था और रास्ता भी खराब हो चुका है।
आपसी समझौत से हुआ फैसला
मामले की गंभीरता को देखते हुए मौके पर पुलिस प्रशासन भी पहुंचा। लोगों के हंगामे के दौरान करीब 2 घंटे तक शव श्मशानघाट पर पड़ा रहा। अंत में पुलिस प्रशासन के समझाने के बाद आपसी समझौते से शव को जलाने का फैसला लिया गया।

बरसात के मौसम के लिए लोगों ने पंचायत के माध्यम से मांगी थी अनुमति
कड़साई पंचायत प्रधान के मुताबिक समस्या को देखते हुए ननावां गांव के लोगों ने प्रस्ताव डालकर पंचायत से अनुमति मांगी कि बरसात के मौसम में हमें इस श्मशानघाट पर अंतिम संस्कार करने दिया जाए। लेकिन गांववासियों की असहमति के बाद इस प्रस्ताव को लौटा दिया गया, इसके बाद यह मामला प्रशासन के पास पहुंचा और फैसला किया गया कि जल्द ही सरकारी भूमि चिह्नित कर किसी उपयुक्त जगह श्मशानघाट बनाया जाएगा।
सरकारी पैसे से बने श्मशानघाट पर सबका अधिकार
ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग जातियों के शव को जलाने संबंधी कोई नियम कानून नहीं है, केवल आपसी सहमति से शव अलग-अलग जलाए जाते हैं। सरकारी भूमि पर सरकारी पैसे से किए गए निर्माण पर सभी लोगों का हक है। अगर प्रशासन के समझाने के बाद भी लोग जात-पात को लेकर शव जलाने नहीं देते तो पुलिस के पास कानूनी कार्रवाई का अधिकार भी है।
पुलिस ने लोगों को समझाकर संस्कार करवाया
डीएसपी बड़सर लालमन शर्मा का कहना है कि मौके पर पुलिस टीम पहुंची थी लोगों को समझाकर अंतिम संस्कार करवाया गया है। स्थानीय प्रशासन से बात की गई है उपयुक्त जगह देखकर उनके लिए अलग से श्मशानघाट बनाया जाएगा।

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