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ह‍िमाचल में च‍िक‍ित्‍सक हड़ताल पर मरीज हुए बेहाल

चिकित्‍सक की मौत से गुस्‍साए ह‍िमाचल प्रदेश के करीब दो हजार च‍िक‍ित्‍सक आज हड़ताल पर रहे। इस कारण प्रदेश के करीब 700 से अधि‍क स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थानों में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं ठप रही।

By Munish DixitEdited By: Published: Mon, 23 Jan 2017 04:04 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jan 2017 04:26 PM (IST)
ह‍िमाचल में च‍िक‍ित्‍सक हड़ताल पर मरीज हुए बेहाल
ह‍िमाचल में च‍िक‍ित्‍सक हड़ताल पर मरीज हुए बेहाल

धर्मशाला [वेब डेस्क]: चिकित्सक की मौत से गुस्साए हिमाचल प्रदेश के करीब दो हजार चिकित्सक आज हड़ताल पर रहे। इस कारण प्रदेश के करीब 700 से अधिक स्वास्थ्य संस्थानों में स्वास्थ्य सेवाएं ठप रही। इस कारण प्रदेश के मेडीकल कॉलेजों में करीब 150 आपरेशन भी टल गए। कहीं भी इमरजेंसी सेवाओं के अलावा कोई भी ओपीडी नहीं चली।

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हिमाचल प्रदेश में आज करीब हजार डॉक्टर आज सामूहिक अवकाश पर रहे। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आरपीजीएमसी) टांडा व इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला से रेजीडेंट चिकित्सक भी चिकित्सा अधिकारी संघ का कैजुअल लीव में साथ दिया। 500 रेजीडेंट डॉक्टर की भी आज लोगों को दोनों अस्पतालों में सेवाएं नहीं मिली।

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ऊना अस्पताल में डॉ. दलजीत की मौत से गुस्साए चिकित्सकों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है और इसकी शुरुआत अाज से सामूहिक अवकाश से कर दी है। मंगलवार से दो फरवरी तक चिकित्सक काले बिल्ले लगाएंगे। तीन से 12 फरवरी तक सुबह दो घंटे की पेनडाउन स्ट्राइक होगी। इसके बाद 13 फरवरी को फिर से सभी चिकित्सक मास कैजुअल लीव करेंगे और बाद में सामूहिक इस्तीफा देंगे। हिमाचल प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ के अध्यक्ष जीवानंद चौहान और महासचिव डॉ. पुष्पेद्र ने कहा कि प्रदेशभर के डॉक्टर एकजुट हैं और साथी डॉक्टर के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। कहा कि अगर मेडिपर्सन एक्ट को पहले ही गैरजमानती बना दिया गया होता तो डॉ. दलजीत को नहीं खोना पड़ता।

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इसके अलावा प्रदेश में जो स्वास्थ्य संस्थानों के अंदर गैरसामाजिक तत्वों द्वारा हिंसा की घटनाएं आज तक हुई है उन पर भी रोक लगती। संघ का कहना है कि जनता को किसी तरह की परेशानी न हो, के लिए आपातकालीन सेवाओं को बाधित नहीं होने दिया जाएगा। पहले किए गए आंदोलन के दौरान 24 अगस्त, 2015 को संघ की मुख्यमंत्री से हुई वार्ता में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि मेडिपर्सन एक्ट गैरजमानती का प्रावधान करने के लिए मंत्रिमंडल में प्रस्ताव लाया जाएगा। साथ ही चिकित्सकों की नियुक्तियां एडहॉक आधार पर करने के लिए भी मुख्यमंत्री ने हामी भरी थी। स्वास्थ्य निदेशालय में आयुर्वेदिक और दंत चिकित्सक जो गैरकानूनी तरीके से ओएसडी और प्रोग्राम ऑफिसर बन कर बैठे हैं, उन्हें हटाने के आदेश भी मुख्यमंत्री ने दिए थे लेकिन आजतक कोई भी फैसला लागू नहीं हुआ है।

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ये हैं संघ की मांगे

- मेडिपर्सन एक्ट में गैरजमानती का प्रावधान।

- चिकित्सको की नियुक्ति अनुबंध की बजाय एडहॉक पर की जाए।

- एडहॉक व अनुबंध पर सेवाएं दे रहे चिकित्सकों को भी 4-9-14 टाइम स्केल का लाभ मिले।

- ऊना जिला के एसपी व डीसी पर कार्रवाई हो। ऊना मे चिकित्सक को गुंडा तत्वों द्वारा डराना धमकाना और बाद में हार्ट अटैक से मौत होना। मामले में मुख्य न्यायाधीश और मुख्यमंत्री हस्तक्षेप कर दोषियो पर कार्रवाई कंरे।

- निदेशालय में आयुर्वेदिक व डेंटल के लगाए गए ओएसडी व प्रोग्राम ऑफिसर को हटाया जाए।

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