फर्जी प्रमाण पत्रों से हड़पी नौकरियां, जांच के बाद चुपचाप छोड़ी; हिमाचल बिजली बोर्ड में गजब की धांधली!
चंबा में राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारियों द्वारा फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे नौकरी पाने का मामला सामने आया है। जांच शुरू होने पर कर्मचारियों ने चुपचाप इस्तीफा दे दिया लेकिन उनके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं हुई। विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं और मामले की गहन जांच की मांग की जा रही है।

सुरेश ठाकुर ,चंबा। राज्य बिजली बोर्ड में फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे वर्षों तक नौकरी करने और जांच में खुलासा होने के बाद चुपचाप नौकरी छोड़ देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई, जिससे बोर्ड की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यदि समय रहते गहन जांच की जाती, तो बड़े स्तर पर फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो सकता था। मगर अफसरशाही ने पूरे मामले को दबाने में ही रुचि दिखाई।
राज्य विद्युत बोर्ड में फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी कर रहे तीन कर्मचारियों ने विभागीय जांच के डर से खुद ही चुपचाप इस्तीफा दे दिया। लेकिन इससे पहले ये सालों तक सरकारी संसाधनों का लाभ उठाते रहे और वेतन भी उठाया। इनमें एक मामला होली सेक्शन के कनिष्ठ अभियंता का था, जिसे मुख्य अभियंता धर्मशाला ने उच्चाधिकारियों को कार्रवाई के लिए रिपोर्ट प्रेषित की है।
हालांकि चंबा के मरेड़ी और डलहौजी सेक्शन में कार्यरत दो अन्य कर्मचारियों के खिलाफ चंबा स्तर पर न तो कोई जांच आगे बढ़ाई गई और न ही विभागीय कार्रवाई अमल में लाई गई। इन कर्मचारियों ने सत्यापन के दौरान फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद खुद ही नौकरी से किनारा कर लिया, मगर विभाग की ओर से आंखें मूंद ली गईं।
खास बात यह है कि विभागीय जांच समिति द्वारा रिपोर्ट तैयार होने के बावजूद अब तक कोई अनुशासनात्मक कदम नहीं उठाया गया है। इससे न सिर्फ नियमों की धज्जियां उड़ीं, बल्कि विभागीय जवाबदेही भी सवालों के घेरे में आ गई है।
स्थानीय लोगों और कर्मचारियों ने क्या कहा?
स्थानीय लोगों और कर्मचारियों का कहना है कि यदि इस मामले की गहराई से छानबीन की जाती, तो फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले किसी संगठित गिरोह का भी पर्दाफाश हो सकता था। मगर अफसरशाही ने मामले को हल्के में लेकर आंखें मूंद लीं।
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर बिजली बोर्ड की कार्यप्रणाली, पारदर्शिता और ईमानदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि उच्च स्तर पर इस मामले को कितनी गंभीरता से लिया जाता है और क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।
होली सेक्शन में फर्जी प्रमाण पत्र का मामला सामने आते ही तत्काल जांच करवाई गई और रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को कार्रवाई हेतु भेज दी गई है। बोर्ड फर्जी दस्तावेजों पर 'जीरो टॉलरेंस' की नीति पर कार्य कर रहा है।
विभागीय प्रक्रिया के तहत हर स्तर पर निष्पक्ष कार्रवाई की जा रही है। यदि अन्य सेक्शनों में भी इस तरह के मामले हैं, तो उनकी भी जांच करवाई जाएगी। दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा और प्रमाण पत्रों की सत्यापन प्रक्रिया को और सख्त किया जाएगा।
अजय गोतम,मुख्य अभियंता विद्युत बोर्ड धर्मशाला
बोर्ड में नियुक्त अधिकारियों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों का सत्यापन उच्च स्तर के अधिकारियों द्वारा किया जाता है, जबकि कनिष्ठ या छोटे कर्मचारियों के प्रमाण पत्रों की जांच अधिशासी अभियंता स्तर पर की जाती है। संबंधित मामलों की पूरी जानकारी एकत्रित करने के बाद ही कोई ठोस बयान दिया जा सकता है। विभाग इस संबंध में आवश्यक तथ्यों की गंभीरता से समीक्षा कर रहा है।
राजीव ठाकुर, अधीक्षण अभियंता, बिजली बोर्ड मंडल डलहौजी
फर्जीवाड़ा पाए जाने पर होती है तत्काल कार्रवाई
हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड में किसी भी कर्मचारी की नियुक्ति के समय उसके शैक्षणिक, तकनीकी, आरक्षण व निवास प्रमाणपत्रों की विधिवत जांच की जाती है। यह जांच संबंधित बोर्ड, विश्वविद्यालय या सक्षम प्राधिकारी से प्रत्यक्ष सत्यापन के माध्यम से की जाती है।
उच्च अधिकारियों के प्रमाणपत्रों की जांच बोर्ड मुख्यालय या उच्च स्तर से की जाती है, जबकि कनिष्ठ कर्मचारियों के दस्तावेजों का सत्यापन अधिशासी अभियंता स्तर पर होता है। यदि नियुक्ति के बाद कभी भी यह पाया जाता है कि कर्मचारी ने फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी हासिल की है, तो बोर्ड ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करता है।
संबंधित कर्मचारी की सेवा समाप्त की जा सकती है और उसके खिलाफ धोखाधड़ी के तहत एफआईआर दर्ज की जाती है। ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत जेल व जुर्माने का प्रावधान भी है। हिमाचल सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी प्राप्त करना एक गंभीर अपराध है और इसमें कोई भी ढिलाई न बरती जाए।
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