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    प्रभावशाली है पोषक तत्व

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    Updated: Wed, 29 Aug 2012 11:13 AM (IST)

    युवकों के लिए संतुलित आहार में 45 से 65 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट्स, 10 से 35 प्रतिशत प्रोटीन और 20 से 35 फीसदी वसायुक्त खाद्य पदार्थाे का समावेश होना चाहिए।

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    पोषक तत्वों की न करें अनदेखी युवकों के लिए संतुलित आहार में 45 से 65 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट्स, 10 से 35 प्रतिशत प्रोटीन और 20 से 35 फीसदी वसायुक्त खाद्य पदार्थाे का समावेश होना चाहिए। वहीं19 से 30 साल की कम सक्त्रिय जीवन-शैली वाली महिलाओं को प्रतिदिन 1800 से 2000 कैलोरीज ग्रहण करना चाहिए। इसी तरह कम सक्त्रिय जीवन-शैली वाले युवकों को प्रतिदिन 2400 से 2600 कैलोरीज ग्रहण करना चाहिए।

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    युवा वर्ग को पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड्स अत्यधिक मात्रा में खाने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इन खाद्य पदार्र्थो में सोडियम और अस्वास्थ्यकर वसा बड़ी मात्रा में पायी जाती है। प्रतिदिन 2300 मिलीग्राम से कम नमक ग्रहण करना चाहिए। यानी एक छोटी चम्मच से कम मात्रा में नमक लेना चाहिए।

    इसी तरह प्रतिदिन ली जाने वाली कैलोरी में सैचुरेटेड फैट का अंश 10 फीसदी से भी कम होना चाहिए। वहीं 2000 कैलोरी लेने वाले व्यक्ति द्वारा ली जाने वाली कुल कैलोरी में शुगर की मात्रा 13 फीसदी से अधिक नहींहोनी चाहिए।

    सार्थक सुझाव

    शरीर की पोषण से संबंधित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इन सुझावों पर अमल करना लाभप्रद है

    प्रतिदिन ब्रेकफास्ट करें

    सुबह नाश्ता करने से शरीर का मेटाबॉलिज्म दिन भर सक्त्रिय रहता है। इसलिए ब्रेकफास्ट से परहेज न करें। कम मात्रा में स्वास्थ्यकर आहार ग्रहण करें।

    स्वल्पाहार (स्नैक्स)

    सुबह के बाद और दोपहर के भोजन से पहले जब आप स्नैक्स लेते हैं, तो इस स्थिति में आप लंच में बहुत अधिक खाने की प्रवृत्ति से बच सकते हैं। इस प्रकार आप दिन भर ऊर्जा से परिपूर्ण महसूस करेंगे। ऐसे स्नैक्स के लिए उन खाद्य पदार्र्थो का चयन करें, जिनमें फाइबर और प्रोटीन पाया जाता हो। जैसे अंकुरित अनाजों (स्प्राउट्स) का लेना उपयुक्त रहेगा। फल और भुना चना भी खाया जा सकता है।

    सब्जियों और फलों को स्थान दें

    प्रतिदिन कम से कम 2 कप मात्रा भर फल और ढाई कप मात्रा में सब्जिया ग्रहण करें। मौसमी फलों को जरूर खाएं। लंच और डिनर से पहले एक प्लेट सलाद अवश्य खाएं।

    प्रोटीन को महत्व

    युवकों की मासपेशिया के विकास और इनकी मजबूती के लिए प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ आवश्यक हैं। बेहतर रहेगा कि कम वसा वाले प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्र्थो का चयन करें। अगर आप मासाहारी हैं, तो चिकेन लें, लेकिन रेडमीट से बचें। हफ्ते में कम से कम दो बार मछली खाएं। नियमित रूप से वनस्पतियों से मिलने वाले प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थो- दालों, टोफू (सोयाबीन का पनीर) और बीन्स आदि को खानपान में स्थान दें।

    स्वास्थ्यकर वसा लें

    वसायुक्त ऐसे खाद्य पदार्र्थो का चयन करें, जो अस्वास्थ्यकर न हों। सैचुरेटेड फैट्स (मक्खन व घी आदि) को सीमित मात्रा में लें। ट्रास फैट्स से परहेज करें। एक बार इस्तेमाल हुए तेल में बार-बार किसी दूसरे खाद्य पदार्थ को तलना नहींचाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि ऐसा करने से इन तले खाद्य पदार्र्थो में ट्रास फैट्स की मात्रा बढ़ जाती है। रेडी टू ईट फूड्स जैसे चिप्स आदि में ट्रास फैट्स पायी जाती है।

    दिल व शरीर की सेहत के लिए लाभप्रद वसा (फैट) को आहार में वरीयता दें। जैसे जैतून का तेल (ऑलिव ऑयल), कैनोला ऑयल और चावल की भूसी से बना तेल (राइस ब्रान ऑयल)आदि।

    कैल्शियम

    हड्डियों व दातों की मजबूती के लिए युवकों को प्रतिदिन 1000 से 1200 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है। कैल्शियम की पूर्ति के लिए डेयरी उत्पादों जैसे दूध, दही या चीज लें। प्रतिदिन 750 एमएल. दूध या इससे निर्मित उत्पादों को लेने से कैल्शियम की जरूरत पूरी हो सकती है। हड्डियों के स्वास्थ्य और उन्हें सशक्त बनाए रखने के लिए विटामिन डी भी आवश्यक है। डॉक्टर के परामर्श से विटामिन डी की टैब्लेट लें।

    याद रखें

    युवावस्था में पोषक तत्वों की उपेक्षा करने के दुष्परिणाम प्रौढ़ावस्था (मिडिल एज) और वृद्धावस्था में सहने पड़ते हैं। यही नहीं, युवावस्था में आप खानपान की जिन स्वास्थ्यकर आदतों पर अमल करने लगते हैं, वे ताउम्र कायम रहती हैं।

    शुभदा भनोत सीनियर न्यूट्रीशनिस्ट, मेदात दि मेडिसिटी, गुड़गाव

    बढ़ती उम्र में आहार-विहार

    सामान्य तौर पर 40 से 58 साल तक की उम्र प्रौढ़ावस्था मानी जाती है। आयुर्वेद में प्रत्येक ऋतु के लिए अलग-अलग आहार-विहार का वर्णन किया गया है। इस अवस्था वाले लोगों के भोजन में सभी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में होने चाहिए।

    प्रौढ़ावस्था के चौथे व पाचवें दशक में मस्तिष्क की कार्यक्षमता (जैसे याददाश्त आदि का कमजोर होना) कम होने लगती है। इसलिए मानसिक क्षमताओं को बरकरार रखने के लिए शखपुष्पी ज्योतिष्मती का सेवन करें। इस उम्र में त्वचा खासकर चेहरे की त्वचा में कसाव कम होने लगता है। इस कमी को दूर करने के लिए सौंदर्य रक्षक के रूप में भृंगराज, प्रियाल और नेत्रों की सेहत के लिए त्रिफला का सेवन करना चाहिए।

    चिकनाईयुक्त खानपान से परहेज

    उम्र के इस पड़ाव पर चिकनाईयुक्त व वसायुक्त आहार सीमित मात्रा में ही लें। जैसे घी, रबड़ी और मैदे व तेल से बने खाद्य पदार्र्थो को कभी-कभार ही खाएं, तो बेहतर रहेगा। प्रोटीन के लिए दालें, सोयाबीन और दूध का सेवन करें। प्रौढ़ावस्था में मिनरल्स और विटामिंस के लिए हरी सब्जियों व फलों का सेवन करें। इसी तरह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बरकरार रखने के लिए अश्वगंधा, आवले का मुरब्बा, मुलेठी और अलसी का प्रयोग करना चाहिए। नाश्ते में अंकुरित खाद्य पदार्थ लें। वहींप्रतिदिन नियमित तौर पर व्यायाम व प्राणायाम करना चाहिए।

    वृद्धावस्था में इन पर करें अमल

    58 साल से अधिक उम्र को सामान्यत: वृद्धावस्था में शुमार किया जाता है। इस अवस्था में नियमित रूप से सुबह व शाम टहलना चाहिए। इसके अलावा वसायुक्त खाद्य पदार्थो और भारी या गरिष्ठ भोजन से परहेज करना चाहिए। दूध, अंकुरित अनाज, पत्तेदार, सब्जिया और ताजे फलों का सेवन नियमित रूप से करें। याद रखें, उत्तम स्वास्थ्य के लिए सक्त्रिय जीवन, रचनात्मक सोच और खुशमिजाज रहना आवश्यक है।

    कुदरती रसायनों का प्रयोग

    वृद्धावस्था में कुछ प्राकृतिक रसायनों का प्रयोग करना चाहिए। जैसे हृदय रोगों में अर्जुन की छाल और मधुमेह में शिलाजीत का प्रयोग लाभप्रद है। इसी तरह वात रोगों में गुग्गुलू, मनोरोगों में ब्राी व शखपुष्पी और अश्वगंधा आदि दवाओं का प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से करना चाहिए।

    डॉ.सतीश चंद्र शुक्ल आयुर्वेदिक चिकित्सक

    सही पोषण से लगाएं मोटापे पर लगाम

    अक्सर मोटापा घटानेवाले सेंटर ऐसे कार्यक्त्रम संचालित करते हैं, जिनके अंतर्गत वे विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ ग्रहण करने पर पाबंदिया लगा देते हैं। इन पाबंदियों पर अमल करना लगभग मुश्किल होता है।

    ऐसे कम अवधि वाले और अतार्किक कार्यक्त्रमों पर अमल करने से कुछ समय के लिए तो वजन कम हो जाता है, लेकिन जैसे ही इस तरह के कार्यक्त्रमों पर अमल करना बंद कर दिया जाता है, तब फिर से वजन बढ़ना शुरू हो जाता है।

    समस्या का स्वरूप

    वैसे तो वजन कम होने के बाद इसे बरकरार रखना बहुत मुश्किल नहीं है लेकिन हम भारतीय अपने पारंपरिक खाने को छोड़ नहीं पाते। आये दिन त्योहारों के अवसर पर मिठाई और चिकनाईयुक्त खाना इतना ज्यादा बनता है कि बड़ी मात्रा में वसा और कैलोरी एक दिन में ही ग्रहण कर ली जाती है। इसलिए इस समस्या का समाधान बेसल मेटाबॉलिक रेट (बी.एम.आर.) को बढ़ाना है। तभी वजन को कम किया जा सकता है। इसलिए डाइट पर ध्यान देने के अलावा बीएमआर का भी ध्यान रखा जाए।

    इस संदर्भ में यह जानना भी जरूरी है कि बी.एम.आर. क्या है? वस्तुत: विश्रामपूर्ण स्थिति के दौरान शरीर की आतरिक गतिविधियों के संचालन में जो ऊर्जा खर्च(बर्न) होती है, उसे बी.एम.आर. कहते हैं। व्यायाम करने और शारीरिक गतिविधिया बढ़ाने से बी.एम.आर.बढ़ता है।

    मोटापे को कम करने के लिए अनेक लोग सोचे-समझे बगैर खाना कम कर देते हैं। इससे शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इस कारण शरीर का फायदा होने की बजाय नुकसान ज्यादा होता है। इस स्थिति में हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं और शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की भारी कमी हो जाती है। वजन घटाने के संदर्भ में कुछ सुझावों पर अमल करना लाभप्रद रहेगा

    नियंत्रित मात्रा में खाएं

    वजन घटाने का यह बिल्कुल मतलब नहीं किआप भूखा रहना शुरू कर दें। धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा खाएं और ज्यादा कैलौरी वाले खाद्य पदार्र्थो को कम मात्रा में खाएं।

    शारीरिक गतिविधिया बढ़ाएं

    विविध खाद्य पदार्र्थो से आप जितनी कैलोरी ग्रहण कर रहे हैं, उससे ज्यादा आप उसे बर्न भी करें। तभी इस स्थिति में वजन भी कम हो सकेगा। इसके लिए यह जरूरी नहींकि आप जिम जाकर घटों ट्रेडमिल पर समय बिताएं। आप एस्केलेटर या लिफ्ट की बजाय सीढि़यों का इस्तेमाल कर सकते हैं या घर का काम खुद कर सकते हैं। सुबह जॉगिंग करें। तेजी से अपनी क्षमता के अनुसार टहलें या फिर व्यायाम करें। महिलाएं किसी डास क्लास में शामिल हो सकती हैं। नृत्य से भी वजन कम करने में मदद मिल सकती है।

    बी.एम.आर. को बढ़ाना

    कई लोगों में बीएमआर स्वाभाविक रूप से ज्यादा होता है। ऐसे लोगों को वजन कम करने के लिए कुछ खास मेहनत नहीं करनी पड़ती। और वे कुछ भी खाना खाएं, तो भी वजन नहीं बढ़ता,लेकिन कुछ का बीएमआर कम होता है। अगर आपका बीएमआर कम है, तब इस संदर्भ में सीनियर डाइटीशियन या न्यूट्रीशनिस्ट से परामर्श लें।

    वजन घटाने के लिए यह करें

    फाइबर से युक्त खाद्य पदार्थ लें। फाइबर रेशेदार फलों, सब्जियों और साबुत अनाजों में पाया जाता है।

    कम कैलोरी वाला आहार लें, जो पोषक तत्वों से भी भरपूर हो। जैसे फल, सलाद और राजमा आदि खा सकते हैं। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

    मैदा, चीनी, नमक और घी- तेल से बने खाद्य पदार्थो से परहेज करें।

    सोनिया गाधी क्लीनिकल न्यूट्रीशनिस्ट

    फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली

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