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सुधीर को राष्ट्रमंडल खेलों में मिला स्वर्ण पदक तो लाठ गांव में मनने लगा जश्न

जिले के गांव लाठ के सुधीर ने बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में पैरा पावर लिफ्टिंग में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने दिव्यांगता को हराकर नौ साल के संघर्ष के बाद यह मुकाम हासिल कर राष्ट्रमंडल खेलों में नया रिकार्ड बनाया। सुधीर के पदक जीतते ही उनके गांव में ग्रामीणों ने जमकर जश्न मनाया। ग्रामीणों ने उनके घर पहुंच कर मां सुमित्रा देवी और अन्य स्वजन को मिठाई खिलाई। उनके घर पूरे दिन बधाई देने वालों का तांता लगा रहा है मिठाई बांटी जाती रही।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2022 06:46 PM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2022 06:46 PM (IST)
सुधीर को राष्ट्रमंडल खेलों में मिला स्वर्ण पदक तो लाठ गांव में मनने लगा जश्न

जागरण संवाददाता, गोहाना : जिले के गांव लाठ के सुधीर ने बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में पैरा पावर लिफ्टिंग में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने दिव्यांगता को हराकर नौ साल के संघर्ष के बाद यह मुकाम हासिल कर राष्ट्रमंडल खेलों में नया रिकार्ड बनाया। सुधीर के पदक जीतते ही उनके गांव में ग्रामीणों ने जमकर जश्न मनाया। ग्रामीणों ने उनके घर पहुंच कर मां सुमित्रा देवी और अन्य स्वजन को मिठाई खिलाई। उनके घर पूरे दिन बधाई देने वालों का तांता लगा रहा है, मिठाई बांटी जाती रही।

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सुधीर तीन साल के थे तो उनके पैर की नस कमजोर हो गई थी। उपचार के बाद उनके पांव का पूरा विकास नहीं हो पाया। पिता राजबीर और मां सुमित्रा देवी ने अपने लाडले का कभी मनोबल कमजोर नहीं होने दिया और हमेशा जीवन में मेहनत करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। सुधीर ने पड़ोसी गांव कटवाल से 12वीं और उसके बाद एमडीयू से स्नातक की पढ़ाई की। वर्ष 2013 में उन्होंने नजदीक के गांव पिनाना में एक सामान्य जिम में जाना शुरू किया। वहां पावर लिफ्टिंग के बारे में पता चला। सोनीपत के दोस्त वीरेंद्र ने उनको पैरा पावर लिफ्टिंग में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। जिला और राज्य स्तर पर पदक जीते तो उनके सपनों को पंख लगते चले गए। भाई शक्ति सिंह के अनुसार सुधीर ने लगातार सात बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीते। सुधीर ने 2018 में इंडोनेशिया में एशियन पैरा गेम्स और उसके साथ साउथ कोरिया में एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते। 2017 में व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल में सुधीर ने स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया। पदक जीतने पर गांव लाठ में ग्रामीणों ने जश्न मनाया। सुधीर के पिता राजबीर का स्वर्गवास हो चुका है। गांव में उनके भाई शक्ति, मां सुमित्रा, चाचा सूरजभान और उनके बेटे साहिल व जसवंत हैं। राजबीर और सूरजभान के परिवार एकसाथ रहते हैं।


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