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    अच्छी सेहत के साथी विटामिन्स और मिनरल्स

    By Edited By:
    Updated: Tue, 16 Sep 2014 11:19 AM (IST)

    विटामिन्स और मिनरल्स आपकी सेहत के दोस्त हैं। इनकी कमी से शरीर कई रोगों से ग्रस्त हो जाता है, लेकिन इनके संदर्भ में कुछ बुनियादी जानकारियां रखकर और इन्हें अपने खानपान में वरीयता देकर आपका स्वास्थ्य सदाबहार बना रह सकता है.. जैसे शरीर के लिए प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट आदि पोषक तत्व्

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    विटामिन्स और मिनरल्स आपकी सेहत के दोस्त हैं। इनकी कमी से शरीर कई रोगों से ग्रस्त हो जाता है, लेकिन इनके संदर्भ में कुछ बुनियादी जानकारियां रखकर और इन्हें अपने खानपान में वरीयता देकर आपका स्वास्थ्य सदाबहार बना रह सकता है..

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    जैसे शरीर के लिए प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट आदि पोषक तत्व जरूरी हैं वैसे ही कुछ और पदार्थ आवश्यक हैं जिन्हें आवश्यक पोषक तत्व कहते हैं। ये पोषक तत्व दो प्रकार के होते हैं। पहला, विटामिन्स जो पौधों और जानवरों से प्राप्त होते हैं (आर्गेनिक खाद्य पदार्थ)। दूसरा, मिनरल्स जो इनआर्गेनिक (अकार्बनिक) साल्ट होते हैं।

    विटामिन्स का महत्व

    हमारे स्वास्थ्य और शारीरिक विकास के लिए विटामिन्स आवश्यक हैं, जो हमें कई बीमारियों से बचाते हैं। विटामिन शरीर को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए जरूरी हैं। विटामिन्स दो प्रकार के होते हैं..

    फैट सॉल्युबल विटामिन्स: जैसे विटामिन ए,डी,ई, और के. जो शरीर में संचित किए जा सकते हैं। ये संचित विटामिंस कुछ समय तक शरीर की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। अगर लगातार हम कुछ समय तक ये पदार्थ नहीं खाते, तो शरीर में फैट सॉल्युबल विटामिन्स की कमी हो जाती है। फैट सॉल्युबल विटामिन्स अधिकतर हमें जानवरों से प्राप्त होते है। अगर शाकाहारी लोग संतुलित आहार ग्रहण न करें, तो इन विटामिनों की कमी होने का खतरा ज्यादा होता है। जरूरत से ज्यादा मात्रा में इन विटामिन्स को लेना शरीर के लिए हानिकारक है।

    वाटर सॉल्युबल विटामिन्स: जैसे विटामिन बी. कॉम्पलेक्स और विटामिन-सी।

    विटामिन-बी कॉम्पलेक्स: बारह प्रकार के अलग-अलग विटामिन्स का एक समूह है, जो शरीर में ऊर्जा संबंधी जरूरत के अलावा और कई कार्य करते हैं। वाटर सॉल्युबल विटामिन्स को लगभग रोज लेना पड़ता है। ताजे फलऔर सब्जियां इनके मुख्य स्रोत हैं। थोड़े समय भी ताजा फलों और सब्जियां के न लेने से इन विटामिनों की कमी हो सकती है। इन विटामिन्स की शरीर में साधारणत: अधिकता नहीं होती, क्योंकि ज्यादा मात्रा में लेने पर ये पेशाब के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

    इन्हें है ज्यादा जरूरत

    हमारे शरीर को विटामिन्स की आवश्यकता रोज होती है, पर कुछ विशेष अवस्थाओं में इनकी जरूरत कहींज्यादा बढ़ जाती है। जैसे..

    -बढ़ते बच्चों में।

    -बीमारी में और चोट लगने के बाद।

    -गर्भावस्था के दौरान और वृद्ध लोगों में।

    संतुलित आहार विटामिन के अच्छे स्रोत हैं, जिनमें फलों, सब्जियों, दूध, अंडा व मीट को शामिल किया जाता है। डॉक्टर की सलाह से आप विटामिन सप्लीमेंट ले सकते हैं।

    विटामिन्स की कमी और रोग

    विटामिन की कमी से होने वाले प्रमुख रोग, उनके लक्षण और इलाज इस प्रकार हैं..

    विटामिन ए की कमी: रतौंधी (रात को न दिखना), आंखों में सूखापन (ड्राइनेस), अंधापन आना और त्वचा में सूखेपन की समस्या पैदा हो जाती है।

    उपचार: इस विटामिन की कमी को दूर करने के लिए विटामिन ए का सप्लीमेंट लें। विटामिन ए के स्रोत- पीले रंग के फल व संतरा लें। इसी तरह सब्जियों में गाजर, आम, पपीता, पम्पकिन (पेठा) और दूध लें।

    विटामिन बी (बी कॉम्पलेक्स)

    की कमी के दुष्प्रभाव

    -सांस फूलना।

    -शरीर के किसी भाग पर सूजन आना।

    -बेहोश होना।

    -मुंह में छाले पड़ना और त्वचा में सूखापन (ड्राईनेस) महसूस होना।

    -दस्त लगना।

    -पैरों में सुन्नपन आना।

    -खून की कमी होना।

    -याददाश्त कम होना।

    विटामिन बी-कॉम्पलेक्स के स्रोत

    हरी सब्जियां, अंकुरित चने, मूंग, दाल मीट, केला, मशरूम, मेवे, दूध, दही और अंडा।

    विटामिन सी की कमी

    लक्षण- मसूढ़ों से खून आना, मुंह में लालिमा, शरीर पर लाल निशान, घाव का ठीक न होना, दांत गिरना आदि।

    विटामिन सी के स्रोत

    ताजे रसीले फल व सब्जियां। आंवला (किसी भी रूप में मुरब्बा आदि) में यह विटामिन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।

    विटामिन डी की कमी

    बच्चों में रिकेट्स और वयस्कों में ऑस्टियो मेलेशिया (हड्डियों का कमजोर होना)।

    लक्षण

    -बच्चों के पैरों की हड्डियों में टेढ़ापन आना।

    -कलाई की हड्डी का चौड़ा होना।

    -वयस्कों में हाथ-पैरों में दर्द होना, मांसपेशियों में दर्द होना और हड्डियों का कमजोर होना।

    विटामिन डी के स्रोत

    मशरूम, अंडा और मछली में यह पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। सुबह की धूप में 30 से 40 मिनट बैठने से भी त्वचा के जरिये शरीर को विटामिन डी प्राप्त होता है।

    विटामिन ई और के की कमी

    इस विटामिन की कमी से महिलाओं में गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह विटामिन के की कमी से रक्त के जमने में परेशानियां आ सकती हैं। इस कारण हल्की से चोट लगने पर खून बहना जल्द बंद नहीं होता।

    (डॉ.सुशीला कटारिया सीनियर फिजीशियन)

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