Himachal News: चार साल बाद बोली बच्ची, गाया जन गण मन; इन 5 बिंदुओं में समझें आपके बच्चे में तो नहीं यह दिक्कत
Himachal Pradesh News कांगड़ा के टांडा मेडिकल कॉलेज में रिद्धिमा भाटिया नामक बच्ची जो जन्म से बहरी थी को कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी के बाद आवाज सुनने और बोलने में सक्षम हो गई है। स्वतंत्रता दिवस पर उसने जन गण मन गाया। टांडा मेडिकल कॉलेज में अब तक 50 कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी हो चुकी हैं।

तरसेम सैनी, टांडा (कांगड़ा)। हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में पालमपुर के नजदीकी गांव पुन्नर की रिद्धिमा भाटिया अब आवाज सुनती है और बोलती भी है। इस स्वतंत्रता दिवस पर रिद्धिमा ने 'जन गण मन' गाया। बेशक कुछ शब्दों को वह ठीक ढंग से नहीं बोल पाई, लेकिन स्वजन के लिए इससे बड़ी खुशी की बात कोई नहीं कि उनकी बच्ची अब बोलने लग गई है।
रिद्धिमा के पिता प्रेम भाटिया व माता मोनिका ने डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा के ईएनटी (कान, नाक व गला) विभाग के विशेषज्ञों खासकर विभागाध्यक्ष डा. मुनीष सरोच का धन्यवाद किया। टांडा मेडिकल कालेज में अब तक 50 कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी की जा चुकी हैं।
चार वर्ष की आयु तक रिद्धिमा के स्वजन उसकी आवाज सुनने को तरस गए थे। वह जन्म से बहरेपन से पीड़ित थी। किसी भी तरह की आवाज होने पर कोई प्रतिक्रिया न देने पर स्वजन को शक हुआ तो बच्ची की जांच करवाने नागरिक अस्पताल पालमपुर गए। तब बच्ची के बहरा होने का पता चला। पालमपुर से टांडा मेडिकल कालेज रेफर किया गया।
टांडा मेडिकल कालेज में जांच व कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद रिद्धिमा की कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी की गई। लगभग एक माह बाद कोक्लियर इंप्लांट को आन करके प्रोग्राम किया। फिर शुरू हुई स्पीच थैरेपी यानी बोलने की प्रक्रिया। रिद्धिमा की छोटी बहन प्रीशा की भी हाल ही में टांडा मेडिकल कालेज में कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी की गई है। कोक्लियर इंप्लांट को आन व प्रोग्राम कर दिया गया है। अब प्रीशा की स्पीच थैरेपी चल रही है। उम्मीद है वह भी जल्द बोलने लगेगी।
ऐसे पहचानें बच्चा सुन रहा या नहीं
- बच्चे को आवाज सुनने में परेशानी हो।
- बच्चा बोलने में देरी करता है।
- बच्चा अपने नाम का उत्तर नहीं देता।
- बच्चा टेलीविजन या संगीत की आवाज पर प्रतिक्रिया नहीं करता।
- अधिकांश बच्चों की श्रवण क्षमता का पता छह माह के भीतर चल जाता है।
आरबीएसके के तहत कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी निश्शुल्क
बच्चों के जीवन की सामग्री गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) शुरू किया गया है। इस योजना के तहत बच्चों को प्रभावित करने वाली बीमारियों जन्मजात हृदय रोग, बहरापन, अंधापन, मौखिक रोग और मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां इत्यादि का निश्शुल्क उपचार किया जाता है। इसी के तहत बहरेपन से पीड़ित बच्चों को टांडा मेडिकल कालेज में लगभग 6.77 लाख रुपये का कोक्लियर इंप्लांट निश्शुल्क डाला जाता है।
कोक्लियर ब्रह्मोस कार्यशाला में की गई तीन सर्जरी
टांडा मेडिकल कालेज में नौ से 11 जुलाई तक कोक्लियर ब्रह्मोस कार्यशाला में तीन बच्चों की सर्जरी की गई। पांच अगस्त को सभी इंप्लांट को आन करके प्रोग्राम कर दिया है। अभी स्पीच थैरेपी चल रही है। तीन-चार माह के बाद बच्चे बोलने भी लग जाएंगे।
टांडा में निश्शुल्क सर्जरी
टांडा मेडिकल कालेज में अब तक 50 बच्चों की कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी की जा चुकी हैं। आरबीएसके के तहत यह सर्जरी निश्शुल्क की जाती है। कोक्लियर ब्रह्मोस कार्यशाला में तीन बच्चों की कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी की गई। इसमें 14 माह के बच्चे को भी कोक्लियर इंप्लांट डाला गया। उत्तर भारत में पहली ऐसी सर्जरी टांडा मेडिकल कालेज में की गई है। विभाग की पूरी टीम बेहतर कार्य कर रही है।
-डा. मुनीष सरोच, विभागाध्यक्ष ईएनटी टांडा मेडिकल कालेज।
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