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    Haryana: पर्यटकों के लिए बेहद खास बनता जा रहा यमुनानगर, प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीव मोह लेंगे आपका दिल

    By Jagran NewsEdited By: Deepak Saxena
    Updated: Fri, 15 Dec 2023 06:39 PM (IST)

    हरियाणा के यमुनानगर प्लाईवुड और मेटल के काम साथ ही पर्यटक स्थल के रूप में उभर रहा है। प्रकृति की गोद में बसा यमुनानगर पर्यटकों (Tourist in Yamunanagar) के लिए खास बनता जा रहा है। यहां प्राकृतिक सुंदर नजारे के साथ ही धार्मिक पर्यटन भी देखने को मिलेगा। पर्यटकों के लिए ये शहर धीरे-धीरे काफी आकर्षित बनता जा रहा है।

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    पर्यटकों के लिए बेहद खास बनता जा रहा यमुनानगर, प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीव दृश्य मोह लेगी आपका दिल।

    पोपीन पंवार, यमुनानगर। प्लाईवुड और मेटल के काम के लिए मशहूर हरियाणा का यमुनानगर अब पर्यटक स्‍थल के तौर पर भी उभर रहा है। यहां पर परिवार के साथ सुंदर प्राकृतिक नजारे का आनंद लिया जा सकता है। यह धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी विशेष महत्‍व रखता है।

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    इन दिनों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश की सीमा पर हथनीकुंड बैराज पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आठ नवंबर को हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने यहां 'वाटर बोट एवं बोटिंग बाइक' की शुरुआत की थी। यह पर्यटकों को काफी लुभा रहा है, इसके अलावा यहां काफी रोमांचित करने वाले और जानकारी से लबरेज कई पर्यटन स्थल हैं। वहां पहुंचना भी आसान है।

    हथनीकुंड बैराज हरियाणा के अलावा दिल्ली और उत्‍तर प्रदेश के लोगों की प्यास बुझाता है। पहाड़ियों के बीच स्थित धार्मिक स्‍थल आदिबद्री आस्था के साथ प्राकृतिक सुंदरता से ओतप्रोत है। आप कलेसर नेशनल पार्क, वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी पार्क, ताऊ देवी लाल हर्बल पार्क में दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना भी देख सकते हैं।

    यमुनानगर का नेशनल कलेसर पार्क में प्रकृति से रूबरू हो सकते हैं पयर्टक

    हिमाचल से हरियाणा में प्रवेश करती है यमुना

    यमुना नदी पर बने हथनीकुंड बैराज का उद्घाटन 9 जुलाई 1999 को तत्‍कालीन मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल ने किया था। बैराज में 18 गेट हैं, इनमें 15 गेट हरियाणा और तीन उत्तर प्रदेश की सीमा में पड़ते हैं। मानसून के अलावा सालभर सैलानी यहां का शानदार नजारा देखने आते हैं। इसके नजदीक अंग्रेजों के समय में बनाया गया ताजेवाला हेड वर्क्स था, जो 128 वर्ष तक अपनी सेवाएं देता रहा। बाद में यह बाढ़ में बह गया।

    यमुनानगर के नेशनल कलेसर पार्क पर्यटकों को आकर्षित करता है।

    उसके कुछ अवशेष अब भी बचे हैं। अब बैराज पर मोटर बोटिंग शुरू होने से सैलानियों का आना बढ़ रहा है। बैराज पर अपने वाहन के अलावा हरियाणा रोडवेज की बस से प्रतापनगर होते हुए पहुंचा जा सकता है। उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर से भी यहां के लिए बस सेवा उपलब्‍ध है।

    हड़पुर हर्बल पार्क में लगी जड़ी बूटियों के पौधे आपको बरबस आकर्षित करते

    मन मोह लेता है कलेसर राष्‍ट्रीय उद्यान, देखें वन्यजीव

    बैराज के पास ही बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थल कलेसर राष्‍ट्रीय उद्यान है। इसकी सीमा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश से लगी हुई है। उत्तरांखड के राजा जी पार्क से भी इसकी सीमा लगती है। आठ दिसंबर, 2003 को 11570 एकड़ में फैले जंगल को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। इसकी सीमा 12 हजार एकड़ के वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी पार्क से मिली हुई है।

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    हथनीकुंड बैराज से पहले यमुना नदी का नजारा मन को लुभाता है।

    इस जंगल में सागवान के अधिक पेड़ होने के कारण वर्षभर यह हरा भरा रहता है। पूरा पार्क जैव विविधता, गुफाओं के साथ वन, खैर के पेड़, घास जंगली जानवरों के लिए अनुकूल है। घने जंगल में तेंदुए, सांभर, चीतल, बार्किंग डियर, गोरल, हिरण, नील गाय, नील बैल, जंगली सुअर, जंगली मुर्गा बड़ी संख्या में हैं। राजाजी नेशनल पार्क से हाथियों का झुंड भी कलेसर में आता रहता है। 113 साल बाद इस जंगल में चीता भी देखा गया।

    कपालमोचन का सुंदर नजारा। पिछले दिनों लगे मेले की ड्रोन से ली गई तस्‍वीर

    यहां आ चुके हैं पूर्व राष्ट्रपति कलाम

    ताऊ देवी लाल हर्बल पार्क 184 एकड़ जमीन पर फैला है। इसमें 350 से ज्यादा तरह की दुर्लभ जड़ी बूटियों का संग्रह किया गया है। दूर-दूर से विशेषज्ञ यहां आकर रिसर्च करते हैं। इसके अलावा घर के लिए भी पौधे ले जा सकते हैं। हर्बल पार्क की खासियत यह है कि यहां पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी आ चुके हैं। उन्होंने पार्क का उद्घाटन किया था। आज भी पार्क में उनकी कुर्सी रिजर्व है। इस पर किसी व्‍यक्ति को बैठने की अनुमति नहीं है। उन्होंने अपने हाथ से पार्क में रुद्राक्ष का पौधा लगाया था। इस पर काफी रुद्राक्ष आते हैं।

    आदिबद्री में सरस्वती उद्गम स्थल।

    बनसंतौर में 50 एकड़ में फैला इकलौता हाथी पुनर्वास केंद्र

    बिलासपुर-प्रतापनगर मार्ग पर लेदी गांव के पास में राज्य का इकलौता हाथी पुनर्वास केंद्र है। वर्ष 2008 में एक करोड़ की लागत से 50 एकड़ जमीन पर चौ. सुरेंद्र सिंह हाथी पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई। यहां पर चार हथिनियां हैं। एक हथिनी की बीमारी के चलते मौत हो चुकी है। सभी हथिनियों को बिना परमिट के रखने वाले लोगों से छुड़वाया गया है।

    आदिबद्री धार्मिक स्थल की सुंदर नजारा। यहां पर्यटकोंं और श्रद्धालु काफी संख्‍या में पहुंचते हैं।

    पहाड़ियों के बीच में आदिबद्री स्थल, सरस्वती का उद्गम स्थल भी यहां

    आदिबद्री की हरे-भरे पेड़ों से घिरी पहाड़ियां हर किसी को आकर्षित करती हैं। अपने वाहन व रोडवेज बस से बिलासपुर होते हुए यहां पर पहुंचा जा सकता है। यहीं पर प्राचीन सरस्वती नदी का उद्गमस्थल हैं। हिमाचल प्रदेश और हरियाणा सरकार मिलकर आदिबद्री में 110 एकड़ में बरसाती पानी रोकने के लिए डैम बनाने की तैयारी में हैं। इस पानी को सरस्वती नदी में छोड़ा जाएगा।

    हथनीकुंड बैराज पर मोटर बोट का आनंद लेने से सैलानी खुद को रोक नहींं पाते ।

    प्राचीन श्रीकेदारनाथ मंदिर, श्रीआदिबद्री नारायण मंदिर की बड़ी धार्मिक महत्ता है। 1800 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ी की चोटी पर देश का एकमात्र माता मंत्रा देवी का मंदिर हैं। मंदिर में पहुंचने के लिए सीढ़ियों व पहाड़ियों के बीच होते हुए रास्ता जाता है। इसके अलावा पांवटा नेशनल हाइवे पर गांव कलेसर में यमुना नदी किनारे श्रीकालेश्‍वर महादेव मठ है। इससे श्रद्धालुओं की गहरी आस्था जुड़ी है।

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