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    ओवरी सिस्ट घबराने की जरूरत नहीं

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    Updated: Thu, 15 Mar 2012 01:16 PM (IST)

    इन दिनों महिलाओं में अंडाशय (ओवरी) में सिस्ट की समस्या से सबधित मामले बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं। अंडाशय में सिस्ट को लेकर महिलाओं के मध्य कई गलत धारणाएं व्याप्त हैं।

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    इन दिनों महिलाओं में अंडाशय (ओवरी) में सिस्ट की समस्या से सबधित मामले बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं। अंडाशय में सिस्ट को लेकर महिलाओं के मध्य कई गलत धारणाएं व्याप्त हैं। जैसे सिस्ट का समय पर इलाज न कराने से भविष्य में इसके कैंसर में परिवर्तित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी धारणा के चलते महिलाएं ऑपरेशन करवाकर अंडाशय निकलवा देती हैं। हालाकि सिस्ट के चलते कई बार महिलाओं को माहवारी में दिक्कतें पैदा हो जाती हैं। इससे कई अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। बहरहाल, अंडाशय सिस्ट के अधिकतर मामले गभीर नहीं होते। सही समय पर जाच और डॉक्टर के परामर्श से ये ठीक हो जाते हैं।

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    रोग का स्वरूप

    अंडाशय सिस्ट तरल पदार्थ से भरे हुए थैले जैसा होता है, जो अंडाशय के भीतर या सतह पर होता है। अंडाशय में ज्यादातर सिस्ट शरीर को कोई हानि नहीं पहुंचाते बल्कि वे माहवारी के दौरान खुद-ब-खुद निकल जाते हैं, लेकिन कई बार दर्द के चलते डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।

    लक्षण

    * माहवारी का अनियमित रहना।

    * शारीरिक सपर्क के दौरान दर्द।

    * उदर या स्तनों में लगातार दर्द होना।

    * याद रखें, अंडाशय सिस्ट के अनेक मामलों में लक्षण स्पष्ट तौर पर प्रकट नहीं होते।

    इसके बावजूद उपर्युक्त लक्षणों में डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। रजोनिवृत्ति के बाद अगर सिस्ट की समस्या सामने आ चुकी है, तो सिस्ट के कैंसर की आशका बढ़ जाती है। इसलिए रजोनिवृत्ति के बाद पेल्विक एग्जामिनेशन टेस्ट और पेल्विक का अल्ट्रासाउंड कराना आवश्यक है। अल्ट्रासाउंड कराने पर सिस्ट का पता चल जाता है। सिस्ट कई प्रकार के होते हैं।

    जटिलताएं

    अगर सिस्ट फट जाये तो गभीर दर्द होने लगता है और रक्तस्नाव (ब्लीडिंग) शुरू हो जाती है। इसी तरह अगर सिस्ट का आकार बड़ा है और यह समय के साथ बढ़ रहा है, तो जटिलता उत्पन्न होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। अगर सिस्ट तरल पदार्थ से भरा है, तो उस सिस्ट के कैंसर में परिवर्तित होने की आशकाएं काफी कम हो जाती हैं, लेकिन अगर सिस्ट ठोस है या ठोस के साथ इसमें तरल पदार्थ भी है, तो यह जानना जरूरी होता है कि ये कैंसर है या नहीं।

    इलाज

    सिस्ट का पता लगने के बाद डॉक्टर 'पेल्विक अल्ट्रासाउंड' से यह निश्चित करता है कि सिस्ट कहा पर है और इसमें द्रव, ठोस या फिर दोनों का मिश्रण तो नहीं है। इसके बाद उम्र और सिस्ट का आकार देखकर ही इलाज शुरू किया जाता है। अगर कोई लक्षण प्रकट नहीं होता और सिस्ट तरल पदार्थ का है तो डॉक्टर कुछ महीनों बाद दोबारा पेल्विक अल्ट्रासाउंड करके यह निरीक्षण करता है कि सिस्ट का आकार कितना है और किस जगह मौजूद है या फिर वह माहवारी होने के बाद खत्म तो नहीं हो गया।

    कई बार डॉक्टर, जन्म नियत्रण से सबधित टैब्लेट्स लेने की भी सलाह देते हैं ताकि नये सिस्ट न बनें। अगर सिस्ट बड़ा है या उसका आकार बढ़ता जाये तो ऑपरेशन या लैप्रोस्कोपी के द्वारा ओवरी से सिस्ट निकाल दिया जाता है।

    सजगता

    हालाकि ओवरी में सिस्ट रोकने का कोई उपाय नहीं है। सिर्फ जरूरत है सतर्कता बरतने की। अगर माहवारी अनियमित हो, तब शीघ्र ही डॉक्टर से परामर्श लें।

    डॉ. मणिका खन्ना नई दिल्ली

    स्त्री रोग व इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट

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