सोनीपत की इस यूनिवर्सिटी में होती थी अफीम की खेती, 1000 से ज्यादा पौधे मिले; हरकत में पुलिस
सोनीपत के राई स्थित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ डिज़ाइन में अफीम की खेती का मामला सामने आया है। जांच में 400 नहीं बल्कि 1000 अफीम के पौधे पाए गए हैं। इनमें से कुछ पौधों पर फलियां लगी थीं जिनसे अफीम निकाली जा रही थी। पुलिस की जांच जारी है और मामले में रिश्वत के आरोप भी लगे हैं जिससे जांच की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं।
नंदकिशोर भारद्वाज, सोनीपत। राई की वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन में मिली अफीम की खेती के मामले में जांच टीम के सूत्रों से पता चला है कि यूनिवर्सिटी में 400 नहीं बल्कि 1000 अफीम के पौधे मिले हैं। 400 पौधों में फलियां लगी थीं और उनमें कट लगाकर अफीम प्रोसेस की जा रही थी।
बताया जा रहा है कि 600 पौधे ऐसे थे जिनकी ऊंचाई दो फीट थी, जिन्हें जांच में शामिल नहीं किया गया। जांच में सिर्फ उन्हीं पौधों को शामिल किया गया जिन पर फलियां लगी थीं। सफल टीम ने मौके पर पहुंचकर अफीम होने की पुष्टि की।
जांच टीम के अधिकारी ने खुद अफीम चखकर इसकी पुष्टि की। वहीं, पुलिस की लंबी चल रही जांच पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किस तरह की जांच की जा रही है कि पूरी ही नहीं हो रही।
वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन में अफीम की खेती पाए जाने का मामला शुरू से ही चर्चा में रहा है। जांच टीम के इंस्पेक्टर तेजराम यूनिवर्सिटी प्रबंधन से रिश्वत लेने के आरोप में जेल में हैं। 27 मार्च की रात 9 बजे एएसआई सुरेंद्र को सूचना मिली कि
विश्व डिजाइन विश्वविद्यालय परिसर में फूलों की क्यारियों में अफीम के पौधे उगाए गए हैं। सूचना की पुष्टि के बाद पुलिस ने ड्रग्स इंस्पेक्टर मुंशीराम और उद्यान विभाग के सहायक परियोजना अधिकारी वृज वेकारिया को मौके पर बुलाया। विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव शैलेंद्र कुमार को भी साथ लिया गया।
विश्वविद्यालय की दीवार के पास अफीम के पौधे मिले। जांच दल सूत्रों ने बताया कि परिसर में विभिन्न स्थानों पर करीब एक हजार अफीम के पौधे थे। इनमें से 400 पौधों पर फलियां लगी थीं और उनमें चीरा लगाकर अफीम का प्रसंस्करण किया जा रहा था।
इन पौधों को जड़ों से उखाड़ा गया। जब इनका वजन किया गया तो इनका वजन 39.750 किलोग्राम निकला। जांच दल सूत्रों ने बताया कि करीब 600 पौधे ऐसे बचे थे, जिनकी ऊंचाई दो फीट थी। इन पर फलियां नहीं थीं। पुलिस ने मौके से ही माली संतलाल को गिरफ्तार कर लिया।
28 मार्च को इस मामले में राई थाने में केस दर्ज हुआ था। बाद में बागवान ने दिल्ली की सब्जी मंडी के बर्फ मार्केट की एक दुकान से अफीम के बीज खरीदने की पुष्टि की थी।
पहली एसआइटी गठन पर उठे सवाल
यूनिवर्सिटी में अफीम की खेती का मामला सामने आने पर अधिकारियों ने मौखिक तौर पर एसआईटी गठित कर जांच शुरू करने के आदेश जारी किए, लेकिन शुरुआत में इसके इंस्पेक्टर के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत मिली थी, इसलिए एसआईटी गठन के लिखित आदेश जारी नहीं किए गए।
अप्रैल के पहले सप्ताह में इंस्पेक्टर तेजराम को लाइन हाजिर कर दिया गया। इसके बाद लिखित आदेश जारी कर डीसीपी प्रबीना पी के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई। अब पहली एसआईटी के गठन पर ही सवाल उठ रहे हैं।
जांच खिंच रही लंबी
पुलिस आमतौर पर मामलों की जांच जल्द पूरी कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंप देती है, लेकिन विश्वविद्यालय में अफीम की खेती के मामले की जांच लंबी खिंचती जा रही है। मामले में हर दिन नई जानकारियां सामने आ रही हैं। 28 मार्च से यह जांच पूरी नहीं हो पा रही है।
जांच में हो रही देरी को लेकर लोग सवाल भी उठा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रबंधन इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए है। विश्वविद्यालय के किसी भी अधिकारी ने इस मामले को लेकर कोई बयान देना उचित नहीं समझा है।
अफीम के पौधों की सूचना मिलते ही ड्यूटी मजिस्ट्रेट को तैनात कर सभी पौधों को उखाड़कर वजन कराया गया। इसके बाद उन्हें सील कर दिया गया और आगे की कार्रवाई की गई। अब इस मामले की जांच चल रही है। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार रिपोर्ट तैयार कर कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने में समय लगेगा।
- एसीपी निधि नैन, जांच अधिकारी
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