सोनीपत में यमुना का कहर: 50 गांवों की 10 हजार एकड़ फसल बर्बाद, ग्रामीण बोले-हर साल करते हैं पलायन
सोनीपत में यमुना का जलस्तर घटने से कुछ राहत मिली है परन्तु कटाव जारी है। लगभग 50 गाँवों में 10 हजार एकड़ फसलें बर्बाद हो गईं हैं जिससे किसान परेशान हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रभावित गाँवों में शिविर लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस नेता जयभगवान आंतिल ने राहत सामग्री वितरित की और प्रशासन से मदद की अपील की।

जागरण संवाददाता, सोनीपत। जिले की सीमा में कई दिनों से उफान पर बह रही यमुना का जलस्तर बृहस्पतिवार को कुछ कम हुआ है, लेकिन भूमि कटाव अभी भी जारी है। जलस्तर कम होने से तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों ने राहत की सांस ली है। हालांकि अभी स्थिति सामान्य नहीं हुई है। हालात यह हैं कि यमुना के साथ लगते करीब 50 गांवों में 10 हजार एकड़ से अधिक भूमि पर धान पर अन्य फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। दूसरी तरफ कई गांवों के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जिला प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
80 घरों में घुस गया पानी
हथनीकुंड बैराज से यमुना में कई दिनों से लगातार बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा था, जिससे जिले में यमुना के किनारे बसे गांवों में हालात बिगड़ गए थे। गांव मनोली टोंकी में पानी घुसने से करीब 80 घरों में पानी घुस गया था। प्रशासन ने इन घरों में रहने वाले लोगों को निकालते हुए सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है। भारी वर्षा और बढ़े जलस्तर से जहां 10 हजार एकड़ फसल बर्बाद हुई है, वहीं सब्जियों की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है।
प्रभावित गांवों में लगाए शिविर
यमुना के बढ़े जलस्तर से प्रभावित गांव बेगा, रसूलपुर, ग्यासपुर, चंदौली, पबनेरा, मनोली टोंकी, जाजल टोंकी व अन्य में जल जनित बीमारियों से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शिविर लगाए हैं। टीमें प्रभावित गांवों मे जाकर जांच कर रही है। उपायुक्त सुशील सारवान ने बताया कि जल जनित बीमारियों में डेंगू, मलेरिया, जापानी बुखार, हैजा, टाइफाइड, त्वचा रोग, डायरिया शामिल है। मनोली टोंकी में लगाए शिविर में 156 ग्रामीणों में बुखार, त्वचा रोग, आंख आना व अन्य बीमारियों के लक्षण देखे गए हैंं, जिन्हें उपचार दिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांवों में ओआरएस, मच्छरदानी व आवश्यक दवाइयां भी बांटी जा रही है।
कई गांवों में फैला पानी
यमुना का पानी बेगा, रसूलपुर, ग्यासपुर, चंदौली, पबनेरा, मनाेली टोंकी और जाजल टोंकी सहित कई गांवों में घुस चुका है। घरों और खेतों में पानी भरने से ग्रामीणों का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। मनाेली टोंकी गांव में स्थिति सबसे अधिक खराब है। यहां जलस्तर घटने के बाद भी लोग अपने मकान छोड़ने को तैयार नहीं हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ठहरने की व्यापक व्यवस्था नहीं होने से उन्हें पानी से भरे घरों में ही रहना पड़ रहा है।
पीड़ितों की मदद करने की अपील
जिले के यमुना किनारे बसे गांवों और कालोनियों में हुए जलभराव की वजह से परेशान लोगों के बीच वीरवार को कांग्रेस नेता जयभगवान आंतिल पहुंचे। उन्होंने मनोली, मनोली टोंकी, भैरा बांकीपुर व दहिसरा में पीड़ित परिवारों को खाद्य सामग्री वितरित की और ग्रामीणों की समस्याएं सुनी।
उन्होंने सभी को एकजुट होकर प्रभावित परिवारों की मदद करने की लोगों से अपील की। साथ ही उन्होंने प्रशासन से भी अपील की है कि वह राहत और बचाव कार्यों को तेज करें, ताकि ग्रामीणों को और मुश्किलों का सामना न करना पड़े। इस मौके पर बिजेंद्र प्रधान, जाजी समेत कई स्थानीय लोग भी मौजूद रहे।
रोजाना मदद कर रहे
वहीं करनी सेना की युवा टीम भी राहत कार्यों में सक्रिय रही। संगठन के सदस्य रोजाना पीड़ित परिवारों तक पहुंचकर मदद कर रहे हैं। समाजसेवी दीपक चौहान ने बताया कि प्रभावित परिवारों को खाने का सामान वितरित किया गया है। संगठन के कार्यकर्ताओं ने लोगों से अपील की है कि वे पानी से भरे मकानों को छोड़कर शिविर में शरण लें, ताकि हादसे से बचा जा सके। इस मौके पर गोसेवक सिद्धार्थ राजपूत, नंदकिशोर वर्मा, डाॅ. रविंद्र, राहुल चौहान और अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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