पोर्टल खुलने के बावजूद किसानों की टेंशन बढ़ी, सोनीपत मंडी में इस वजह से नहीं बिक पा रहा धान
सोनीपत में बारिश के कारण धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है। मंडी में रखा धान भीग गया है जिससे खरीद प्रक्रिया प्रभावित हुई है। किसानों को कीमतों में गिरावट और कटौती के कारण नुकसान हो रहा है। पीआर धान की खरीद भी शुरू नहीं हो पाई है जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसान मौसम ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, सोनीपत। खरीफ सीजन में बदलता मौसम किसानों पर भारी पड़ रहा है। गुरुवार दोपहर रुक-रुक कर हुई बारिश ने न केवल खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि अनाज मंडी में लाया गया धान भी भीग गया। इस बीच, धान की खरीद प्रक्रिया प्रभावित हुई, जिससे मंडी में करीब 3,000 क्विंटल धान बिना बिके रह गया, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई।
मंगलवार को जिले में हुई बारिश ने मंडी की स्थिति और खराब कर दी। खरीदारों ने उस दिन कई लॉट की बोलियां भी रद्द कर दीं। बुधवार को मौसम साफ होने से उम्मीद जगी, लेकिन धान में नमी की मात्रा अधिक होने से कीमतों में भारी गिरावट आई। गुरुवार को फिर हुई बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी। धान को तिरपाल से ढककर बचाने की कोशिश की गई, लेकिन नमी कम नहीं हुई। मंगलवार से शुरू हुई गिरावट गुरुवार को भी जारी रही।
हाथ से काटे गए धान का अधिकतम मूल्य 3,150 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि मशीन से काटे गए धान का मूल्य केवल 2,901 रुपये रहा। मंगलवार से पहले, चावल किस्म 1509 की कीमत ₹3,201 तक पहुंच गई थी और इसके ₹3,300 से ₹3,400 तक पहुंचने की उम्मीद थी, लेकिन लगातार बारिश के कारण कीमतों में गिरावट आई।
पीआर धान की खरीद नहीं हुई
सोनीपत मंडी के पीआर धान केंद्र की स्थिति और भी विकट है। 22 सितंबर को पोर्टल खुलने के बावजूद, खरीद अभी तक शुरू नहीं हुई है। शुरुआत में नमी के कारण धान की खरीद नहीं हुई और बाद में आढ़तियों ने भी हाथ खींच लिए। अब, यह निर्णय लिया गया है कि खरीद एजेंसियों द्वारा सीधे की जाएगी, लेकिन बारिश के कारण धान में नमी बढ़ने के कारण यह प्रक्रिया रुक गई है।
लगातार बारिश से धान भीग रहा है और बढ़ी हुई नमी खरीद को प्रभावित कर रही है। किसान धान सुखाने को मजबूर हैं। उम्मीद है कि मौसम ठीक होने पर स्थिति सामान्य हो जाएगी।
- संजय वर्मा, आढ़ती, नई अनाज मंडी, सोनीपत
खराब मौसम ने किसानों की चिंता बढ़ा दी
बदलते मौसम ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। खेतों में कटाई के लिए तैयार खड़ी और बिक्री के लिए मंडी लाई गई धान की फसल भीगने से किसानों की अच्छी कीमत मिलने की उम्मीदें टूट रही हैं। मंडी में आढ़ती और खरीदार 50 किलो की बोरी पर ढाई से चार किलो की कटौती कर रहे हैं।
इससे किसानों को प्रति क्विंटल 70 से 125 रुपये का नुकसान हो रहा है। मंडी में लाए गए धान को बिना बेचे वापस ले जाना भी उनके लिए काफी महंगा पड़ रहा है। मंगलवार को नरेला अनाज मंडी में कटौती के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले किसानों को बाद में निराशा ही हाथ लगी। हंगामे वाले दिन वहां करीब एक लाख बोरी धान बिका था।
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