Yamunanagar: नियुक्ति के लिए दिन-रात धरना दे रहे कला शिक्षक, सरकार के हलफनामे पर टिकी निगाह
हरियाणा के यमुनानगर में नियुक्ति के लिए दिन-रात कला शिक्षक धरना दे रहे हैं। सरकार से सुप्रीम कोर्ट में वास्तविक स्थिति रखने की अपील की है। अब उनकी निगाहें सरकार के हलफनामे पर टिकी हुई हैं। 15 दिन से यह शिक्षक धरने पर बैठे हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : नियुक्ति की मांग को लेकर डिप्लोमा होल्डर व कला शिक्षक जगाधरी अनाज मंडी गेट पर दिन रात धरना दे रहे हैं। 15 दिन से यह शिक्षक कड़ाके की ठंड में धरने पर बैठे हुए हैं। इन शिक्षकों की सरकार से यही अपील है कि वह सुप्रीम कोर्ट में उनके पक्ष में हलफनामा दें। जिससे उनकी नियुक्ति की राह खुले। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा था। जो अब खत्म हो रहा है।
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धरनारत सचिन गर्ग, विकास, मुकेश, प्रदीप धीमान, विनोद कुमार, राजेश, बलदेव, रजनीश सैनी, शिवचरण व कपिल ने बताया कि शिक्षा विभाग एक ही पत्र को कई तरह से प्रयोग कर रहा है। जबकि सर्विस रूल के अनुरूप डिप्लोमा धारकों को ज्वाइनिंग देनी चाहिए, लेकिन शिक्षा विभाग इसको दरकिनार कर सर्टिफिकेट कोर्स वालों को ज्वाइनिंग दे रहा है। सरकार से यही अपील है कि वह सुप्रीम कोर्ट में वास्तविक स्थिति रखे। प्रदेश के जिलों से यहां पर डिप्लोमा होल्डर कला शिक्षक आए हैं।
मेरिट में होने के बावजूद भी उन्हें नौकरी का इंतजार करना पड़ रहा है। मौजूदा सरकार में उनका सिलेक्शन हुआ है और अब उम्र के इस पड़ाव पर है कि कहीं और आवेदन नहीं कर सकते। इसलिए सरकार से ही उम्मीद है कि वह सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करें। जिससे उन्हें नौकरी मिल सके। उन्होंने कहा कि जब तक नियुक्ति मिल जाती है। तब तक धरना जारी रहेगा। इस दौरान नरेंद्र तंवर, मुकेश कुमार, दीपा, पूनम सैनी, प्रदीप धीमान, बलदेव, अमित आदि उपस्थित रहे।
बीडीपीओ कार्यालय पर संरपंचों का धरना
ई-टेंडरिंग व राइट टू रिकॉल के विरोध में सरपंचों का धरना प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा है। इस मौके पर सरपंचों ने खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय परिसर में ई-टेंडरिंग को खत्म करने व राइट टू रिकाल को वापस लिए जाने की मांग को लेकर नारेबाजी की।
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गांव जठलाना के सरपंच प्रतिनिधि बीर सिंह ने कहा कि सरकार जब तक उनकी मांगों को नहीं मानती, तब तक उनका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार बेवजह सरपंचों पर इन नियमों को थोप रही है। जिससे गांवों के विकास में बाधा उत्पन्न होगी। एक तरफ तो सरपंचों को छोटी सरकार कहकर उनका सम्मान कर रही है, वही चुने हुए प्रतिनिधियों को चोर बताया जा रहा है।