औषधीय छायादार और फलदार पौधे लगाएं, पर्यावरण बचाएं : प्रो. अनायत
मुरथल स्थित दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी) के कुलपति प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत ने कहा कि पौधों के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।
जागरण संवाददाता, सोनीपत: मुरथल स्थित दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी) के कुलपति प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत ने कहा कि पौधों के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। पौधों के साथ न केवल पर्यावरण संरक्षित होता है, बल्कि हमारा जीवन भी सुरक्षित रहता है। इसलिए पर्यावरण संरक्षण के लिए खासकर औषधीय छायादार और फलदार पौधे लगाएं। अगर पर्यावरण संरक्षित होगा तो तभी हम सुरक्षित रहेंगे। वे मंगलवार को वन महोत्सव के अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण करने के उपरांत संबोधित कर रहे थे। इस दौरान विश्वविद्यालय परिसर में जामुन, बेलगिरी, नीम, अर्जुन आदि के 105 पौधे रोपे गए।
प्रो. अनायत ने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण ही हमारा जीवन है। पर्यावरण संकट हमारे जीवन के सभी क्षेत्र, सामाजिक स्वास्थ्य, संबंध, आचरण, अर्थव्यवस्था, राजनीति, संस्कृति और हमारे भविष्य को प्रभावित करता है। प्रकृति का संरक्षण ही हमारी प्राणमयी ऊर्जा है। पेड़ हमारे लिए बेहद जरूरी हैं। यह पौधों के कारण से है कि हम इस ग्रह पर जीवित रहने में सक्षम हैं। पेड़ों के बिना मनुष्य या अन्य प्रजातियों के लिए जीवित रहना संभव नहीं होगा। हालांकि, यह एकमात्र कारण नहीं है कि पेड़ हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। उनके पास पर्यावरण के साथ ही जीवित प्राणियों के लिए बहुत कुछ है। ऑक्सीजन देने के अलावा, पेड़ पर्यावरण से विभिन्न हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव कम होता है। पेड़ हमें भोजन और आश्रय भी प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि जब से दुनिया शुरू हुई है, तभी से इंसान और कुदरत के बीच गहरा रिश्ता रहा है। पेड़ों से पेट भरने के लिए फल-सब्जियां और अनाज मिला। तन ढकने के लिए कपड़ा मिला और घर के लिए लकड़ी मिली। इनसे जीवनदायिनी ऑक्सीजन भी मिलती है, जिसके बिना कोई एक पल भी जिदा नहीं रह सकता। इनसे औषधियां मिलती हैं। पेड़ इंसान की जरूरत हैं, उसके जीवन का आधार हैं। अमूमन सभी मजहबों में पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया गया है। भारतीय समाज में आदिकाल से ही पर्यावरण संरक्षण को महत्व दिया गया है। भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों को पूजा जाता है। विभिन्न वृक्षों में विभिन्न देवताओं का वास माना जाता है।इसलिए सभी को इसमें अपना योगदान निभाना चाहिए। इस मौके पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. आरडी कौशिक भी मौजूद रहे।
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