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    अब कैविटी का है कारगर इलाज

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    Updated: Tue, 09 Sep 2014 11:41 AM (IST)

    कैविटी आपके दांत के विभिन्न भागों में होने वाले छोटे छेद हैं, जो मुंह की उचित सफाई न होने के कारण दांतों की सड़न के कारण उत्पन्न होते हैं। यह प्रक्रिया तब होती है, जब आपके मुंह में मौजूद बैक्टीरिया स्टार्च और शक्करयुक्त खाद्य पदार्थो को खाते हैं और अम्ल बनाते हैं। इससे दांतों में

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    कैविटी आपके दांत के विभिन्न भागों में होने वाले छोटे छेद हैं, जो मुंह की उचित सफाई न होने के कारण दांतों की सड़न के कारण उत्पन्न होते हैं। यह प्रक्रिया तब होती है, जब आपके मुंह में मौजूद बैक्टीरिया स्टार्च और शक्करयुक्त खाद्य पदार्थो को खाते हैं और अम्ल बनाते हैं। इससे दांतों में सड़न पैदा होती है। स्टार्च युक्त खाद्य पदार्र्थो में बिस्किट्स, चॉकलेट्स. आलू, केला और गेहूं की रोटी आदि को शामिल किया जाता है।

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    दांतों में संक्रमण होने पर कैविटी बन सकती है और उस कैविटी का इलाज नहीं कराने पर दांतों के क्षीण होने का खतरा बढ़ सकता है। पीड़ित व्यक्ति को दांत खोने पड़ सकते हैं।

    कैविटी के प्रकार

    स्मूथ सरफेस कैविटीज: यह दांतों के बीच में होती है। यह मुश्किल से पहुंचने वाली सतहों पर प्लाक (दांतों की चिकनी पर्त) के बनने के कारण होती है।

    गढ्डों (पिट्स) और छेद (फिशर) में कैविटी: यह चबाने के लिए प्रयोग किये जाने वाले दांत के उपरी भाग में ऊबड़-खाबड़ सतह पर होती है। यह समस्या दांत की दरारों में प्लाक (दांत पर एक चिपचिपे पदार्थ का निर्माण) के फंस जाने के कारण होती है।

    दांत की जड़ (रूट) में कैविटी: यह समस्या मसूड़े के नीचे और आपके दांतों की जड़ों (रूट्स) के ऊपर उत्पन्न होती है।

    कारण

    दांतों के कमजोर होने के दो मुख्य कारण हैं। पहला, मुंह में बैक्टीरिया का होना और चीनी व स्टार्च युक्त आहार का अधिक सेवन करना। ये बैक्टीरिया भोजन और लार के साथ मिलकर दांत पर प्लाक नामक चिपचिपे पदार्थ का निर्माण करते हैं। अधिक स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ प्लाक की चिपचिपाहट को और अधिक बढ़ा देते हैं। यदि यह चिपचिपाहट कुछ दिनों तक दांत पर मौजूद रहती है, तो कड़ी होना शुरू हो जाती है और टार्टर में बदल जाती है। इस प्लाक में बैक्टीरिया शक्कर को अम्ल में तब्दील कर देता है और दांत को घुलाकर छेद या कैविटी पैदा करता है।

    पारंपरिक उपचार

    कैविटी के उपचार के लिए दांतों को भरना (फिलिंग), दांत पर खोल (क्राउन) चढ़ाना और रूट कैनाल करना आदि विकल्पों का सहारा लिया जाता है। यदि दांत काफी मजबूत हैं, तो पहला उपाय दांतों को भरना (फिलिंग) है। यदि दंत क्षय की समस्या अधिक है और इसके कारण दांत क्षतिग्रस्त हो गये हों, तो आपके दंत चिकित्सक विकारग्रस्त दांत पर कैप चढ़ा सकते हैं। यदि दांत में नसें (न‌र्व्स) मृत (डेड) हो चुकी हों, तो इस स्थिति में डेंटिस्ट रूट कैनाल ट्रीटमेंट भी कर सकते हैं।

    नवीनतम उपचार

    वर्तमान में कैविटी के इलाज के लिए दो विकल्पों- लेजर तकनीक और पुनर्खनिजीकरण या रिमिनरलाइजेशन का सहारा लिया जाता है। लेजर तकनीक दांत के कठोर टिश्यूज (इनेमेल और डेंटाइन) से सड़े हुए हिस्सों को हटाने की एक नयी तकनीक है। रिमिनरलाइजेशन एक अन्य प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत दांत की संरचना को पुन: खनिज तत्व (मिनरल्स) प्रदान किये जाते हैं। दांतों को पोषक तत्व न मिलने की स्थिति (डिमिनरलाइजेशन) के कारण दांतों में विकार आने लगता है और वे कमजोर होने लगते हैं। इस स्थिति में दांतों को पुन: खनिज तत्व प्रदान करने की जरूरत होती है।

    पारंपरिक चिकित्सा की तुलना में लेजर ट्रीटमेंट को अधिक प्रभावी पाया गया है। लेजर उपचार में कम दर्द होता है और लोकल एनीस्थीसिया की कम जरूरत होती है। फ्लोराइड चिकित्सा के साथ समन्वय करने पर लेजर उपचार को कैविटी की रोकथाम में कहीं अधिक कारगर पाया गया है। फ्लोराइड चिकित्सा दांत को मजबूत बनाने में मदद करती है।

    (डॉ.अशोक ढोबले, सीनियर डेंटल सर्जन, मुंबई)

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