हिमाचल प्रदेश के दूसरे स्पेस लैब का बिलासपुर में उद्घाटन
राज्य में दूसरी स्पेस लैब का उद्घाटन मंगलवार को किया गया। तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने इसका उद्घाटन किया। यह लैब ड्रोन 3-डी प्रिंटर टेलिस्कोप और इसरो मिशन के मॉडल से लैस है जिससे विद्यार्थियों को अंतरिक्ष विज्ञान रोबोटिक्स और एयरोस्पेस तकनीक में प्रैक्टाकल नॉलेज मिलेगी। स्पेस लैब की स्थापना के लिए एचडीएफसी बैंक की ओर से सीएसआर फंड के माध्यम से 12 लाख रुपये खर्च किए गए हैं।

जागरण संवाददाता, बिलासपुर। राजकीय छात्र वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बिलासपुर में मंगलवार को प्रदेश की दूसरी स्पेस लैब का उद्घाटन किया गया। तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने इसका उदघाटन किया।
इससे पहले ब्वायज स्कूल घुमारवीं में यह लैब स्थापित की गई थी।
इस स्पेस लैब में ड्रोन, 3-डी प्रिंटर, टेलिस्कोप और इसरो मिशन के मॉडल उपलब्ध हैं, जो विद्यार्थियों को अंतरिक्ष विज्ञान, रोबोटिक्स और एयरोस्पेस तकनीक में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करेंगे।
छात्रों को सैटेलाइट कम्युनिकेशन और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग जैसे विषयों की गहन जानकारी दी जाएगी, जो वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण होती जा रही है। उन्होंने कहा कि स्पेस लैब को आसपास के सभी स्कूलों के बच्चे जाकर देख सकेंगे और अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति अपनी रुचि को बढ़ा सकेंगे।
राजेश धर्माणी ने कहा कि यह स्पेस लैब बिलासपुर के शिक्षा सुधार अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विद्यार्थियों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) के प्रति रुचि जगाने के लिए स्थापित की गई है।
स्पेस लैब की स्थापना के लिए एचडीएफसी बैंक ने सीएसआर फंड के माध्यम से 12 लाख रुपये का व्यय किया। जिले में पांच और स्पेस लैब स्थापित करने की योजना है। ये प्रयोगशालाएं विज्ञान शिक्षा के क्षेत्रीय केंद्र के रूप में कार्य करेंगी। इसके अतिरिक्त, इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर, अहमदाबाद में शैक्षिक यात्राएं भी आयोजित की जा रही हैं। अब तक 10 छात्रों को भेजा जा चुका है, और 50 और छात्रों को भेजने की तैयारी चल रही है। उन्होंने जिला बिलासपुर में नए नवाचार कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए उपायुक्त बिलासपुर आबिद हुसैन सादिक को सम्मानित किया।
इस अवसर पर मंत्री राजेश धर्माणी ने जिला बिलासपुर के पहले एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग (एबीएल) क्लासरूम का उद्घाटन भी किया।
उन्होंने बताया कि उपायुक्त बिलासपुर ने इस स्कूल को गोद लिया है और स्कूल में पहले एक्टिविटी बेस लर्निंग क्लासरूम को स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि एबीएल शिक्षा पद्धति पारंपरिक रटने की प्रक्रिया से हटकर इंटरएक्टिव और वास्तविक जीवन के अनुभवों पर आधारित है।
इसमें शिक्षक केवल मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं और समूह चर्चा, विज्ञान प्रयोगों और रचनात्मक परियोजनाओं के माध्यम से छात्रों को सक्रिय रूप से शिक्षण प्रक्रिया में शामिल करते हैं।
मंत्री ने कहा कि इस पहल को सफल बनाने के लिए शिक्षकों का प्रशिक्षण अनिवार्य है। शिक्षकों को कक्षा प्रबंधन, तकनीकी शिक्षा, और एबीएल एवं स्पेस लैब्स जैसे नवाचारों के एकीकरण के लिए विशेष कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
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