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    पराली प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र खरीदने की अंतिम तिथि 25 से बढ़ाकर 30 सितंबर हुई

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 06:06 PM (IST)

    यमुनानगर में कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल ने पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं। किसानों को पराली प्रबंधन के लिए अनुदान पर कृषि यंत्र मिलेंगे और खेतों में पराली मिलाने पर प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी और सरकारी सुविधाएं रद होंगी। पराली जलाने से पर्यावरण और मिट्टी की उर्वरता को नुकसान होता है।

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    पराली प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र खरीदने की अंतिम तिथि अब 30 सितंबर

    जागरण संवाददाता, यमुनानगर। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला पुलिस, राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि धान के अवशेष (पराली) जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा है।

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    किसानों को पराली प्रबंधन के लिए अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं, इसलिए वे पराली न जलाएं बल्कि इन यंत्रों के माध्यम से खेतों में ही उसका निस्तारण करें। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पराली प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र खरीदने की अंतिम तिथि 25 से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी गई है।

    उन्होंने कहा कि पराली को कृषि यंत्रों से खेतों में मिलाने पर किसानों को 1200 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। गत वर्ष जिले में 18954 किसानों ने 123428 एकड़ भूमि में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए पंजीकरण करवाया था, जिन्हें एक हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से 12 करोड़ 34 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई थी।

    प्रधान सचिव ने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित होता है, जिससे मानव और पशु दोनों को नुकसान झेलना पड़ता है। यदि कोई किसान पराली जलाते पाया गया तो उसके खिलाफ पर्यावरण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। पंजीकृत किसानों द्वारा नियम तोड़ने पर उनकी सभी सरकारी सुविधाएं भी निरस्त कर दी जाएंगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गांव स्तर पर सरपंचों, नंबरदारों की बैठकें आयोजित कर लोगों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाए।

    सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी इस विषय को गंभीरता से ले रहे हैं, इसलिए उल्लंघन पर कठोर कार्रवाई तय है। भारतीय सुरक्षा संहिता की धाराओं के तहत भी आदेश जारी किए गए हैं। सीएक्यूएम के चेयरमैन राजेश वर्मा ने बताया कि प्रदेश में पराली जलाने पर अंकुश लगाने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं।

    पराली प्रोटेक्शन फोर्स का गठन किया गया है और किसानों को कृषि विभाग की ओर से समय-समय पर पराली प्रबंधन यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे खेत में पराली न जलाएं, क्योंकि इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति और मित्र कीट दोनों नष्ट हो जाते हैं और पैदावार पर सीधा असर पड़ता है।